करीब एक दशक तक केवल बैंगर, चिप्स, प्रिंगल, व्हाइट ब्रेड खाने और प्रोसेस्ड हैमबर्गर खाने के बाद 17 साल की उम्र में एक लड़का अंधा हो गया है। उसकी डाइट इतनी खराब थी कि जो कि सामान्य तौर पर केवल तीसरी दुनिया के कुपोषित बच्चों में ही देखने को मिलता है। जैक नाम का ये लड़का सामान्य ऊंचाई और वजन वाला लड़का है, जो आंशिक रूप से बहरा भी हो चुका है। वहीं जैक की मां एंजी ने अपनी अपने बच्चे की मदद के लिए हर संभव कोशिश करने और इस तरह के खाद्य पदार्थों पर कोई कार्रवाई न करने के लिए एनएचएस को जिम्मेदार ठहराया है।
जैक की मां का कहना है कि अगर मैं किसी और के बच्चे के बारे में यह खबर पढ़ रही होती है तो मैं उसकी खराब डाइट के लिए उसके परिजनों को जिम्मेदार ठहराती। लेकिन मैं जानती हूं कि मैं जैक के लिए सबकुछ कर सकती हूं। मैं उसे फल और सब्जियां खिलाती थी और एक हेल्दी लंच के साथ उसे स्कूल भेजा करती थी। उन्होंने कहा, ''वह दूसरों बच्चों की तरह घर से ही अपना खाना ले जाता था। मुझे कभी यह इतना गंभीर लगा ही नहीं।''
एंजी सबसे पहले अपने बेटे को 14 साल की उम्र में डॉक्टरों के पास ले गई थी, जब उसे थकान की शिकायत की थी। डॉक्टरों ने शुरुआत में उसमें एनीमिया की शिकायत बताई और उसे विटामिन के इंजेक्शन और ढेर सारा मीट और सब्जियां खाने की सलाह दी। लेकिन एक साल बाद उसे सुनने और देखने में समस्या शुरू हो गई, जिसने डॉक्टरों को हैरान कर दिया। 17 साल की उम्र तक पहुंचते हुए उसके कई टेस्ट कराएं गए, जिसमें सामने आया कि उसमें विटामिन बी 12 की कमी है और साथ ही उसमें कॉपर व सेलेनियम स्तर भी काफी कम है।
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यह स्थिति आमतौर पर ड्रग या फिर खराब डाइट के साथ शराब और धूम्रपान के कारण होता है। जैक ने ब्रिस्टल आई हॉस्पिटल के डॉक्टरों को बताया कि वह न तो शराब पीता है और न ही धूम्रपान करता है। वह वर्षों से सिर्फ सीमित डाइट ले रहा है, जिसमें नियमित रूप से बैंगर और चिप शामिल है।
जैक की मां ने कहा, ''उन्होंने शुरुआत में कहा था कि उसके सिर में दिक्कत है। लेकिन समय के साथ-साथ अहसास हुआ, कि जो भी गलत हो रहा, उससे उसकी आंखों को बचाने में बहुत देर हो चुकी है।''
उन्होंने कहा, ''यह पूरी प्रक्रिया ही दर्दनाक रही। हम जिस से गुजर रहे थे उसको लेकर मैं चिल्लाना चाहती थी यह बहुत ही मुश्किल दौर था। मेरे दो और बच्चे हैं, जो यह खाना नहीं छोड़ रहे हैं लेकिन वह ठीक हैं।'' जैक अब 19 साल का है और सुनने के लिए वह कान की मशीन का प्रयोग करता है लेकिन वह काम करने में सक्षम नहीं है। उसने कॉलेज छोड़ दिया है और वह अपना ज्यादातर समय अपने कमरे में ही बिताता है।
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ब्रिस्टल आई हॉस्पिटल की डॉ. डेंजी अटान का कहना है कि जब से वह इस पेशे में हैं तब से अब तक उन्होंने जंक फूड के कारण अंधेपन का इतना गंभीर मामला नहीं देखा है। उन्होंने कहा कि यह फलों और सब्जियों के साथ एक संतुलित डाइट लेने के महत्व को दर्शाता है। मरीज बहुत ज्यादा मात्रा में जंक फूड का सेवन करता था और अब वह पूर्ण रूप से अपनी दृष्टि और सुनने की क्षमता खो चुका है।
उन्होंने कहा, ''इस सबकी शुरुआत प्राइमरी स्कूल से हुई थी लेकिन जब तक बहुत देर नहीं हो गई तब तक उसकी समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया। विकसित देशों में इस तरह के मामले बहुत ही दुर्लभ है।''
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