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क्या शिशु को दूध पिलाने के लिए जगाना सही है? जानें कब जगाएं और कब नहीं

जन्म से कम से कम 6 महीने तक शिशु के लिए मां का दूध बहुत जरूरी होता है। यहां जानिए, क्या शिशु को दूध पिलाने के लिए जगाना सही है?
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क्या शिशु को दूध पिलाने के लिए जगाना सही है? जानें कब जगाएं और कब नहीं


मां बनने की जर्नी हर एक महिला के लिए बेहद खास होती है और नवजात के जन्म के बाद मां पर बहुत सी जिम्मेदारियां आ जाती हैं। शिशु को समय-समय पर दूध पिलाना भी मां बनने का एक अहम हिस्सा है, जो नवजात के विकास के लिए बेहद जरूरी है। जन्म के बाद, शिशु का पहला भोजन मां का दूध होता है, जो न केवल पोषण देता है, बल्कि उसे कई प्रकार के रोगों से भी बचाता है। मां का दूध शिशु की जरूरतों के अनुसार तैयार होता है, जिसमें सभी पोषक तत्व, विटामिन और एंटीबॉडी शामिल होते हैं। शिशु को दूध पिलाने से मां और शिशु के बीच एक गहरा बंधन भी बनता है। माता-पिता अक्सर यह सोचते हैं कि क्या उन्हें अपने शिशु को दूध पिलाने के लिए जगाना चाहिए या उसे अपनी नींद जारी रखने देना चाहिए। इस लेख में, लखनऊ के मा-सी केयर क्लीनिक की आयुर्वेदिक डॉक्टर और स्तनपान सलाहकार डॉ. तनिमा सिंघल (Dr. Tanima Singhal, Pregnancy educator and Lactation Consultant at Maa-Si Care Clinic, Lucknow) से जानेंगे कि कब शिशु को जगाकर दूध पिलाना सही है और कब उसे सोने देना चाहिए।

1. शिशु का वजन और स्वास्थ्य

यदि आपके शिशु का वजन बढ़ रहा है और वह नियमित रूप से दूध पी रहा है, तो उसे जगाकर दूध पिलाने की जरूरत नहीं होती। स्वस्थ शिशु अपने आप भूख के संकेत देते हैं। यदि शिशु हर 2 से 3 घंटे में जागकर दूध पी रहा है और उसका वजन सही से बढ़ रहा है, तो उसे सोते समय न जगाना सही रहेगा। इससे शिशु को पर्याप्त नींद मिलेगी, जो उसके विकास के लिए आवश्यक है।

2. गीले डायपर

रोजाना शिशु कितने डायपर गीले कर रहा है, इससे भी आप जान सकते हैं कि शिशु को पर्याप्त पोषण मिल रहा है या नहीं। यदि शिशु के पास दिन में 6 से 8 गीले डायपर होते हैं, तो यह संकेत है कि वह पर्याप्त मात्रा में दूध पी रहा है। इससे पता चलता है कि उसकी प्रक्रिया सही ढंग से हो रही है। ऐसे में, यदि शिशु गहरी नींद में है और उसके डायपर गीले हैं, तो उसे जगाकर दूध पिलाने की आवश्यकता नहीं होती।

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3. जागने के समय एक्टिव

जब शिशु जागता है, तो उसे एक्टिव होना चाहिए। यदि शिशु जागने पर खिलौनों से खेलता है या मुस्कुराता है, तो यह दर्शाता है कि उसका मानसिक और शारीरिक विकास सही दिशा में हो रहा है। ऐसे में, जब शिशु जागकर खेल रहा हो और उसका विकास सामान्य हो, तो उसे दूध पिलाने के लिए जगाने की जरूरत नहीं होती।

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शिशु को कब जगाना चाहिए

हालांकि, कुछ परिस्थितियां ऐसी भी होती हैं जब शिशु को जागकर दूध पिलाना जरूरी होता है। अगर शिशु का वजन कम है या उसे विशेष देखभाल की जरूरत है, तो उसे हर 2 से 3 घंटे में दूध पिलाना उचित है। इसके अलावा, यदि शिशु का विकास धीमा हो रहा है या वह दूध पीने में असमर्थ है, तो उसे जगाना और दूध पिलाना जरूरी है।

रात के समय, विशेषकर पहले कुछ हफ्तों में, शिशु को हर 2 से 3 घंटे में दूध पिलाने की सलाह दी जाती है। नवजात शिशु की नींद कभी-कभी गहरी होती है, लेकिन अगर वह भूखा हो, तो उसे जागकर दूध पिलाना जरूरी होता है। जैसे-जैसे शिशु बड़ा होता है और वजन बढ़ता है, रात में उसे दूध पिलाने की जरूरत कम होती जाती है।

हर शिशु की जरूरतें अलग होती हैं और उनके विकास के लिए सबसे सही निर्णय लेने के लिए माता-पिता को डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर की सलाह से आपको यह पता चलेगा कि कब शिशु को दूध पिलाने के लिए जगाना चाहिए और कब उसे सोने देना चाहिए।

निष्कर्ष

शिशु को दूध पिलाने के लिए कब जगाना चाहिए और कब नहीं, यह समझना बहुत जरूरी है। यदि शिशु का वजन बढ़ रहा है, गीले डायपर की संख्या ज्यादा है और वह जागने पर एक्टिव है, तो उसे जगाने की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन यदि शिशु का विकास धीमा है, तो उसे दूध पिलाने के लिए जागना उचित है। 

 

 

 

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All Images Credit- Freepik

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