सोरियाटिक एक प्रकार का अर्थराइटिस ही है, जो सोरायसिस नामक रोग से ग्रस्त लोगों को प्रभावित करता है। सोरायसिस होने पर त्वचा पर लाल धब्बे पड़ जाते हैं, जिन पर सफेद दाने भी हो सकते हैं। यह बीमारी तब होती है, जब शरीर के जोड़ों के आसपास सूजन हो जाती है। अब बच्चों में भी सोरियाटिक अर्थराइटिस के मामले बढ़े हैं। इस लेख में हम आपको बता रहे हैं बच्चों में सोरियाटिक अर्थराइटिस के लक्षणों के बारे में।
सोरियाटिक गठिया त्वचा और नाखून रोग होता है। इसमें लाल और परतदार चकत्ते नजर आते हैं। इस रोग के लक्षण रूमटॉइड गठिया के समान होते हैं। इसमें भी जोड़ो में सूजन हो जाती है। हालांकि सोरियाटिक गठिया रूमटॉइड गठिया की तुलना में जोड़ों को कम प्रभावित करती है। और टिपिकल रूमटॉइड गठिया एंटीबॉडी का उत्पादन भी नहीं करता।
सोरियाटिक गठिया के साथ जुड़े गठिया पांच रूपों में हो सकते हैं:-
1- हाथों की उंगलियों और / या पैर की उंगलियों में छोटे जोड़ों को प्रभावित करने वाला गठिया।
2- हाथ पैरों के जोड़ों में गठिया के कारण तेज दर्द।
3- सिमिट्रिकल पॉलीअर्थराइटिस: रूमटॉइड गठिया की तरह का ही गठिया।
4- गठिया म्यूटलाइंस, गठिया का एक दुर्लभ प्रकार, जो जोड़ों में विकृति पैदा करता है।
5- सोरियाटिक स्पोंडलाइटिस: सेक्रोएलियक (पीठ के निचले हिस्से में) की थैली व रीढ़ की हड्डी का गठिया
बच्चों में सोरियाटिक अर्थराइटिस के लक्षण
- शरीर के एक या अधिक जोड़ों में दर्द, सूजन या जकड़न होना।
- नितंबों में दर्द या जकड़न होना।
- पीठ के निचले हिस्से में या गर्दन में दर्द होना।
- पैर के पिछले हिस्से या एड़ी में दर्द की शिकायत।
- नाखूनों के रंग में परिवर्तन या इनका त्वचा से अलग हो जाना।
- रीढ़ की हड्डी और सेक्रोएलियक के जोड़ों की सूजन आना।
इस रोग का कोई पारिवारिक इतिहास होने पर यह रोग अपना असर दिखा सकता है। गठिया के कुल मामलों में से आधे मामलों में ये सोरायसिस से पहले ही शुरू हो सकते हैं। गठिया और सोरायसिस दोनों आम समस्याएं हैं, और दोनों ही संयोग से एक साथ हो सकते हैं। यदि आपके बच्चे को भी अपरोक्त में से कोई लक्षण दिखाई दे तो सूजन की जांच के लिये 'ईएसआर' परीक्षण कराएं। इसके अलावा रक्त परीक्षणों के आधार पर अन्य प्रकार के अर्थराइटिस की संभावना की जानकारी भी प्राप्त हो सकती है। रोग गंभीर हो जाने पर कई बार सर्जरी की जरूरत भी पड़ सकती है। इसलिए बेहतर है कि इसके लक्षणों को पहचान कर गंभीर स्थिति से पहले ही इसका निदान कर लिया जाए।
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