आपकी हर एक उंगुली बयां करती हैं आपके दिल का हाल

क्या आप जानती हैं कि आपकी पांच अंगुलियां आपके अलग-अलग इमोशन्स भी व्यक्त करती है? प्राचीन जापानी फिलोसाफी और मास्टरी जीन शीन ज्यूत्सो की मानें तो हमारे हाथ की अंगुलियां न सिर्फ हमारी भावनाएं व्यक्त करती हैं बल्कि हमारी ऊर्जा को भी नियंत्रित करती है।
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आपकी हर एक उंगुली बयां करती हैं आपके दिल का हाल


क्या आप जानती हैं कि आपकी पांच अंगुलियां आपके अलग-अलग इमोशन्स भी व्यक्त करती है? प्राचीन जापानी फिलोसाफी और मास्टरी जीन शीन ज्यूत्सो की मानें तो हमारे हाथ की अंगुलियां न सिर्फ हमारी भावनाएं व्यक्त करती हैं बल्कि हमारी ऊर्जा को भी नियंत्रित करती है। इतना ही नहीं ये हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी तत्व है। वास्तव में हमारे हाथ की सभी अंगुलियां किसी न किसी शारीरिक अंग से जुड़ी हुई होती हैं जिससे हमारा स्वास्थ्य नियंत्रित होता है।

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अंगूठा

अंगूठा वास्तव में हमारे पेट से जुड़ा होता है। लेकिन जहां तक बात इमोशन्स की है, तो यह हमारी उदासी, तनाव, एंग्जाइटी, टेंशन जैसी भावनाओं को व्यक्त करता है। जब तनाव या टेंशन होता है तो आपने महसूस किया होगा कि नर्वसनेस होती है, पेट में दर्द होने का अहसास होता है, सिरदर्द होता है; इतना ही नहीं कई बार त्वचा सम्बंधी समस्या भी देखी जाती है।

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तर्जनी

हमारी तर्जनी अंगुली मूत्राशय और किडनी से सम्बंधित है। इसे अंगुली से भाव जुड़े होते हैं, वे हैं-कंफ्यूजन, नकारे जाने का डर, ह समय अस्त-व्यस्त रहना आदि। यदि आप कंफ्यूज्ड हैं फिर किसी से नकारे जाने के डर से ग्रसित हैं तो आप पेट में दर्द, हाजमे की परेशानी, मसल्स में दर्द, दांत में सरसराहट, पीठ में दर्द जैसी परेशानी हो सकती है।

मध्यमा

मध्यमा यानी बीच वाली अंगुली। इस अंगुली हमारे जो दो आर्गन जुड़े होते हैं, वे हैं गालब्लैडर और लीवर। इस अंगुली से जो भावनाएं व्यक्त होती हैं वे हैं चिड़चिड़ापन, फैसले लेने में असमर्थता, गुस्सा, खींझ आदि। इस तरह की समस्या होने पर जो शारीरिक लक्षण देखने में मिलते हैं वे हैं माइग्रेन की समस्या, देखने में दिक्कत, रक्त संचार में अटकन, महिलाओं में मासिक धर्म की समस्या, पेट में दर्द, बेचैनी आदि।

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अनामिका

अनामिका को सामान्यतः रिंग फिंगर के नाम से जाना जाता है। यह मलाशय और फेफड़ों से जुड़ी होती है। इसमें दूसरों से नकारे जाने का डर, उदासी, नकारात्मकता की जकड़ में कैद रहना, हर समय परेशान रहना जैसी चीजें शामिल होती हैं। इसके शारीरिक लक्षण हैं- पाचनक्रिया में समस्या, अस्थमा, कानों में तरह-तरह की आवाजें सुनना, त्वचा सम्बंधी समस्या होना आदि।

सबसे छोटी अंगुली

यह हमारी आंत और हृदय से जुड़ी होती है। आत्मविश्वास की कमी, नर्वसनेस, एंग्जाइटी, परवाह करना जैसे इमोशन्स इस अंगुली के साथ जुड़े होते हैं। इन सब दिक्कतों के होते ही आप हड्डियों से जुड़ी समस्या, हृदय सम्बंधी रोग, पेट में मरोड़, गले में संक्रमण जैसी परेशानियां महसूस कर पाती हैं।

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