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छाछ को क्यों माना जाता है सबसे अच्छा प्रोबायोटिक, आयुर्वेदाचार्य से जानें इसके 4 कारण और सेवन का तरीका

Why Buttermilk Is The Best Probiotic In Hindi: वैसे तो हमारे पास प्रोबायोटिक्स के कई विकल्प हैं, लेकिन छाछ को बेस्ट क्यों माना जाता है? यहां जानें..
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छाछ को क्यों माना जाता है सबसे अच्छा प्रोबायोटिक, आयुर्वेदाचार्य से जानें इसके 4 कारण और सेवन का तरीका


Why Buttermilk Is The Best Probiotic In Hindi: छाछ और दही हम में से ज्यादातर लोगों के दैनिक जीवन का एक हिस्सा है। हम सभी दोपहर में भोजन के साथ एक कटोरी दही या एक गिलास छाछ का सेवन जरूर करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों ही बहुत अच्छे प्रोबायोटिक होते हैं। ये आंत में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं और आंत में बैक्टीरिया के संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं। इससे हमारा पाचन भी दुरुस्त होता है, भोजन से पोषक तत्वों अवशोषण बेहतर होता है और पेट संबंधी समस्याएं दूर रहती हैं। सिर्फ दही या छाछ ही, कई अन्य प्रोबायोटिक भी हैं, जिन्हें आप अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। लेकिन जब भी यह बात आती है कि सबसे अच्छा प्रोबायोटिक कौन सा है, तो आयुर्वेद में छाछ का सेवन बेस्ट माना जाता है। आयुर्वेद में छाछ को तक्र (Takra) कहा जाता है और इसका रोज सेवन करने की सलाह दी जाती है। लेकिन ऐसा क्यों है कि छाछ को ही सबसे अच्छा प्रोबायोटिक माना जाता है? आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. वरालक्ष्मी यनामंद्र ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में छाछ पीने के फायदे और इसके सेवन का सही तरीका बताया है। इस लेख हम आपको इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं...

Why Buttermilk Is The Best Probiotic In Hindi

छाछ को सबसे अच्छा प्रोबायोटिक क्यों माना जाता है- Reasons Why Buttermilk Is The Best Probiotic In Hindi

1. मनुष्य के लिए है अमृत

प्रोबायोटिक्स कोई नहीं है, ये बहुत पहले अस्तित्व में आये थे। आयुर्वेद ने तक्र को आंत के उपचार के लिए सर्वोत्तम ड्रिंक के रूप में वर्णित किया है। वाग्भट्ट ने इसकी तुलना देवताओं के लिए अमृत के समान की है।

2. खास है प्रकृति

दही को प्रकृति में भारी, गर्म और सूजन बढ़ाने वाली माना जाता है। लेकिन छाछ को प्रकृति में हल्का, गर्म और सूजन रोधी माना जाता है।

3. कफ और वात दोष को करे संतुलित

छाछ पचने में हल्की होती है, इसका स्वाद खट्टा और कसैला होता है। यह कफ और वात को संतुलित करता है। यह शरीर की अग्नि को बढ़ाने में उपयोगी और शरीर में हल्कापन लाती है। भले ही छाछ को गर्म कहा जाता है। दही के विपरीत, ताजा पिसा हुआ छाछ दाह (जलन) का कारण नहीं बनता है और मौसम के अनुसार संयमित रूप से इसका सेवन किया जा सकता है।

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4. कई बीमारियों का करती है उपचार

  • बवासीर/बवासीर
  • इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS)
  • इर्रिटेबल बाउल डिजीज (IBD)
  • शोफ या एडिमा
  • अपच
  • एनोरेक्सिया
  • आयरन की कमी
  • पोषक तत्वों का खराब अवशोषण

ये लोग न करें सेवन

  • गर्म गर्मी के दिनों में चोट लगने पर
  • जलन महसूस होने पर
  • चक्कर आने पर
  • दुर्बलता होने पर

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छाछ का सेवन कैसे करें- How To Consume Butter Milk In Hindi

इसका स्वाद मुख्य रूप से कसैला होता है और यह थोड़ा गर्म होता है। इसलिए, ठंड के मौसम में और भोजन के अंत में रोजाना इसका सेवन करना सबसे अच्छा है। शाम के समय यह दही का अच्छा विकल्प है। अगर आपका मन इसे किसी गर्म दिन पर खाने का कर रहा है, तो इसे खाने से पहले इसमें 1/4 चम्मच धागे वाली मिश्री मिलाएं। मिश्री की प्रकृति ठंडी होती है इसलिए यह छाछ की गर्म गुणवत्ता को संतुलित करती है।

All Image Source: Freepik

 

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