बदलते मौसम में जुकाम-बुखार एक आम समस्या है। मॉनसून में अक्सर बारिश के बाद तापमान में अचानक परिवर्तन होने से वायरल बुखार और संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा होता है। आमतौर पर इस मौसम में होने वाला सर्दी-जुकाम 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है मगर कुछ लोगों में ये लंबे समय तक बना रहता है। अगर आपको भी बदलते मौसम के कारण जुकाम-बुखार की समस्या है और ये ठीक नहीं हो रही है, तो इसका कारण आपकी ही कुछ गलतियां हो सकती हैं। वायरल बुखार या जुकाम होने पर इन 4 चीजों से बचाव जरूरी है।
पानी कम पीना
वायरल की हालत में आपको खूब पानी पीना चाहिये। इसके अलावा जूस और कैफीन रहित चाय का सेवन करें। ज्यादातर फलों में एंटी-ऑक्सीडेंट्स पाये जाते हैं जिनका सेवन करने से आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं। अगर आपको डायरिया या उल्टी की शिकायत है तो इलेक्ट्रॉल का सेवन आपके लिए फायदेमंद होगा। इसके अलावा, नींबू, लैमनग्रास, पुदीना, साग, शहद आदि भी आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
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एयर कंडीशनर में सोना
आमतौर पर मौसम बदलने पर भी लोग एसी का प्रयोग करते हैं। चूंकि मौसम बदलने के दौरान दिन और रात के तापमान में भारी अंतर आ जाता है। ऐसे में एसी में सोने से शरीर का तापमान काफी कम हो जाता है, जिसका नाक और गले पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कई बार लंबे समय तक ठंड में सोने पर आपको बुखार की समस्या भी हो सकती है। इसके अलावा एक शोध में पाया गया है कि एसी में सोने से आपके इम्यून सिस्टम पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
साफ-सफाई का ध्यान न रखना
वायरल बीमारियों का सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों को होता है जो अपने शरीर और अपने आसपास की सफाई का ध्यान नहीं रखते हैं। चूंकि मौसम के बदलाव के समय बीमारी के जीवाणु ज्यादा एक्टिव होते हैं इसलिए इस समय साफ-सफाई का विशेष खयाल रखना चाहिए। रोजाना साबुन से नहाना, कपड़े धूप में सुखाना, बाथरूम और ट्वॉयलेट की अच्छी तरह सफाई करना, खांसते और छींकते समय मुंह पर रूमाल रखना आदि बातों का ध्यान रखना जरुरी है। इसके अलावा सब्जियों को धुलकर पकाना और खाने से पहले हाथ धुलना भी बहुत जरूरी है।
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खांसने-छींकने के बाद कपड़ों में पोंछ लेना
मौसम के बदलाव के समय वायरल इंफेक्शन के जीवाणु ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं। इसलिए इस मौसम में पब्लिक प्लेस पर छींकते या खांसते समय आपको हमेशा रूमाल का प्रयोग करना चाहिए। छींकते समय मुंह पर रूमाल रखने से आप तो आपके साथ-साथ अन्य लोगों को भी वायरल इंफेक्शन से खतरा कम हो जाता है। इस मौसम में वातावरण में मौजूद वायरस एक-दूसरे में सांस के जरिये, छींकने से या खांसने पर ड्रॉप्लेट्स द्वारा फैलता है। इसे रेस्पिरिटरी इन्फेक्शन का वायरस कहते हैं।
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