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क्या डायबिटीज और बढ़ता वजन बढ़ा सकते हैं Pancreatic Cancer का रिस्क? जानें डॉक्टर से कारण

Pancreatic Cancer in Hindi: मोटापे या डायबिटीज के कारण पैंक्रियाटिक कैंसर का रिस्क किस हद तक बढ़ सकता है और इससे बचने के लिए लोगों को अपने लाइफस्टाइल में किन आदतों को अपनाना चाहिए, यह जानने के लिए इस लेख को जरूर पढ़ें।
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क्या डायबिटीज और बढ़ता वजन बढ़ा सकते हैं Pancreatic Cancer का रिस्क? जानें डॉक्टर से कारण

Pancreatic Cancer in Hindi: आजकल के लाइफस्टाइल में मोटापा आम बीमारी बन चुकी है और इस वजह से डायबिटीज जैसी समस्याएं भी लगातार बढ़ रही है। कई-कई घंटों तक बैठे रहना, जंक फूड खाना, पैकेज्ड फूड का ज्यादा इस्तेमाल और रेगुलर फिजिकल काम न करने (causes of obesity) से मोटापे के साथ-साथ डायबिटीज में भी बढ़ोतरी हो रही है। अगर किसी को ये दोनों ही समस्याएं है, तो ऐसे में कहा जाता है कि लोगों को पैंक्रियाटिक कैंसर का रिस्क बढ़ सकता है। क्या सच में ऐसा हो सकता है, इस बारे में हमने गोरखपुर के रीजेंसी हॉस्पिटल के मेडिकल ऑनकोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. जी मेहर कुमार (Dr. G Mehar Kumar, Director, Medical Oncology, Regency Hospital, Gorakhpur) से बात की। उन्होंने बताया कि डायबिटीज और बढ़ता हुआ वजन पैंक्रियाटिक कैंसर के रिस्क को बढ़ा सकता है।


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डायबिटीज और मोटापा कैसे बढ़ाता है पैंक्रियाटिक कैंसर का रिस्क?

डॉ. जी मेहर कहते हैं, “डायबिटीज और मोटापा बढ़ने से पैंक्रियाटिक कैंसर होने का रिस्क रहता है। दरअसल, पैंक्रियाटिक कैंसर ऐसी बीमारी है, जिसकी पहचान अक्सर देर से होती है और इसके बाद इलाज चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इसलिए लोगों को डायबिटीज और मोटापे से होने वाली बीमारियों के बारे में बताना बहुत जरूरी है।”

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इंसुलिन रेसिस्टेंस से बढ़ाता है प्रेशर

टाइप-2 डायबिटीज और मोटापे में शरीर इंसुलिन का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाता। इसे इंसुलिन रेसिस्टेंस कहा जाता है और इस कारण से इंसुलिन का स्तर लगातार बढ़ा रहता है। यह पैनक्रियास पर ज्यादा प्रेशर डालते हैं। जब इंसुलिन का स्तर लंबे समय तक ज्यादा रहता है तो इसका असर पैनक्रियाज (अग्न्याशय) की कोशिकाओं पर पड़ता है और कैंसर कोशिकाओं के बढ़ने का रिस्क बढ़ जाता है।

शरीर में सूजन बढ़ना

मोटापा सिर्फ ऊपरी तौर पर नहीं बढ़ता, बल्कि इससे शरीर में लगातार हल्की सूजन भी बन जाती है। यह सूजन कोशिकाओं को धीरे-धीरे कमजोर करती है और डीएनए को नुकसान पहुंचा सकती है। यही वजह है कि मोटापे से कई प्रकार के कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है और इसमें पैंक्रियाटिक कैंसर सबसे आम है।

हाई ब्लड शुगर का मेटाबॉलिज्म पर असर

लंबे समय तक ब्लड शुगर हाई रहने पर शरीर की मेटाबॉलिक प्रोसेस बैलेंस नहीं रह पाता। सेल्स पर बुरा असर पड़ता है और डीएनए डैमेज होने का खतरा बढ़ता जाता है। इस तरह के बदलाव कैंसर के रिस्क को बढ़ा देते हैं।

हार्मोन में बदलाव होना

मोटापा होने पर शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं। हार्मोन में बदलाव होने से कैंसर के सेल्स बढ़ सकते है और पैंक्रियाटिक कैंसर के मामलों में रिस्क बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।

पैंक्रियाटिक कैंसर का रिस्क किन्हें ज्यादा होता है?

डॉ. जी मेहर ने बताया कि इन लोगों को खासतौर पर सावधान रहना चाहिए क्योंकि इन्हें पैंक्रियाटिक कैंसर होने का रिस्क बहुत ज्यादा होता है।

  1. 40 साल से ज्यादा उम्र के डायबिटीज मरीज
  2. लंबे समय तक अनियंत्रित ब्लड शुगर वाले लोग
  3. जिन लोगों का BMI 30 से ज्यादा होना
  4. फैटी लिवर के मरीज
  5. हाई ब्लड प्रेशर या हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीज
  6. जो लोग फिजिकल एक्टिविटी नहीं करते

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पैंक्रियाटिक कैंसर से कैसे बचें?

डॉ. जी मेहर कहते हैं कि अगर लोग अपने लाइफस्टाइल में कुछ आदतों को अपना लें, तो पैंक्रियाटिक कैंसर के रिस्क को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

  1. सबसे जरूरी है कि वजन कम करना। जिन लोगों का ज्यादा वजन है, अगर वे सिर्फ 5 से 10% तक वजन कम कर लें, तो भी पैंक्रियाटिक कैंसर के रिस्क को कम किया जा सकता है।
  2. वजन कम करने के लिए कम फैट का खाना खाएं, प्रोसेस्ड फूड से बचें और खाने में फाइबर व सब्जियां ज्यादा खाएं।
  3. डायबिटीज के मरीजों को रेगुलर ब्लड शुगर चेक करते रहना चाहिए। दवाइयां समय पर लेनी चाहिए और देर रात में खाना न खाएं। कोशिश करें कि खाते समय प्लेट को आधा सब्जियों और सलाद से भरें।
  4. रेगुलर एक्सरसाइज जैसे वॉक, योग, तैराकी या साइकिल जरूर चलाएं। हफ्ते में दो दिन स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करने से मेटाबॉलिज्म सुधरता है।
  5. खाने में हल्दी, लहसुन, अदरक, अखरोट, अलसी, मछली, हरी सब्जियां, दालें और फल जरूर शामिल करें।
  6. शराब और स्मोकिंग से पैंक्रियाटिक कैंसर का रिस्क सबसे ज्यादा बढ़ता है, इसलिए इसे तुरंत छोड़ना बहुत जरूरी है।
  7. सबसे महत्वपूर्ण है कि डायबिटीज और मोटापे से ग्रस्त लोगों को साल में एक बार पैनक्रियास से जुड़े टेस्ट जरूर कराने चाहिए।

निष्कर्ष

डायबिटीज और मोटापा सिर्फ बीमारियां नहीं है, बल्कि ये दोनों मिलकर पैंक्रियाटिक कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के रिस्क को भी बढ़ाती है। अगर किसी को लगातार पेट में दर्द, भूख कम लगना, लगातार वजन कम होना, पीलिया या थकान रहती है, तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

 

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  • Dec 09, 2025 07:05 IST

    Published By : Aneesh Rawat

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