
Who Is At Higher Risk For Varicose Veins In Hindi: वैरिकोज वेन्स उभरी हुई नीली नसों को कहा जाता है। वैसे तो यह समस्या हर उस जगह हो सकती है, जहां-जहां नसे हैं। लेकिन, ज्यादातर पैरों में यह वैरिकोज वेन्स की समस्या अधिक देखने को मिलती है। वैरिकोज वेन्स होने पर पैरों में जलन, ऐंठन, पैरों में भारीपन, नसों के बाहरी हिस्से में खुजली आदि होने जैसी कई परेशानियां होने लगती हैं। यही नहीं, वैरिकोज वेन्स होने पर व्यक्ति के चलना-फिरना भी मुश्किल हो जाता है। तमाम कोशिशों के बावजूद व्यक्ति की असहजता बनी रहती है। एक्सपर्ट्स की राय है कि इस तरह की परेशानियों से बचने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज करें और एक ही पोजिशन में बैठे रहने से बचें। लेकिन, वैरिकोज वेन्स की समस्या से राहत के बारे में जान लेने से पहले यह पता होना आवश्यक है कि आखिर किस तरह के लोगों को वैरिकोज वेन्स होने का जोखिम अधिक रहता है? आगे जानते हैं विस्तार से।
वैरिकोज वेन्स होने का जोखिम किन्हें होता है?- Who Is At Higher Risk For Varicose Veins In Hindi
बढ़ती उम्र में
वैरिकोज वेन्स का जोखिम ज्यादातर बढ़ती उम्र के लोगों के दिखता है। विशेषकर, जिनकी फिजिकल एक्टिविटी कम होने लगती है। दरअसल, बढ़ती उम्र के साथ-साथ नसें भी कमजोर हो जाती हैं। ऐसे में, नसों के लिए सुचारू तरीके से काम करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में बुजुर्ग लोगों के चलना-फिरना या उठना-बैठना परेशानी का सबब बन जाता है। हां, सही लाइफस्टाइल को अपनाकर इस तरह की समस्या के जोखिम को कम किया जा सकता है।
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महिलाओं में
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को वैरिकोज वेन्स होने का रिस्क अधिक होता है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि पुरुषों को इसका जोखिम कम होता है। लेकिन, महिलाओं में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है। सवाल है, क्यों? इसके पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं। जैसे प्रेग्नेंसी, हार्मोनल इंबैलेंस, मेनोपॉज या किसी तरह का बर्थ कंट्रोल पिल लेना। दरअसल, जब भी महिलाओं को हार्मोन से जुड़ी समस्या होती है, तो उनके शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर प्रभावित होने लगता है। ऐसे में नसों पर भी नेगेटिव असर देखने को मिलता है। यही नहीं, ब्लड वेसल्स पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव दिखता है।
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फैमिली हिस्ट्री
जैसा कि यह बात हम सभी जानते हैं कि अगर कोई बीमारी हमारी पुरानी पीढ़ी में मौजूद है, तो भावी पीढ़ी को वह बीमारी होने का जोखिम बहुत ज्यादा होता है। आमतौर पर हम कैंसर, डायबिटीज, थायराइड जैसी बीमारियों को लेकर अधिक सतर्क रहते हैं। लेकिन, वैरिकोज वेन्स की समस्या भी फैमिली में मौजूद हो, तो भावी पीढ़ी में यह समस्या हो सकती है।
वजन अधिक होना
वजन बढ़ना या मोटापा कई तरह की बीमारियों के जोखिम को बढ़ा देता है। इस बात को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। मोटापे की वजह से वैरिकोज वेन्स का जोखिम बढ़ जाता है। दरअसल, जब आपका वजन ज्यादा हो जाता है, तो नसों पर भी अतिरिक्त दबाव बनता है। कई बार नसें उसे झेल नहीं पाती हैं और वैरिकोज वेन्स जैसी समस्या बढ़ने लती हैं।
एक ही पोजिशन में रहना
वैरिकोज वेन्स जैसी समस्या उन लोगों में भी देखने को मिलती है, जो बहुत देर तक एक ही पोजिशन में रहते हैं। एक ही स्थिति में बैठे रहना या खड़े रहना, पैरों की नसों के लिए बिल्कुल सही नहीं है। अगर आपका स्टैंडिंग या सिटिंग जॉब है, तो बेहतर होगा कि आप समय-समय पर वॉक करें या घूम आएं। इसके अलावा, ब्रेक लेकर स्ट्रेचिंग करना चाहिए। इससे वैरिकोज वेन्स से राहत में काफी मदद मिलती है।
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