हम में से कई लोगों के लिए, जूस हमारे डाइट का एक मुख्य हिस्सा है। हमारी तेज-तर्रार और व्यस्त जिन्दगी में, जूस एक ऐसी चीज है, जो हमारा समय बचाता है और शरीर को पोषक तत्वों से भर देता है। ये हमें विटामिन, मिनरल्स और कई तरह के अन्य पोषक तत्व प्रदान करता है। पर क्या जूस पीना इतना ही फायदेमंद है? दरअसल टोरंटो विश्वविद्यालय (University of Toronto) के पोषण विज्ञान विभाग द्वारा किए गए शोध से पता चलता है कि जब हम फलों और सब्जियों का रस निकालते हैं, तो कुछ स्वस्थ फाइबर खो जाते हैं, जिससे हमारे पेट की सेहत को नुकसान हो सकता है। वहीं इसके कुछ और नुकसान (juicing side effects) भी हैं, आइए जानते हैं विस्तार से।
जूस पीने के नुकसान (Juicing: Good or Bad)?
1. पेट की सेहत को नुकसान
फल और सब्जियों के रस में फाइबर की कमी होती है, जिसके कारण हमारा मेटाबोलिज्म स्लो हो जाता है। दरअसल फलों में मौजूद फाइबर पाचन में मदद करता है और पेट के गट बैक्टीरिया के लिए अच्छा होता है। वहीं ये पाचनतंत्र को नियमित रखने में मदद करता है और पेट से जुड़ी बीमारियों को रोकने में मदद करता है। जब आप फलों का दैनिक रूप से सेवन करते हैं, तो ये आपके पेट को साफ करने और डिटॉक्स करने का भी काम करता है, पर जूस ये सब नहीं कर पाता है। वहीं आहार में फाइबर की कमी से कब्ज, वजन बढ़ना, ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव, मतली और थकान हो सकती है।
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2.ब्लड शुगर को असंतुलित करता है
जूस बनाने में फलों के कई न्यूट्रिएंट्स मर जाते हैं। वहीं जूस के साथ हम सिर्फ फलों के फाइबर को नहीं है खो देते हैं बल्कि इममें पाए जाने वाले पॉलीफेनोल्स और एंटीऑक्सिडेंट आदि को भी खो देते हैं। इस वजह से हमारे ब्लड शुगर को असंतुलित रखता है। साथ ही इससे डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल से जुड़ी परेशानियां भी बढ़ने लगती हैं।
3. जूस में कम हो जाता है एंटीऑक्सिडेंट
एंटीऑक्सिडेंट सूजन और एंजाइमों को संतुलित करने के लिए जाने जाते हैं जो पाचन में मदद करते हैं। वहीं फलों और फ्रेश जूस में तो एंटीऑक्सिडेंट की मात्रा ज्यादा होती है पर पैक्ड जूस में ये धीरे-धीरे कम होने लगता है। साथ यही पैक्ड जूस में एंटीऑक्सिडेंट की मात्रा कम हो जाने से एंजाइम गतिविधियों में कमी आ जाती है। वहीं यूएस नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, जूस से ज्यादा फलों में एंटीऑक्सिडेंट गतिविधियां अधिक मजबूत होती हैं और जूस की तुलना में इनमें बड़ी मात्रा में फेनोलिक यौगिक होते हैं जो शरीर को डिटॉक्स करने में आसानी से मदद करते हैं।
4. जूस में ज्यादा होती है शुगर की मात्रा
आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जहां जूस में नेचुरल शुगर अधित होता है, वहीं ये शरीर में तेजी से कैलोरी बढ़ाता। इसलिए, अगर आप ऐसे व्यक्ति हैं जो अपने ब्लड शुगर के स्तर को देख रहे हैं या कार्बोहाइड्रेट या कैलोरी को ध्यान में रखने की कोशिश कर रहे हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप जो जूस पी रहे हैं उसके कैलोरी और शुगर लेवल को जरूर चेक करें।
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इस तरह जूस में फाइबर के नुकसान को कम करने के लिए, आप इसे बनाते समय ये ध्यान रखें कि जूस में गूदे की कुछ मात्रा बरकरार रहे। आप जूसर के बजाय फूड प्रोसेसर या ब्लेंडर का उपयोग कर सकते हैं क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि रस में फाइबर युक्त गूदा रहे। वहीं याद रखें कि जूसिंग से हमें महत्वपूर्ण पोषक तत्वों का उपभोग करने में मदद मिल सकती है, लेकिन इसे हमारे भोजन में पूरे फल और सब्जियों की जगह नहीं दी जा सकती।
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