दांतों का स्वस्थ और खूबसूरत होना सभी के लिए काफी मायने रखता है। पर अक्सर बहुत से लोगों में हम पाते हैं कि उनके कुछ दांतों के बीच गैप होता है। अगर यह गैप सामने के दांतों के बीच होता है तो यह अक्सर आपकी सुंदरता को बिगाड़ सकता है। ऐसे लोग जिनके दांतों में गैप होते हैं वह खिलखिलाकर हंसने में हिचकिचाते हैं। वह अक्सर तस्वीरों में हंसने से बचते हैं। वहीं डाक्टर्स की मानें तो दांतो में गैप आपकी सुंदरता को ही नहीं खराब करता बल्कि स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है। दांतों में गैप या मुंह में कुछ दांतों के न होने से आपके चबाने की क्षमता कम हो सकती है। साथ ही बोलने में भी दिक्कत हो सकती है। कुछ लोगों के चहरे की तो बनावट खराब हो सकती है। ऐसे में अक्सर डेंटिस्ट आपको डेन्चर करवाने की सलाह देते हैं। डेन्चर झूठे दांत हैं, जो खोए हुए प्राकृतिक दांतों के स्थान पर या दांतों के गैप्स के बीच फिलर का काम करते हैं।
अगर आप सोच रहें हैं कि एक लापता दांतों या गैप को भरना इसलिए जरूरी है कि इससे आपकी सुंदरता में चार-चांद लग जाएगा, तो आप थोड़ा सा गलत हैं। दरअसल सिर्फ म्ंह की सुंदरता और खिलखिलाकर हंसने के लिए ही इन गैप्स को भरवाना जरूरी नहीं बल्कि इसके पीछे आपके स्वास्थय से जुड़े अन्य कारण भी हैं। आइए हम आपको बताते हैं कि दांतों के गैप्स को भरवाना क्यों जरूरी है-
दांत का हिलना
जब कोई दांत खो जाता है या दो दांतों के बीच गैप आ जाता है तो आसपास के दांत खुले होने के कारण हिलने लगते हैं। इसके अलावा कुछ इस कारण भी सेंस्टीविटी हो जाती है। इसके लिए आप आसपास के दांतों को यहां डेन्चिंग के जरिए स्थानांतरित करवा सकते हैं। डेन्चर के द्वारा आप अपने टेढ़े दांतों और गलत जगह आए हुए दांतों को भी ठीक करवा सकते हैं। इसके अलावा मुंह के अंदर इनकी जगह पर कुछ खुली नसों को भरने के लिए भी यह जरूरी है।
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टी.एम.जे सिंड्रोम (Temporomandibular Joint Syndrome)
एक दांत खो जाने के बाद और आसपास के दांत हिलने लगते हैं, ऐसे में एक के बाद एक संरचना बदलने लगती है। मुंह के ऊपरी जबड़े और निचले जबड़े सही ढंग से मिलन नहीं पाते हैं, और इससे जबड़े के जोड़ में खिंचाव और क्षति होती है। इस घटना को टी.एम.जे सिंड्रोम कहा जाता है। यह कई समस्याओं को जन्म देती है और दांतों में अगर सड़न है तो यह उसको भी बढ़ा सकती है।
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दांत और मसूड़ों के जुड़े रोग
दाँत खो जाने पर आसपास के दाँतों के हिलने के बाद दाँतों की संरचना बदल जाती है। इससे एक व्यक्ति के लिए टूथब्रश या फ्लॉस के साथ गम में कई क्षेत्रों तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। इससे उस क्षेत्र में बैक्टीरिया जमा हो जाते हैं और उनकी अच्छे से सफाई नहीं हो पाती है। दांतों की सड़न और मसूड़ों की बीमारियाँ या पीरियडोंटल बीमारियाँ दांतों के इस खाली स्थानों को प्रभावित करती हैं। इन बीमारियों और विकारों के कारण बाकी के सही दांतों को भी हानि हो सकती है।
डेंचर करवाते वक्त रखें इसका ख्याल
डेंचर करवाते वक्त इस बात का ख्याल रखें कि डेंटिस्ट डेंचर करने के वक्त गैप वाली जगह के टूटे-फूटे दांतों को जड़ों से हटा दे। यदि जड़ को पूरी तरह से हटाया नहीं जाता है तो हड्डी के खराब होने की संभावना होती है। जबड़े के क्षेत्र में हड्डी का नुकसान होता है, और इससे आपके चेहरे की स्थिति में बदलाव या परिवर्तन हो सकता है। गैप की फीलिंग कराने से यह जबड़े के क्षेत्र से हड्डी के नुकसान को रोक देगा। साथ ही आपको खूबसूरती प्रदान करेगा जो आपके रूप और आत्मसम्मान को बहुत प्रभावित कर सकता है।
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