When To Talk To Kids About Puberty in Hindi: आज के समय में टेलीविजन और इंटरनेट पर ज्यादा एक्टिव रहने के कारण बच्चों को समय से पहले ही कई चीजों के बारे में पता चल जाता है। खासकर, उन्हें शारीरिक संबंध या अपने शरीर में होने वाले बदलावों के बारे में पहले से जानकारी होने लगती है। इसलिए, वर्तमान समय में जरूरी है कि पेरेंट्स समय रहते अपने बच्चों से उनके शरीर में होने वाले हार्मोनल और शारीरिक बदलावों के बारे में खुलकर बात करें। सोशल मीडिया या इंटरनेट के द्वारा मिलने वाली जानकारी को सही या सच मानकर बच्चे कई बार कुछ गलत धारणाएं बना सकते हैं। इसलिए, जरूरी है कि आप अपने बच्चों के शरीर में होने वाले बदलावों के बारे में उन्हें खुलकर बताएं और उनसे खुलकर बात करें। ऐसे में आइए कानपुर में स्थित पारस हेल्थ की कंसल्टेंट गायनोलॉजिस्ट डॉ. प्रीति शुक्ला से जानते हैं कि बच्चों से प्यूबर्टी के बारे में कब और कैसे बता करना चाहिए?
अपने बच्चे से यौवन के बारे में कब बात करें? - When To Talk About Puberty With Kids in Hindi?
डॉ. प्रीति शुक्ला के अनुसार, "बच्चों से पीरियड्स और शरीर में होने वाले बदलावों यानी प्यूबर्टी के बारे में बात करने का सबसे अच्छा समय है उनकी प्यूबर्टी यानी यौनावस्था शुरू होने से पहले यानी उनके शरीर में बदलाव शुरू होने से पहले, जो आमतौर पर 8 से 10 साल की उम्र (puberty ke bare me kab baat kare) मानी जाती है।" बता दें कि ज्यादातर लड़कियों को पहली बार पीरियड्स 12 से 13 साल की उम्र में शुरू हो जाते है, जो यौवन शुरू होने के लगभग 2 साल बाद होता है। लेकिन, कुछ लड़कियों को 9 साल की उम्र में ही पीरियड्स शुरू हो जाते हैं, जबकि कुछ लड़कियों को 16 साल की उम्र तक पीरियड्स होते हैं। वहीं लड़कों की बात करें तो उनका यौवन आमतौर पर 9 से 15 साल की उम्र में शुरू होता है।
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बच्चों से यौवन के बारे में कैसे बात करें? - How To Discuss Puberty With Kids in Hindi?
डॉ. प्रीति शुक्ला की माने तो, "जल्दी, ईमानदारी से और उम्र के हिसाब से की गई बातें बच्चों का भरोसा बढ़ाती हैं और आगे चलकर उन्हें किसी तरह की घबराहट या भ्रम नहीं होता। इसलिए, बच्चों से यौवन यानी प्यूबर्टी के बारे में बात करते समय आरामदायक और खुला अंदाज रखें, सही शब्दों का इस्तेमाल करें (जैसे शरीर के अंगों के नाम), और बच्चे को बताएं कि वे कभी भी आपसे अपने शरीर में होने वाले बदलावों के बारे में सवाल पूछ (bache se puberty par kaise baat kare) सकते हैं।" इसके अलावा आप अपने बच्चों को शरीर में होने वाले कुछ बदलावों के बारे में जरूर बताएं, जो उन्हें पता होने चाहिए, जैसे-
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- प्राइवेट पार्ट्स के शरीर के सही आंगों के नामों का इस्तेमाल करें। लड़कियों में योनि के आसपास के प्राइवेट पार्ट को वल्वा कहा जाता है, जबकि लड़कों में अंडकोष होते हैं।
- बच्चों से बाच करते समय अपनी बातों को छोटा रखें, ताकि बच्चे कंफ्यूज न हो।
- बातचीत शुरू करने के लिए रोजमर्रा की चीजों का इस्तेमाल करें, ताकि बच्चे खुद सवाल करें और आप उनका सही जवाब दे सकें।
- बातचीत शुरू करने के लिए इंतजार न करें। यह कभी भी बहुत जल्दी नहीं होती, क्योंकि बच्चे स्कूल, टीवी और सोशल मीडिया पर इन बातों से आपकी सोच से कहीं पहले और ज्यादा परिचित हो जाते हैं।
- किसी भी बच्चे के लिए यौवन बड़े होने का एक सामान्य हिस्सा है। इसलिए, अपने बच्चों को याद दिलाएं कि उनके शरीर में हो रहे बदलावों में कुछ भी गलत नहीं है।
निष्कर्ष
आज के समय में पेरेंट्स के लिए जरूरी है कि वे समय पर अपने बच्चों से प्यूबर्टी पर बात करें और उन्हें उनके शरीर में होने वाले बदलावों के बारे में खुलकर बताएं। कई बार बच्चे अपने शरीर में होने वाले बदलावों को खुद नहीं समझ पाते हैं, और शर्मिंदगी महसूस करते हैं। लेकिन, पेरेंट्स के लिए जरूरी है कि वे बच्चे को बताएं की ये बदलाव उनके बच्चे से बड़े होने की एक आम प्रक्रिया है, जो नॉर्मल है और हर बच्चा इस स्थिति से गुजरता है।
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FAQ
लड़कियों में यौवन का पहला लक्षण क्या है?
लड़कियों में प्यूबर्टी का पहला लक्षण आमतौर पर उनके ब्रेस्ट में होने वाला बदलाव यानी विकास होता है। इसके अलावा प्राइवेट पार्ट्स में हेयर ग्रोथ भी प्यूबर्टी का शुरुआती संकेत हो सकता है।लड़कों में किशोरावस्था के लक्षण क्या हैं?
लड़कों में प्यूबर्टी के मुख्य लक्षण शरीर की लंबाई का बढ़ना, दाढ़ी या मुंछ आना, आवाज में भारीपन, और प्राइवेट पार्ट्स या हाथ के बगल में हेयर ग्रोथ होना है।लड़कियों में यौवन की आयु कितनी होती है?
लड़कियों में प्यूबर्टी की शुरुआत आमतौर पर 8 से 13 साल के बीच होती है। हालांकि, कुछ लड़कियों में यह शुरुआत 10 साल की उम्र से पहले ही या 13 साल की उम्र के बाद भी हो सकती है।