क्या आप जानते हैं कि सोरियाटिक अर्थराइटिस का मोटापे के साथ गहरा सम्बंध है? सोरियाटिक अर्थराइटिस के बारे में कम लोग जानते हैं, यह आमतौर पर सोरियासिस के रोगियों में पाया जाता है। जोड़ों में सूजन और अकड़न इसके लक्षण हैं। सोरियाटिक अर्थराइटिस के रोगियों की उंगलियां, पंजे, घुटने और रीढ़ में सूजन भी आ जाती है। इससे दर्द होता है और सही समय पर जांच एवं उपचार न होने से स्थिति गंभीर हो सकती है। शुरूआती अवस्था में रोगियों के नाखून खोखले या बेरंग भी हो सकते हैं।
गठिया रोग विशेषज्ञ सोरियाटिक अर्थराइटिस को सोरियासिस की प्रमुख समस्या के तौर पर लेने, इसके संकेतों और लक्षणों पर अधिक जागरूकता की सलाह देते हैं, ताकि इसका जल्दी पता लगाया जाए और प्रभावी प्रबंधन तथा उपचार सुनिश्चित हो सके।
द अर्थराइटिस फाउंडेशन के अनुसार, अधिक वजन वाले या मोटे लोगों को सोरियासिस होने का जोखिम अधिक होता है। कई अध्ययन यह भी बताते हैं कि सोरियाटिक अर्थराइटिस के मोटे रोगियों को इस स्थिति के प्रबंधन में कठिनाई होती है। इसके अलावा, अधिक वजन से हृदय रोग, स्ट्रोक, डायबिटीज और अन्य मेटाबॉलिक स्थितियों का जोखिम भी हो सकता है, जिससे सोरियाटिक अर्थराइटिस से पीड़ित व्यक्ति की स्थिति और खराब हो सकती है। शोध के अनुसार, सोरियाटिक अर्थराइटिस से पीड़ित मोटे लोगों पर उपचार का प्रभाव सामान्य वजन वाले रोगियों की तुलना में 48 प्रतिशत तक कम होता है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली में सहायक प्रोफेसर डॉक्टर दानवीर भादु कहते हैं "सोरियाटिक अर्थराइटिस गठिया रोग विज्ञान में सबसे खतरनाक गठिया है, जिसका नियंत्रण डीएमएआरडी अथवा जैविक दवाओं के साथ समय पर उपचार शुरू करने से हो सकता है। विभिन्न अध्ययनों का डाटा बताता है कि सोरियाटिक अर्थराइटिस की तीव्रता सामान्य रोगियों की तुलना में मोटे रोगियों में अधिक होती है और वजन कम करने से इस रोग के नियंत्रण में काफी मदद मिलती है। सोरियाटिक अर्थराइटिस में मोटे रोगियों का वजन कम होने से लंबी अवधि का आराम मिलता है, क्योंकि शरीर का सूजन कम हो जाता है।"
विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि मोटापे से जोड़ों में तनाव और क्षति होती है। यदि सोरियाटिक अर्थराइटिस के रोगियों का वजन अधिक होता है, तो उनके घुटनों की ताकत बहुत प्रभावित होती है। इसलिए, कुछ वजन कम करने से बड़ा बदलाव हो सकता है, जैसे एक किलोग्राम वजन कम होने से घुटनों का चार किलोग्राम दबाव कम हो जाता है।
सोरियाटिक अर्थराइटिस का बेहतर प्रबंधन करने के लिये जीवनशैली में बदलाव लाना और उसे स्वस्थ बनाए रखना महत्वपूर्ण है। इसमें रोजाना संतुलित आहार लेना और स्मोकिंग छोड़ना शामिल है।
सोरियाटिक अर्थराइटिस के रोगियों को दैनिक व्यायाम में अक्सर कठिनाई होती है, जिसका कारण दर्द है। हालांकि उन्हें हर दिन एक समय कम से कम 15-20 मिनट व्यायाम करना चाहिये। व्यायाम की योजना रोगी की स्थिति की गंभीरता के आधार पर बनाना भी समान रूप से महत्वपूर्ण है।
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यदि सही मार्गदर्शन के साथ स्ट्रेचिंग, चलना, तैरना, योग, साइकल चलाना, डांस और पिलेट्स जैसे व्यायाम किये जाएं, तो रोगी को काफी हद तक मदद मिल सकती है।
सोरियाटिक अर्थराइटिस का कोई स्थायी उपचार नहीं है और सूजन या प्रदाह का समय अलग-अलग रोगियों में अलग-अलग होता है, लेकिन समय पर जांच और उपचार से लक्षणों के प्रभावी नियंत्रण में मदद मिल सकती है।
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साधारण शारीरिक जांच या एक्स-रे से पता लगाया जा सकता है यदि रोगी में सोरियासिस का व्यक्तिगत या पारिवारिक इतिहास हो। रोगियों को गठिया रोग विशेषज्ञ जैसे विशेषीकृत चिकित्सा विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिये और वजन का प्रबंधन करने के लिये पोषण विशेषज्ञ से भी मिलना चाहिये। इससे सोरियाटिक अर्थराइटिस की बढ़त रोकने में मदद मिलेगी और उपचार पर अच्छी प्रतिक्रिया से जीवन की गुणवत्ता बेहतर होगी।
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