कहते है अंगदान से बड़ा कोई दान नहीं होता। अंगदान से दूसरे व्यक्ति को नया जीवन मिलता है। कोई भी व्यक्ति एक अंग का दान करके कई जिंदगियों को बचा सकता है। हालांकि हमारे देश में अंगदान को लेकर लोगों में डर बना हुआ है। विश्व अंगदान दिवस के मौके पर हम आपको इस लेख के जरिए अंगदान से जुड़ी कुछ अहम जानकारी दे रहे हैं।
हमारे देश में लिवर, किडनी और हार्ट के ट्रांसप्लांट होने की सुविधा है। कुछ मामलों में पैनक्रियाज भी ट्रांसप्लांट हो जाते हैं। इनके अलावा दूसरे अंदरूनी अंग जैसे अग्नाशय (पैनक्रियाज), छोटी आंत (इन्टेस्टाइन), फेफड़े (लंग्स) के साथ ही त्वचा (स्किन) व आंखों को भी दान किया जा सकता है।
अंगदान के प्रकार
यह दो प्रकार का होता है, अंगदान और टिशू दान। अंगदान में शरीर के अंदरूनी पार्ट जैसे- किडनी, फेफड़े, लिवर, हार्ट, इंटेस्टाइन, पैनक्रियाज आदि अंग आते हैं। वहीं टिशू दान में आमतौर पर आंखों, हड्डी और यहां तक कि त्वचा का दान होता है। आमतौर पर व्यक्ति की मौत के बाद ही अंगदान किया जाता है, लेकिन कुछ अंगदान और टिशू दान जीवित व्यक्ति के भी किए जा सकते हैं।
अंगदान की प्रक्रिया
किसी व्यक्ति की ब्रेन डेथ की पुष्टि होने के बाद, डॉक्टर उसके घरवालों की इच्छा से शरीर से अंग निकाल लेता हैं। इससे पहले सभी कानूनी प्रकियाएं पूरी की जाती हैं। इस प्रक्रिया को एक निश्चित समय के भीतर पूरा करना होता है। ज्यादा समय होने पर अंग खराब होने शुरू हो जाते हैं। अंग निकालने की प्रक्रिया में अमूमन आधा दिन लग जाता है।
कितने समय तक सही रहते हैं अंग
किसी भी अंग को डोनर के शरीर से निकालने के बाद 6 से 12 घंटे के अंदर को ट्रांसप्लांट कर देना चाहिए। कोई भी अंग जितना जल्दी प्रत्यारोपित होगा, उस अंग के काम करने की संभावना उतनी ही ज्यादा होती है। लिवर निकालने के 6 घंटे के अंदर और किडनी 12 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट हो जाना चाहिए। वहीं आंखें 3 दिन के अंदर दूसरे व्यक्ित के लगा दी जानी चाहिए।
नेत्रदान
कोई भी शख्स मौत के बाद अपनी आंखों को दान करने का फैसला कर सकता है। इसके लिए कोई अधिकतम उम्र नहीं हैं। जिन लोगों की नजर कमजोर है, चश्मा लगाते हैं, मोतियाबिंद या काला मोतियाबिंद का ऑपरेशन हो चुका है वे भी अपनी आंखों को दान कर सकते हैं। डायबिटीज के मरीज भी आंखों को दान कर सकते हैं। रेटिनल या ऑप्टिक नर्व से संबंधित बीमारी के कारण अंधेपन का शिकार हुए लोग भी आंखों का दान कर सकते हैं।
नेत्रदान का तरीका
मृत शरीर से आंखें लेने में छह घंटे से ज्यादा देर नहीं होनी चाहिए। इसके लिए मौत के बाद करीबी लोगों को आई बैंक को तुरंत सूचित करना जरूरी है। आई बैंक वालों के आने तक मृतक की दोनों आंखों को बंद कर उन पर गीली रुई रखनी चाहिए। अगर पंखा चल रहा है तो बंद कर दें। मुमकिन हो तो कोई ऐंटिबायॉटिक आई-ड्रॉप मरने वाले की आंखों में डाल दें। इससे इन्फेक्शन का खतरा नहीं होगा। सिर के हिस्से को छह इंच ऊपर उठाकर रखना चाहिए।
कौन नहीं कर सकता नेत्रदान
जीवित व्यक्ति अपनी आंखें दान नहीं कर सकता। रेबीज, सिफलिस, हिपेटाइटिस या एड्स जैसी इन्फेक्शन वाली बीमारियों की वजह से मरने वाले लोग भी आंखें दान नहीं कर सकते।
क्या मैं कर सकता हूं अंगदान
अंगदान करने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं है। 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति को अंगदान के लिए अपने माता-पिता या संरक्षक से इजाजत लेनी जरूरी है।
कैसे करें अंगदान
अंगदान के लिए दो तरीके हो सकते हैं। कई एनजीओ और अस्पतालों में अंगदान से जुड़ा काम होता है। इनमें से कहीं भी जाकर आप एक फॉर्म भरकर दे सकते हैं कि आप मरने के बाद अपने कौन से अंग दान करना चाहते हैं। जो अंग आप चाहेंगे केवल उसी अंग को लिया जाएगा।
संस्था की ओर से आपको एक डोनर कार्ड मिल जाएगा। आप दोस्तों और सगे-संबंधियों को अपने इस फैसले की जानकारी दे सकते हैं। फॉर्म बिना भरे भी आप अंगदान कर सकते हैं, यदि आपने अपने निकट संबंधियों को अपनी इच्छा के बारे में बता दिया है, तो वे आपकी इस इच्छा को पूरा कर सकते हैं। अंगदान करते वक्त परिजनों का कोई खर्च नहीं होता।
शरीर के किसी भी अंग को दान करने वाला व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए। यदि वह शारीरिक रूप से स्वस्थ होगा तो डोनर का अंग जिस व्यक्ति के प्रत्यारोपित होगा, बेहतर तरीके से काम करेगा।
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