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World Diabetes Day 2025: किन लोगों को टाइप 2 डायबिटीज होने का रिस्क अधिक होता है? जानें डॉक्टर से

What Increases The Risk Of Developing Type 2 Diabetes: मोटापा, फैमिली मेडिकल हिस्ट्री और फिजिकल एक्टिविटी न करना टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को काफी ज्यादा बढ़ा देता है। इसके पीछे कई अन्य कारण भी हैं। जानें, हर बात विस्तार से।
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World Diabetes Day 2025: किन लोगों को टाइप 2 डायबिटीज होने का रिस्क अधिक होता है? जानें डॉक्टर से

Who Is Most At Risk Of Developing Type 2 Diabetes: डायबिटीज का मतलब है कि ब्लड शुगर का स्तर संतुलित न होना। डायबिटीज के मरीजों का ब्लड शुगर हाई या लो हो सकता है। दोनों ही स्थितियां सही नहीं है। वैसे भी डब्लूएचओ की एक रिपोर्ट से यह पता चलता है कि भारत में इस समय 70 मिलियन से ज्यादा लोग डायबिटीज का शिकार हैं। इसका मतलब है कि लगभग हर घर में डायबिटीज का मरीज है। ऐसे में यह सवाल जरूर मन में उठता है कि आखिर किन लोगों को टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क अधिक होता है? यह जानकर और अपनी लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव करके आप इसके जोखिम को कम कर सकते हैं। इस बारे में जानने के लिए हमने नोएडा सेक्टर 71 स्थित कैलाश अस्पताल Consultant - Endocrinology डॉ. राहुल पाराशर से बात की।


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किन लोगों को टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क अधिक होता है?- Who Is More At Risk Of Developing Type 2 Diabetes

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1. बढ़ती उम्र में होता है टाइप 2 डायिबटीज का जोखिम- Age And Type 2 Diabetes

National Institute Of Diabetes And Digestive And Kidney Diseases (NIDDK) में प्रकाशित एक रिपोर्ट की मानें, तो जिन लोगों की उम्र 35 और इससे ज्यादा है, उन्हें टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क रहता है। यहां तक कि छोटे बच्चों और टींस में भी यह जोखिम बना रहता है। यही नहीं, जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, टाइप 2 डायबिटीज के रिस्क में इजाफा होता जाता है।

2. मोटापा है टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क- Obesity And Type 2 Diabetes

Centers for Disease Control and Prevention (CDC) में प्रकाशित लेख की मानें, तो मोटापा भी टाइप 2 डायबिटीज का बड़ा रिस्क है। विशेषज्ञों की मानें, तो मोटापा अपने आप में एक बीमारी है, जिसे कंट्रोल न किया जाए, तो कई तरह की अन्य बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। इन्हीं में एक टाइप 2 डायबिटीज भी है। एनसीबीआई की अन्य रिपोर्ट से यह पता चलता है कि मोटापे के कारण इंसुलिन रेजिस्टेंटस की दिक्कत होने लगती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि पेट के आसपास काफी ज्यादा फैट जमा हो जाता है, जिससे बॉडी में क्रॉनिक इंफ्लेमेशन होने लगता है। यह बॉडी को पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन यूज करने नहीं देता है। नतीजतन, टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क बढ़ जाता है।

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3. टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क बढ़ाती है फैमिली हिस्ट्री- Family History And Type 2 Diabetes

American Diabetes Association की मानें, तो जिन परिवारों में पहले से डायबिटीज के मरीज हैं, उनमें भावी पीढ़ी को टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क बना रहता है। इसमें सिर्फ जेनेटिक फैटर अकेले जिम्मेदार नहीं होता है। साथ ही, लाइफस्टाइल का भी अहम योगदान होता है। इसलिए, टाइप 2 डायबिटीज के रिस्क के पीछे सिर्फ जेनेटिक कारणों को जिम्मेदार माना जाना सही नहीं है।

4. फिजिकल एक्टिविटी की कमी- Lack Of Physical Activity And Type 2 Diabetes

जिस तरह मोटापे के कारण टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क बढ़ जाता है, वैसे ही अगर आप फिजिकली एक्टिव नहीं रहते हैं, तो इस मेडिकल कंडीशन का जोखिम बढ़ जाता है। असल बात ये है कि फिजिकली एक्टिव नहीं रहने के कारण इंसुलिन रेजिस्टेंस से जुड़ी परेशानी होने लगती है। ऐसे में बॉडी सेल्स इंसुलिन पर रिएक्ट नहीं कर पाते हैं और ब्लड से पर्याप्त मात्रा से ग्लूकोज नहीं यूज नहीं कर पाता है। परिणाम स्वरूप ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है।

5. लंबे समय तक दवा पर निर्भर रहना- Medications And Type 2 Diabetes

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कई बार टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क उन लोगों में भी बढ़ जाता है, जो लंबे समय से किसी तरह की दवा पर निर्भर होते हैं। खासकर, जो लोग ओरल स्टेरॉइड लेते हैं, उन्हें इसका जोखिम अधिक होता है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से दवा ले रहा है, तो समय-समय पर अपने ब्लड शुगर की जांच करें। साथ ही, डॉक्टर की सलाह जरूर लें, ताकि भविष्य में टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को कम किया जा सके।

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निष्कर्ष

कुल मिलाकर, कहने का मतलब यह है कि जीवन में कई तरह के फैक्टर्स टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क बढ़ाते हैं। इसलिए, हर व्यक्ति को नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच करनी चाहिए। साथ ही, अपनी जीवनशैली में पॉजिटिव बदलाव करना चाहिए, ताकि टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को कम किया जा सके।

All Image Credit: Freepik

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  • Current Version

  • Nov 13, 2025 14:39 IST

    Published By : Meera Tagore

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