कोरोना वायरस से बुजुर्गों को बचाने के 10 वास्‍तु टिप्‍स, जानिए वास्‍तु विशेषज्ञ डॉ. रविराज से

कोरोना वायरस संकट में हमें अपने बुजुर्गों की देखभाल करना बहुत जरूरी है। क्‍योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। 
  • SHARE
  • FOLLOW
कोरोना वायरस से बुजुर्गों को बचाने के 10 वास्‍तु टिप्‍स, जानिए वास्‍तु विशेषज्ञ डॉ. रविराज से


कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी ने किसी न किसी तरह से सभी को प्रभावित किया है और इस घातक वायरस के अदृश्य शक्ति से बचने के लिए हमारे पास कुछ नहीं है। कुछ विशेष रूप से जो जल्दी संक्रमित हो सकते है, उनमें से प्राथमिक हमारे घरों और समाज में बुजुर्ग हैं। वे स्वाभाविक रूप से कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के होते हैं और इसलिए वायरस या बैक्टीरिया या अन्य रोगजनकों द्वारा हमलों के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। इसलिए उनकी देखभाल करना हमारा कर्तव्‍य होना चाहिए। 

डॉ. रविराज अहिरराव, सह-संस्थापक, वास्तु रविराज ने बुजुर्गो के लिए एक स्वस्थ प्रतिरक्षा रखने और घातक COVID-19 वैक्सीन से लड़ने के लिए कुछ वास्तु टिप्स साझा किया है। जो हमें हमारे बुजुर्गों की देखभाल में मददगार साबित हो सकती हैं। आइए जानते हैं।

coronavirus-in-india

कोरोना वायरस से बचाव के वास्‍तु टिप्‍स

  • रसोईघर जो अग्नि तत्व को दर्शाता है वह दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में होना चाहिए। जिसकी अनुपस्थिति से अपच, अतिवृद्धि, उच्च तनाव और दृष्टि की शिकायत हो सकती है।
  • जल तत्व या उत्तर से पूर्व क्षेत्र में कोई असंतुलन होने से कार्डियक स्वास्थ्य की समस्या हो सकती है।
  • उत्तर-पश्चिम में वास्तु-दोषों से संकेत मिलता है कि वायु तत्व की गड़बड़ी अस्थमा जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बनती है।
  • बुजुर्गो को दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में नहीं सोना चाहिए अन्यथा इससे हृदय और अवसाद संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। उनके लिए सोने का सबसे अच्छा क्षेत्र उत्तर-पूर्व क्षेत्र है जो शारीरिक और मानसिक शांति बनाए रखने में मदद करता है।
  • दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में वास्तु दोषों की उपस्थिति त्वचा और हड्डी से संबंधित समस्याओं का कारण बन सकती है जो कि बुजुर्ग लोगों में कमजोर होती हैं।

इसे भी पढ़ें: क्‍या कोरोनावारस पर पड़ेगा बारिश का असर, मानसून में COVID-19 फैलेगा या नहीं, जानिए वैज्ञानिकों की राय

  • ब्रह्मा क्षेत्र (जो घर का मध्य क्षेत्र है) से पेट की बीमारियां और मधुमेह की समस्याएं कारण का बढ़ सकती है।
  • गलत दिशा में भगवान का मंदिर या निवास करने से इलाज से जुड़ी बीमारियां और खराब प्रतिक्रिया हो सकती हैं।
  • सभी दवाओं और स्वास्थ्य संबंधी दस्तावेजों को उत्तर-पूर्व क्षेत्र के उत्तर में रखा जाना चाहिए। इसके अलावा मरीजों को हमेशा उत्तर-पूर्व क्षेत्र के उत्तर में सोना चाहिए।
  • हमेशा सुबह की सूरज की किरणों को घर में प्रवेश करने देना चाहिए, यह सभी कीटाणुओं और जीवों को मार देती है; हालांकि घर में डूबते हुए सूर्य की किरणों को आने पर हमेशा प्रतिबंध लगाना चाहिए। वरिष्ठ नागरिकों को हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए अपने शरीर को सुबह की सूरज की किरणों के संपर्क में लाना चाहिए।
  • उत्तर पूर्व में टॉयलेट, ड्रेनेज सिस्टम, सेप्टिक टैंक और कूड़े के डिब्बे की मौजूदगी प्रतिरक्षा को कम करती है और लोगों को बीमारियों का अधिक शिकार बनाती है।

इसे भी पढ़ें: कोरोना वायरस से जान बचा सकती है 50 पैसे की डेक्‍सामेथासोन टैबलेट, ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने किया खुलासा

वास्तु शास्त्र क्‍या है?

डॉ. रविराज अहिरराव के मुताबिक, भारतीय मूल का आध्यात्मिक विज्ञान, वास्तुशास्त्र, निर्माण का एक विज्ञान है जो मानव जीवन और प्रकृति के बीच संतुलन को बनाएरखता है। पांच मूल तत्व (अर्थात् अंतरिक्ष, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी), आठ दिशाएं (अर्थात् उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, पश्चिम, उत्तर-पश्चिम), विद्युत- पृथ्वी की चुंबकीय और गुरुत्वाकर्षण बल, ग्रहों से और साथ ही वातावरण और मानव जीवन पर इसके प्रभाव से निकलने वाली ब्रह्मांडीय ऊर्जा सभी को वास्तुशास्त्र में ध्यान में रखा गया है।

Read More Articles On Mind Body In Hindi

Read Next

खराब होते मानसिक स्वास्थ्य को लेकर न रहें चुप, खुद से भागें नहीं बल्कि अपनाएं ये 4 आसान टिप्स

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version