वैश्विक खतरा माने जाने वाला 'जीका वायरस' कई देशों को अपनी चपेट में ले चुका है। जीका एक ऐसा वायरस है, जो एडीज, एजिप्टी और अन्य मच्छरों से फैलता है। ये चिकनगुनिया और डेंगू भी फैलाते हैं। इस वायरस के फैलने का सबसे बड़ा कारण मच्छर ही होते हैं। इसलिए मच्छरों से बचाव बेहद जरूरी होता है। इसके खतरे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह वायरस पीड़ित व्यक्ति के साथ संबंध बनाने से भी फैल सकता है। इस वायरस की गंभीरता को देखते हुए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने विश्व भर में एजवाइजरी जारी की है, जो इस वायरस से सुरक्षा में आपकी मदद कर सकती है। अगर आप भी पिछले कुछ दिनों से डेंगू या किसी मच्छर के काटे से परेशान हैं तो आपके लिए ये एडवाइजरी जानना बेहद जरूरी है। इस एडवाइजरी के जरिए आप अपनी और अपनों की सेहत को दुरुस्त रख सकते हैं।
कैसे फैलता है जीका
ये वायरस एडीज मच्छर से फैलता है। यह मच्छर डेंगू और चिकनगुनिया की बीमारी फैलाने के जिम्मेदार हैं। इस वायरस की सबसे ज्यादा शिकार गर्भवती महिलाएं होती हैं, जिसमें वे ऐसे शिशुओं को जन्म देती हैं जिनका ब्रेन पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता और सिर छोटा रह जाता है। यह वायरस बच्चों के ब्रेन का विकास रोक देता है जिससे उनका सिर छोटा ही रह जाता है। हो सकता है कि बच्चे की मौत भी हो जाए। ब्राजील में यह वायरस काफी तेजी फैल चुका है। यहां पर छोटे सिर वाले बच्चों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है।
जीका वायरस का पहला मामला
जीका वायरस का पहला मामला 1947 में यूगांडा में पाया गया था। जहां जीका नामक जंगलों में बंदरों के अंदर यह वायरस पाया गया था। जीका के पहले मरीज़ का मामला सन 1954 में नाइजीरिया में सामने आया था। अब यह जानलेवा वायरस दुनिया के अलग अलग हिस्सों में फैल रहा है।
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दिसंबर 2015 में लैटिन अमेरिकी देश प्यूर्टो रिको में इसका पहला लक्षण दिखा। ब्राजील में कई गर्भवती महिलाएं जीका वायरस की चपेट में हैं। आज यह वायरस ब्राजील समेत अमेरिका के 23 देशों में फैल चुका है।
अगर किसी व्यक्ति को जीका वायरस से संक्रमित मच्छर काट लेता है तो उस व्यक्ति में इसके वायरस आते हैं। इसके बाद जब कोई और मच्छर उन्हें काटता है तो उस मच्छर में फिर से यह वायरस प्रवेश कर जाता है। इस तरह से यह वायरस एक जगह से दूसरी जगह फैल जाता है।
जीका वायरस के लक्षण
इसके लक्षणों का पता संक्रमित मच्छर के काटने के 10 दिन बाद लगता है। अगर सिरदर्द, हल्का बुखार, सर्दी, लाल आंखें, जोड़ों और मासपेशियों में दर्द और शरीर पर लाल रंग के चक्त्ते दिखें तो तुरंत ही डॉक्टर के पास जाएं। हर पांच में से एक के ही लक्षण दिखते हैं और बाकी को तो इसके लक्षण पता भी नहीं चलता।
जीका वायरस का उपचार
इस वायरस का मुकाबला करने के लिए कोई उपचार या टीका नहीं बना है। रोग विशेषज्ञों का कहना है कि इस वायरस का टीका बनने में समय लगेगा, हो सकता है कि इसका टीका अगले साल या फिर कुछ लंबे वक्त के बाद आए। ऐसा इसलिये क्योंकि यह वायरस अचानक से इतनी तेजी के साथ पैदा हो गया कि इसके टीके के लिये वैज्ञानिकों ने कभी सोचा ही नहीं। हालाकि अब रिसर्च तेज हो गई है।
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अगर कोई व्यक्ति, जो इस वायरस से संक्रमित रह चुका है, अपने देश वापस लौट कर आए तो हो सकता है कि वह अपने साथ इस वायरस को भी ले आए। एक बार अगर यह वायरस किसी को हो जाए तो आराम से यह दूसरे में भी फैल सकता है। कोई भी वायरस शरीर में लगभग 10 दिनों तक जिंदा रह सकता है।
जीका की कोई दवा नहीं
जीका से बचने के लिये कोई दवाई नहीं है इसलिए अच्छा होगा कि आप अच्छी तरह से रोकथाम के उपाय अपनाएं। मच्छरदानी, मॉस्किटो रैपलेंट का उपयोग करें, घर में और आस-पास सफाई रखें और गंदा पानी जमा ना होने दें।
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