
How do Painkillers Actually Kill Pain: शरीर में दर्द, थकान और स्ट्रेस होने पर अक्सर लोग दर्द कम करने वाली पेनकिलर (Painkiller Medicine) दवाओं का सेवन कर लेते हैं। इस तरह की दवाओं का सेवन अक्सर लोग बिना डॉक्टर की सलाह के ही करते हैं। पेनकिलर दवाएं मेडिकल स्टोर पर बिना डॉक्टर की पर्ची के भी मिल जाती हैं। पेनकिलर खाने के बाद दर्द, सूजन और शरीर की थकान में आराम मिल जाता है। कई बार शरीर के अलग-अलग हिस्सों में दर्द या परेशानी होने पर भी ये दवाएं खाने के कुछ देर बाद दर्द गायब हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, पेनकिलर दवाओं को कैसे पता चलता है कि शरीर के किस हिस्से में दर्द है और इसे कैसे कम करना चाहिए? आइए इस लेख में विस्तार से समझते हैं, आखिर पेनकिलर दवाएं कैसे काम करती हैं?
पेनकिलर खाने से दर्द कैसे हो जाता है दूर?- How do Painkillers Actually Kill Pain in Hindi
आज के समय में मरके में कई तरह की पेनकिलर दवाएं मिल जाएंगी। इन सभी दवाओं का काम शरीर में हो रहे दर्द में आराम देना होता है। पेनकिलर खाने के बाद आराम मिलने पर लोगों को लगता है, कि उनका दर्द या परेशानी ठीक हो गई है। लेकिन सवाल यह है, कि क्या वाकई पेनकिलर दवाओं का सेवन करने से परेशानी ठीक हो जाती है। बाबू ईश्वर शरण हॉस्पिटल के सीनियर फिजीशियन डॉ समीर कहते हैं, "पेनकिलर दवाओं के प्रभाव को समझने पर पहले हमें यह जानना होगा कि चोट लगने या अधिक दबाव पड़ने पर दर्द कैसे होता है।" उन्होनें बताया कि, "जब शरीर के किसी हिस्से में चोट लगती है, तो कई ऐसे केमिकल बनते हैं जो उस जगह पर दर्द का अहसास कराते हैं। प्रोस्टाग्लैंडिग (prostaglandin) नामक केमिकल की वजह से दर्द और जलन बढ़ जाती है। ये केमिकल चोट वाली जगह पर व्हाइट ब्लड सेल्स के साथ पहुंचते हैं।"

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डॉ समीर कहते हैं, पेनकिलर दवाएं शरीर में इस केमिकल को बनने से रोकने का काम करती हैं। जब आप पेनकिलर दवा खाते हैं, तो यह घुलने के बाद ब्लड में मिलती हैं। इसके बाद ये दवाएं दिमाग पर पहुंचकर इस तरह के केमिकल को बनने से रोकती हैं। इसके बाद आपका दिमाग इस केमिकल को रिलीज होने से रोकता है और दर्द के सिग्नल को बंद कर देता है। यही कारण है कि पेनकिलर खाने के बाद आपको दर्द का अहसास कम हो जाता है। लेकिन जैसे ही इस तरह की दवाओं का असर कम होता है, आपको दोबारा दर्द का अहसास हो सकता है।
बीमारी और समस्या के हिसाब से अलग होते हैं पेनकिलर
हर समस्या और बीमारी में एक ही तरह की पेनकिलर दवाएं नहीं काम करती हैं। यही कारण है कि बिना डॉक्टर की सलाह के खुद से पेनकिलर खाने के बाद भी दर्द कम नहीं होता है। डॉक्टर मरीज की स्थिति के हिसाब से उन्हें पेनकिलर लेने की सलाह देते हैं। पेट में होने वाले गंभीर दर्द में NSAIDs (नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स) नहीं दिए जाते हैं। इसलिए डॉक्टर भी यह सलाह देते हैं, कि ओवर द काउन्टर पेनकिलर दवाओं का सेवन करने से बचना चाहिए। बिना डॉक्टर की सलाह के अपने मन से पेनकिलर खाने से साइड इफेक्ट भी हो सकता है।
अलग-अलग तरह के पेनकिलर का इस्तेमाल अलग-अलग समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है। पैरासिटामॉल जैसी पेनकिलर का इस्तेमाल शरीर में थकान, बुखार और सामान्य स्ट्रेस के कारण होने वाले दर्द को दूर करने के लिए किया जाता है। इन दवाओं के साइड इफेक्ट भी कम होते हैं। इसके बाद NSAIDs (नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स) सामान्य चोट और दर्द में दिया जाता है। इसके अलावा Opioids (ओपिओइड्स) नामक पेनकिलर गंभीर दर्द में दिया जाता है। इस तरह के पेनकिलर नर्वस सिस्टम पर असर करते हैं, जिससे इंसान को दर्द महसूस नहीं होता है।
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किसी भी तरह के पेनकिलर का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए और पेनकिलर खाने के बाद परेशानी होने पर इसे नजरअंदाज करने से बचना चाहिए।
(Image Courtesy: freepik.com)
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