आमतौर पर हमलोगों ने कई बार इस बात पर ध्यान दिया है कि बच्चे सोते वक्त कभी हसंते है तो कभी रोती हुई शक्ल बनाते हैं। माना जाता है कि यह बच्चों के शारीरिक विकास से जुड़ी प्रक्रिया हैं । लेकिन इसके अलावा हम बच्चों को सोते समय हिलते या झटके खाते हुए भी देख सकते हैं। कई बार माता-पिता इसे आम हरकत समझकर अनदेखा कर देते हैं और इसे सोने के दौरान होने वाली आम क्रिया मान लेते हैं। लेकिन बच्चों के झटके या नींद में हिलने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इसके अलावा अगर आपका बच्चा सोते वक्त जोर से हिलता है और रोते हुए उठ जाता है तो ये किसी गंभीर परेशानी के संकेत हो सकते हैं। इसे हल्के में लेने की बजाय आपको डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। बच्चों को सोते वक्त होने वाले झटकों के बारे में विस्तार से बता रही हैं डायटीशियन और गुड़गांव के पारस अस्पताल की डायटीशियन नेहा पठानीया।
सोते वक्त बच्चों को झटके क्यों आते हैं (why Babies Jerking when sleeping)
1. सोते वक्त अगर आपका बच्चा हिलता या झटके खाता है तो इसके पीछे सबसे पहला कारण अविकसित मस्तिष्क या नसों का विकास हो सकता है जो , पूरी तरह से नॉर्मल है। इसके लिए आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है।
2. कभी-कभी बच्चे सोते वक्त झटकों का अनभव इसलिए भी करते हैं क्योंकि वे कच्ची नींद में होते हैं। बच्चों की नींद पूरी न होने पर उनकी आंखे खुली रहती है और वे अपने पैर हाथ हिलाते हैं। ऐसे में बच्चों को अच्छे से शांत जगह पर सुलाना बहुत जरूरी है। अच्छी नींद न होने पर उनका विकास अच्छे से नहीं हो सकता है।
3. इसके अलावा मांसपेशियों की ऐंठन या दर्द के कारण भी बच्चों के झटके आते हैं। इसके लिए उनके शरीर और चेहरे की अच्छे से मालिश करें क्योंकि बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए मालिश बेहद फायदेमंद होती है।
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4. झटकों का एक कारण थकान और तेज आवाज से भी हो सकता है। इससे बच्चा अपने हाथ-पैर, पीठ और कंधे हिलाने लगता है।बच्चों को हमेशा शांत कमरे या जगह पर सुलाने की कोशिश करें। इसके अलावा थकान के लिए जैसा कि हमने बताया कि मालिश सबसे अच्छा उपाय है। उसे जरूर अपनाएं।
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5. इसके अलावा अगर मां गर्भावस्था के दौरान अधिक कैफीन का सेवन करती है तो उस स्थिति में बच्चे को सोने के दौरान ऐसी हरकतें करते हैं।
6. एक अन्य कारण रैपिड आई मूवमेट(आरईएम) का सेंसरिमोटर विकास से भी जुड़ा हुआ है, जिसमें सोते वक्त बच्चे अपने शरीर को हिलाते हैं। इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि विकास के दौरान बच्चों का शरीर उन्हें अंगों के काम के बारे में सिखाता है इसलिए भी ये हरकते होती हैं।
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बच्चों को झटके आने पर क्या करें
हालांकि सोते समय बच्चों को झटके आना नॉर्मल है लेकिन अगर इसकी वजह से आपका बच्चा बार-बार उठ जाता है तो, ये आपके लिए परेशानी का कारण हो सकता है। इसके लिए जब बच्चे के पास हो और उसे झटके आ रहे हो तो उसके हाथ-पैर को सहलाएं। साथ ही उसके सिर पर प्यार की थपकी दें। हो सके तो सोने से कुछ देर पहले बच्चे की अच्छे से मालिश करें। इसके अलावा अगर आपका बच्चा झटकों के बाद कच्ची नींद में उठकर रोने लगे तो उसे आप अपना दूध पिलाकर फिर से सुला सकती है ताकि वह पूरी नींद लें सके। घर के माहौल को शांत रखने की कोशिश करें ताकि बच्चा आराम से सो सकें क्योंकि बच्चे नींद में तेज आवाज सुनकर भी डर जाते हैं और रोने लगते हैं। साथ ही मां को बच्चे के जन्म के बाद भी खानपान के प्रति सावधानी सचेत रहना चाहिए क्योंकि आप जैसा खाते हैं बच्चों पर वैसा ही असर पड़ता है। अपने खाने में कैल्शियम, मैग्नीशियम और आयरन जैसे पोषक तत्व और खनिजों को जरूर शामिल करें।
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कब तक और कितने बार बच्चों को आते हैं झटके
अमूमन सोते वक्त 2-3 महीने के बच्चों को ही झटके आते हैं और यह एक बार में तीन से चार बार हो सकता है। लेकिन अगर आपके बच्चों को कई बार झटके आ रहे हैं या फिर वह जोर-जोर से झटके ले रहा है तो ये परेशानी का कारण हो सकता है। इसके अलावा अगर आपका बच्चा झटकों के बाद रोने लगता है और उठ जाता है तो उसकी नींद भी पूरी नहीं होगी और इस स्थिति में वह बीमार भी पड़ सकता है। इसके अलावा ज्यादा झटके मिर्गी का कारण भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में आप तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।