मोटे पुरुषों ही नहीं, उनके बच्चों को भी होता है इन 4 बीमारियों का खतरा, जानें क्यों?

मां के स्‍वास्‍थ्‍य का असर उसके बच्‍चे पर भी पड़ता है लेकिन क्‍या आप ये जानते हैं कि पिता का स्‍वास्‍थ्‍य भी बच्‍चे के स्‍वास्‍थ्‍य को उतना ही प्रभावित करता है। जी हां  हाल में हुए एक अध्‍ययन के अनुसार पिता के स्‍वास्‍थ्‍य व जीवनशैली का बच्‍चे को भी प्रभावित कर सकती है।
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मोटे पुरुषों ही नहीं, उनके बच्चों को भी होता है इन 4 बीमारियों का खतरा, जानें क्यों?


यह कहावत तो आप सबने ही सुनी होगी कि 'जैसे मां-बाप वैसे बच्‍चे'। इस कहावत को कुछ लोग स‍ही भी मानते हैं और कुछ नहीं। लेकिन बच्‍चे पर माता-पिता का असर कुछ उनकी परवरिश और कुछ जीन और डीएनए के प्रभाव से होता है। यह बात तो हर कोई जानता है कि मां के स्‍वास्‍थ्‍य का असर उसके बच्‍चे पर भी पड़ता है लेकिन क्‍या आप ये जानते हैं कि पिता का स्‍वास्‍थ्‍य भी बच्‍चे के स्‍वास्‍थ्‍य को उतना ही प्रभावित करता है, जितना कि मां के स्‍वास्‍थ्‍य से। जी हां हाल 'बीएमसी मेडिसिन' में प्रकाशित, एक नये शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि पिता के स्‍वास्‍थ्‍य व जीवनशैली का बच्‍चे के स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रभाव पड़ सकता है। इसका मतलब यदि आप मोटापे के शिकार हैं, तो इसे आपके बच्चे के विकास के साथ जोड़ा जा सकता है।  

अध्‍ययन के अनुसार 

अध्ययन में यह भी कहा गया है कि पिता की दिनचर्या और दिन प्रतिदिन की गतिविधियों को उनके बच्चों में एपिजेनेटिक तंत्र द्वारा आसानी से स्थानांतरित किया जा सकता है। आप सोच रहे होंगे कि कुछ बच्चे हैं जो मधुमेह जैसे रोगों से ग्रस्त हैं, तो आपका सोचना बिलकुल सही है। यदि किसी विशेष बीमारी की अवधि के दौरान बच्चे की कल्पना की जाती है, तो संभावना है कि यह बच्‍चे में भी स्थानांतरित हो सकती है। इसके अलावा, अध्‍ययन से पता चलता है कि पिता के मोटापे के कारण बच्‍चे के विकास में रूकावट आती है और उनका विकास सही प्रकार नहीं को पाता है। अध्ययन से स्पष्ट परिणाम सामने आए हैं। जिसमें कहा गया है कि पिता की भलाई इसी में है कि वह अपने बॉडी मास इंडेक्स करें। मधुमेह जैसी बीमारियां उनके वंश के डीएनए पर प्रभाव डालने में सक्षम हैं। वैज्ञानिकों ने माता-पिता की विशेषताओं के बारे में जानकारी प्राप्त की, कि जो पैतृक दिनचर्या और कल्याण उनके अजन्मे बच्‍चे के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है

हालाँकि, आपका मोटापा आपके बच्चे के स्वास्थ्य की तुलना में आपके शरीर पर अधिक नुकसान पहुंचा सकता है। मोटापा आपकी शारीरिक कार्यक्षमता पर भी बुरा असर डालता है और लंबे जीवन की कामना के लिए खतरा पैदा कर सकता है।  डब्ल्यूएचओ (WHO) का कहना है कि मोटापे के कारण प्रत्येक वर्ष कम से कम 2.8 मिलियन लोग मर रहे हैं। इसके अलावा आनुवांशिकी, आयु और स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं भी आपके मोटे होने के खतरे को बढ़ा सकते हैं। आइए यहां हम आपको मोटापे के कारण होने वाली कुछ स्वास्थ्य समस्‍याओं के बारे में बताते हैं। 

हृदय रोग

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, हृदय रोग की शुरुआत के पीछे मोटापा एक प्रमुख जोखिम कारक है। अधिक वजन होना आपको एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों में रूकावट) के विकास के खतरे में डालता है। एथेरोस्क्लेरोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें रक्‍त में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है। यह आपके दिल और रक्त वाहिकाओं पर दबाव डालने के साथ आपके शरीर के अंगों और ऊतकों में रक्त के प्रवाह को रोकता है। इससे उच्च रक्तचाप होता है। इसके अलावा, यह रक्त के थक्के का कारण बन सकती है, जिससे आपको दिल का दौरा पड़ने का खतरा होता है। 

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एथेरोस्क्लेरोसिस के लक्षण प्रभावित धमनियों के स्थान पर निर्भर करते हैं। दिल की धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा होने की स्थिति में, आप सीने में दर्द का अनुभव करेंगे। यदि यह मस्तिष्क में धमनियों को प्रभावित करता है, तो आप अपनी बाहों या पैरों में कमजोरी महसूस कर सकते हैं।

श्वसन संबंधी विकार

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ जनरल मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, "मोटापा फेफड़ों की क्षमता को कम करता है। इसके अलावा यह श्वसन की मांसपेशियों और शक्ति को प्रभावित करता है। यदि आप मोटे हैं, तो आपके शरीर में ऑक्सीजन के प्रवाह को प्रतिबंधित करने वाले फेफड़ों की दीवारों पर कोलेस्ट्रॉल या वसा जमा हो सकती है। इसके अलावा, यह अस्थमाका कारण भी बन सकता है। जो लोग अधिक वजन वाले हैं, उनमें सामान्‍य लोगों की तुलना अस्थमा का खतरा तीन से चार गुना अधिक होता है।

डायबिटीज 

शरीर में वसा का संचय कोशिकाओं में मौजूद एंडोप्लाज़मिक रेटिकुलम (ER) पर जोर देता है। यह एक प्रकार का ऑर्गेनेल है जो प्रोटीन और लिपिड के संश्लेषण के लिए जिम्मेदार है। जब ईआर में बहुत सारे लिपिड होते हैं, तो यह इंसुलिन के प्रति प्रतिक्रिया को रोकने के लिए कोशिकाओं को संकेत भेजते है। जो कि डायबिटीज या मधुमेह कारण बनता है। 

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ऑस्टियोआर्थराइटिस

मोटापा आपके जोड़ों को भी नष्ट कर सकता है। अधिक वसा के कारण यह आपके जोड़ों में दर्द का कारण बनता है। इसके कारण आपके जोड़ो में धीरे-धीरे सूजन पैदा होने लगती है और दैनिक कार्यों को करने में भी आपको परेशानी होने लगती है। कई बार यह एक प्रकार का गठिया रोग ही है, जिसमें जोड़ों में दर्द, जोड़ों में अकड़न, लचीलेपन में कमी, हड्डियों में सूजन, घबराहट महसूस होने जैसे आदि जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

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