रोज योनि मुद्रा का अभ्यास करने से दूर होते हैं कई रोग, एक्सपर्ट से जानें इस मुद्रा के फायदे, तरीका और सावधानी

प्रजनन तंत्र को मजबूत बनाने में योनि मुद्रा बहुत कारगर है। इस मुद्रा को किसी की देखरेख में करने से पूरा फायदा मिलता है।
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रोज योनि मुद्रा का अभ्यास करने से दूर होते हैं कई रोग, एक्सपर्ट से जानें इस मुद्रा के फायदे, तरीका और सावधानी


योनि मुद्रा योग की एक महत्त्वपूर्ण मुद्रा है। यह महिला प्रजननांगों से संबंधित समस्याओं को दूर करने में मदद करती है। योनि मुद्रा संस्कृत भाषा का शब्द है। ये दो शब्दों से मिलकर बना है। योनि+मुद्रा। योनि का अर्थ है महिला का प्रजनन अंग यानि गर्भ। मुद्रा का अर्थ है एक ही स्थिति को बनाए रखना। जिस प्रकार गर्भ में बच्चा बाहरी दुनिया से अलग शांत रहता है ठीक वैसे ही इस मुद्रा को करने वाले भी बाहरी दुनिया से कट जाते हैं। योग में अनेक मुद्राएं जो शरीर के अलग-अलग रोगों को समाप्त करने के लिए हैं। ठीक वैसे ही योनि मुद्रा है। इनोसेंस योगा की योग एक्सपर्ट भोली परिहार ने योनि मुद्रा के फायदे और विधि बताए। आइए जानते हैं इस मुद्रा के बारे में।

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क्या है योनि मुद्रा

ये मुद्रा गर्भाशय (Uterus) जैसी दिखती है। जिस प्रकार बच्चा गर्भ में रहता है और उसका संपर्क बाहरी दुनिया से उतना नहीं होता, उसी प्रकार इस मुद्रा में भी हमें अपने संपर्क बाहरी दुनिया से हटाकर आंतरिक करना होता है। इस मुद्रा की आकृति समझने के लिए तर्जनी उंगली और अंगूठों को जोड़ने पर जो आकृति बनेगी ये मुद्रा वैसी दिखती है।

योनि मुद्रा के फायदे (Benefits of yoni mudra)

प्रजनन तंत्र (Reproductive system) संबंधी परेशानियों को करे दूर

योग एक्सपर्ट भोली परिहार के मुताबिक, योनि मुद्रा महिलाओं को गर्भ से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या जैसे माहवारी के दौरान दर्द, कंसीव करने में दिक्कत आदि को दूर करती है। अगर इस मुद्रा को सही प्रकार से किया जाए तो हमारे प्रजनन तंत्र से संबंधित सभी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है। यह मुद्रा योनि अर्थात प्रजनन तंत्र में लाभकारी है।  

तनाव करे कम

योनि मुद्रा करते समय ध्यान पूरा क्रिया पर होता है। हम बाहरी दुनिया से कट जाते हैं। इसलिए तनाव कम होता है। तो वहीं, चिंता,  चिड़चिड़ापन, गुस्सा आदि को भी यह मुद्रा दूर करती है। इस मुद्रा को करने से रासायनिक स्राव (Chemical secretion) होता है। साथ ही साथ जिसके कारण हमें सकारात्मक व तनावमुक्त महसूस होता है। यह मुद्रा शरीर से विषैल पदार्थों को भी बाहर निकलती है। पूरा शरीर तनावमुक्त होता है। यह मुद्रा हमारे तंत्रिका तंत्र के लिए भी बहुत फायदेमंद है। यह हमारी एकाग्रता को बढ़ाता है। साथ ही साथ हमें आंतरिक शांति भी प्रदान करती है। 

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अनिद्रा को भगाए

बदलती जीवनशैली में सबसे ज्यादा नींद प्रभावित हो रही है। योग से इस परेशानी का हल निकाला जा सकता है। योनि मुद्रा करने से हमारा कार्टिसोल हार्मोन (Cortisol harmone) बढ़ता है जिसके कारण नकारात्मक विचार कम होते हैं और हमें अच्छी नींद आती है।

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योनि मुद्रा करने की विधि

घेरण्ड संहिता में षणमुखी मुद्रा को ही योनि मुद्रा कहा गया है। योनि मुद्रा को करने की विधि यहां घेरण्ड संहिता के अनुसार बताई जा रही है।

  • अपने दोनों पैरों को मोडकर सुखासन या वज्रासन या कोई भी ध्यानात्मक आसन में बैठ जाएं। जिसमें आपको सहजता महसूस हो उस आसन में बैठें। 
  • अपने शरीर को बिल्कुल सीधा रखते हुए कंधों को हल्का सा ढीला छोड़ते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और अपने अंगूठों को कानों के पास रखें।
  • अपनी तर्जनी उंगली (Index finger) को अपनी आंखों पर और मध्यमिका को नाक के बगल (Middle finger) और अनामिका (Ring Finger) को होठों के ऊपर वाले हिस्से पर रखें व अपनी छोटी उंगली को होठों के नीचे वाले हिस्से पर रख दें।
  • सांस को अपनी नाक से भरते हुए अपनी मध्यमिका से नाक को अगल-बगल से बंद कर दें। सांस को अपनी क्षमता के अनुसार रोकें व कुछ समय पश्चात ओम का जाप करते हुए धीरे से सांस को बाहर छोड़ दें। 
  • इसमें आप भंवरे की तरह हमिंग साउंड या कंपन भी कर सकते हैं। इसमें आपको अपने पूरे चेहरे पर कंपन महसूस होगी।
  • धीरे से वापस आ जाएं।
  • शुरुआत में किसी की देखरेख में करें। अपनी क्षमता के अनुसार मुद्रा करते समय रुकें। 

सावधानी

  • अगर आपकी गर्दन व पीठ में दर्द है तो इस मुद्रा को न करें।
  • अगर आपको बुखार है या किसी भी तरह से तबीयत खराब  होत तो भी इस आसन को न करें।
  • यदि आपको इस मुद्रा को करने में परेशानी महसूस हो रही हो तो इस मुद्रा को न करें।

योनि मुद्रा शरीर के कई रोगों को भगाने में कारगर है। यह मुद्रा प्रजनन तंत्र को भी मजबूत और रोग मुक्त रखती है। इस मुद्रा को करते समय बताई गई सावधानियों का ध्यान रखें।

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