हार्ट ट्रांसप्लांट का चलन आज के समय में बढ़ गया है। आजकल हार्ट ट्रांसप्लांट कर लोगों की जान बचाई जा सकती है। ऐसा ही एक मामला दिल्ली से सामने आया है, जहां ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टीट्यूट (AIIMS) से एक दो साल के बच्चे के हार्ट को चेन्नई भेजा गया है। जिससे एक 8 महीने की बच्ची की जान बचाई गई। आइये जानते हैं क्या था पूरा मामला।
क्या था पूरा मामला?
दरअसल, दो साल के एक ब्रेन डेड बच्चे का दिल दिल्ली से दो हजार किलोमीटर दूर चेन्नई पहुंचाया गया है, जिससे 8 महीने की बच्ची का हार्ट ट्रांसप्लांट करके जान बचाई जा सके। यह संभव प्रयास यातायात अधिकारियों और स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा हो पाया है। बच्ची डायलेटेड कार्डियक मायोपैथी से पीड़ित थी। यह हार्ट ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट एंड मकेनिकल सर्कुलेटरी सपोर्ट के डायरेक्टर डॉ. बालाक्रिशनन की देख-रेख में बच्ची का हार्ट ट्रांसप्लांट करने की प्रक्रिया पूर्ण रूप से सफल रही।
3.5 घंटे में पहुंचाया गया हार्ट
दिल्ली से चेन्नई तक हार्ट पहुंचाने की प्रक्रिया में कुल 3.5 घंटे का समय लगा। 18 नवंबर को ब्रेन डेड बच्चे के दिल को 1:30 पर निकाला गया था, जिसके बाद उसे आधे घंटे के अंदर दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचाया गया। विमान द्वारा हार्ट को 4 बजकर 40 मिनट पर चेन्नई एयरपोर्ट पहुंचा दिया गया था। जिसके बाद अस्पताल पहुंचने में उसे कुल 20 मिनट लगे और 5 बजे हार्ट को अस्पताल तक पहुंचा दिया गया था। हार्ट को जल्दी पहुंचाने के लिए एयरपोर्ट के आस-पास ग्रीन कॉरिडोर की व्यवस्था की गई थी। जिससे अस्पताल पहुंचने में देरी न हो सके।
हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत कब पड़ती है?
हार्ट ट्रांसप्लांट कराने की जरूरत तब पड़ती है जब किसी कारणवश रक्त हार्ट तक पहुंचने में सक्षम नहीं रहता है। जब हार्ट पंप करना बंद कर देता है तो इस स्थिति में मरीज को हार्ट ट्रांसप्लांट कराने की जरूरत पड़ती है।