प्लेग की बीमारी "येरसीनिया पेस्टिस" नामक एक बैक्टीरिया के संक्रमण से होती है। अगर संक्रमण की शुरुआत में ही इलाज नहीं किया जाए तो ये बीमारी घातक भी साबित हो सकती है। यह बिमारी चूहों के शरीर पर पलने वाले कीटाणुओं की वजह से भी फैलती है और ये अत्यंत संक्रामक होती है। प्लेग के मरीज की सांस और थूक के जरिए उनके संपर्क में आने वाले लोगों में भी प्लेग के बैक्टीरिया का संक्रमण हो सकता है। इसलिए प्लेग के मरीज का इलाज करते समय या उनके संपर्क में रहते समय एहतियात बरतने की आवश्यकता होती है।
कारण
प्लेग येरसीनिया पेस्टिस नामक बैक्टेरिया के कारण होता है। इस रोग को कई नाम से जाना जाता है जैसे ताऊन, गोटी वाला ज्वर। इसके बैक्टेरिया सीलन वाले स्थानों, कूड़ा तथा सड़ी गली चीजों में पनपता है। यह रोग उन पदार्थों में भी फैलता है जिनमें से गंदी बदबू आती है तथा भाप निकलती है। इन किटाणुओं का हमला पहले-पहले चूहों के पिस्सुओं पर होता है और फिर यह बीमारी चूहों के द्वारा मनुष्यों को भी हो जाती है। जिन व्यक्तियों के शरीर में पहले से ही दूषित द्रव्य जमा रहता है उन व्यक्तियों को यह रोग जल्दी हो जाता है। यह दूषित द्रव्य नहीं होता है उन व्यक्तियों का ये कीटाणु कुछ भी नहीं बिगाड़ पाते हैं।
प्लेग के प्रकार
न्यूमॉनिक
न्यूमोनिक प्लेग रोग जब किसी व्यक्ति को हो जाता है तो इसका हमला सबसे पहले फेफड़ों पर होता है और रोगी को कई प्रकार की समस्या शुरु हो जाती है।न्यूमोनिक प्लेग में लक्षणों के दिखने के दो या तीन बाद ही इसका पता लग जाता हैं। इसके लक्षणों को जानें
- कफ
- सांस लेने में तकलीफ
- बुखार
- सांस लेने में सीने में दर्द
ब्यूबॉनिक
जब किसी व्यक्ति को प्लेग रोग हो जाता है तो उसकी जांघो, गर्दन आगि अंगों की ग्रंथियों में दर्द के साथ सूजन हो जाती है। इस रोग के पीड़ित रोगी की गिल्टी एक के बाद दूसरी फिर तीसरी सूजती है और फिर फूटने लगती है और बुखार उतर जाता है तो उसे अच्छा समझना चाहिए नहीं तो इस रोग का परिणाम और भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है। लेकिन कुछ समय में ये 7-10 दिनों के बाद फूटती है। यह प्लेग रोग ज्यादातर लोगों में होता है। ब्यबोनिक प्लेग के लक्षण अचानक ही दिखाई देते हैं, सामानयत: दो से पांच दिन इस संक्रमण का पता लग जाता है। इसके लक्षणों को जानें
- लिम्फ़ ग्रंथियों में सूजन
- बुख़ार
- सांस लेने में कठिनाई
- खांसी
- ठंड लगना
- सिर में दर्द
- मांसपेशियों में दर्द
- बीमार महसूस करना
सेप्टीसिमिक
जब यह प्लेग किसी व्यक्ति का हो जाता है तो रोगी के शरीर के कई अंग सिकुड कर सड़ने लगते हैं और रोगी के शरीर का खून जहरीला हो जाता है। रोगी की शारीरिक क्रियाएं बंद हो जाती हैं। इस रोग को होने के कारण रोगी को बहुत अधिक परेशानी होती है। जब यह प्लेग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो वो दो या तीन दिन जीवित रहता है। सेपटीसिमिक प्लेग के लक्षणों के कारण रोगी की मौत भी हो सकती है। इसके लक्षणों इस प्रकार हैं।
- पेट में दर्द
- ब्लीडिंग
- डायरिया
- बुखार
- उल्टी
- मितली
इंटेस्टिनल
इस रोग का प्रकोप रोगी की आंतो पर होता है। इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति का पेट फूलने लग जाता है और पेट और कमर में दर्द होने लगता है और उसे दस्त भी होने लगते हैं। रोगी के शरीर में कमजोरी बढ़ जाती है।
इलाज
प्लेग के लक्षण दिखने के तुरंत बाद रोगी को जरूरी इलाज दिया जाना चाहिए। अगर रोगी को 24 घंटे के अंदर जरूरी चिकित्सा नहीं दी जाए इसके लक्षण बढ़ते जाते हैं जिसकी वजह से रोगी की जान भी जा सकती है। प्लेग के रोगियों को स्ट्रेप्टोमाइसिन और टेट्रासायक्लाइन जैसी दवाइयों की सलाह दी जाती है। प्लेग से बचने के लिए टीका विकसित करने के लिए शोधकार्य जारी हैं लेकिन अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है। प्लेग रोग से बचने के लिए व्यक्तियों को यह ध्यान रखना चाहिए कि जैसे ही घर में चूहें मर जाएं उसे घर से बाहर छोड़ देना चाहिए तथा जहां पर रह रहे हो उस जगह पर साफ-सफाई का ध्यान देना चाहिए।
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