Does diabetes cause fungal infections: डायबिटीज आज के समय में एक आम समस्या बन चुकी है। दुनियाभर में हर साल डायबिटीज के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। भारत में लोगों की जीवनशैली में आए बदलाव के चलते ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के रोगियों में बढ़ोतरी हुई है। डायबिटीज के कारण लोगों को हृदय, त्वचा व अन्य रोगों का जोखिम बढ़ जाता है। डायबिटीज की वजह से रोगी को हमेशा थकान, कमजोरी और सुस्ती बनी रहती है। इसके साथ ही, लंबे समय तक डायबिटीज से लोगों के ब्रेन फंक्शन भी प्रभावित होते हैं। कुछ लोगों को डायबिटीज की वजह से त्वचा संबंधी समस्याएं देखने को मिलती है। इस लेख में यथार्थ अस्पताल के इंटनरल मेडिसिन सीनियर कंसल्टेंट डॉ. एन के सोनी से जानते हैं कि किन कारणों से डायबिटीज के रोगियों में फंगल इंफेक्शन का जोखिम बढ़ जाता है।
डायबिटीज में फंगल इंफेक्शन का जोखिम क्यों होता है? - Why Does Diabetes Increase Risk Of Fungal Infection In Hindi
इम्यूनिटी पावर कम होना
एनसीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार डायबिटीज में व्यक्ति की इम्यूनिटी पावर कमजोर हो जाती है। ऐसे में फंगल सहित अन्य बैक्टीरिया से लड़ने में शरीर की क्षमता कम हो जाती है। हाइपरग्लेसेमिया, इम्यून सेल्स जैसे न्यूट्रोफिल और मैक्रोफेज के कार्य को प्रभावित कर सकती हैं। यह सेल्स फंगल बैक्टीरिया को समाप्त करने में मुख्य भूमिका निभाती हैं। ऐसे में व्यक्ति को डायबिटीज में फंगल इंफेक्शन का जोखिम बढ़ जाता है।
घाव भरने में बाधा
क्रोनिक हाइपरग्लेसेमिया शरीर के प्राकृतिक रूप घाव भरने के कार्य को बाधित कर सकती हैं। ऐसे में रोगी को फंगल इंफेक्सन का जोखिम अधिक होता है। डायबिटीज के रोगियों को अक्सर पैर के अल्सर के लक्षण महसूस हो सकते हैं। यह न्यूरोपैथी और पेरिफेरियल वैस्कुलर डिजीज की वजह से हो सकती है। अल्सर के बाद रोगी को फंगल इंफेक्शन हो सकता है। इसे तुरंत इलाज की जरूरत होती है।
पसीना अधिक आना
डायबिटीज में रोगी को पसीना अधिक आता है। ऐसे में फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा, गर्मियों के मौसम में भी डायबिटीज के रोगियों को फंगल इंफेक्शन की संभावना बढ़ जाता है।
पेरिफेरियल न्यूरोपैथी
पेरिफेरियल न्यूरोपैथी, डायबिटीज की एक सामान्य समस्या है, जो पेरिफेरियल नर्वस सिस्टम को डैमेज करती है। न्यूरोपैथिक व्यक्तियों को फंगल इंफेक्शन से जुड़े दर्द या असुविधा का एहसास नहीं हो सकता है, जिससे इसके इलाज में देरी हो सकती है। इसके अलावा, न्यूरोपैथिक में रोगी को पैर में चोट लगने और फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
वैस्कुलर संबंधि समस्याएं
डायबिटीज को रोगियों में पेरिफेरियल आर्टिरी डिजीज और माइक्रोवैस्कुलर डिसफंक्शन सहित वैस्कुलर संबंधि समस्याएं हो सकती है। ऐसे में ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होती है, जिससे स्किन की समस्याएं जैसे फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होने की वजह से टिश्यू भी प्रभावित होते हैं।
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डायबिटीज की समस्या में रोगी की जीवनशैली में कई तरह के बदलाव करने की सलाह दी जाती है। इस दौरान, रोगी को डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए कोल्ड ड्रिंक, जूस व ज्यादा चीनी वाली चीजों को खाने के लिए माना किया जाता है। इसके अलावा, रोगी स्थिति को समझकर उसके इलाज के लिए कई विकल्प बताए जाते हैं। डॉक्टर रोगी को योग, मेडिटेशन व एक्सरसाइज करने की भी सलाह देते हैं। रोगी दिनचर्या को बेहतर बनाकर डायबिटीज के लक्षण को कम कर सकते हैं।
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