
प्रेग्नेंसी हर महिला एक चैलेंजिंग सफर रहता है। इस दौरान सेहत के साथ की जाने वाली छोटी सी भी लापरवाही गर्भ में पलने वाले शिशु को नुकसान पहुंचा सकती है। प्रेग्नेंसी के दौरान संक्रमण, पोलिया और कई तरह की बीमारियों से बच्चे को बचाने के लिए महिलाओं को इंजेक्शन (Injection During Pregnancy in Hindi) लगवाने पड़ते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान लगाई जाने वाली कुछ इंजेक्शन बहुत ही कॉमन है, लेकिन कुछ इंजेक्शन की जानकारी महिला तो क्या उनके परिवारों को भी नहीं होती है। इन्हीं इंजेक्शनों में शामिल है एंटी-डी इंजेक्शन।
आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे हैं, प्रेग्नेंसी में एंटी-डी इंजेक्शन (Anti D Injections) क्यों लगाया जाता है, एंटी-डी इंजेक्शन किन परिस्थितियों में जरूरी है और आपको कब एंटी-डी इंजेक्शन के बारे में डॉक्टर से बात करनी चाहिए। इस विषय पर स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. तान्या गुप्ता ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो भी शेयर किया है।
प्रेग्नेंसी में एंटी-डी इंजेक्शन क्यों लगाया जाता है?- Why is anti-D injection given during pregnancy?
डॉ. तान्या गुप्ता के अनुसार, हर इंसान एक स्पेशल ब्लड ग्रुप होता है। मुख्य रूप से A, B, AB या O ब्लड ग्रुप लोगों में मिलता है। ब्लड ग्रुप को पॉजिटिव या नेगेटिव के रूप में पहचाना जाता है। किसी भी इंसान का ब्लड ग्रुप उसके माता-पिता पर निर्भर करता है। ब्लड ग्रुप का पॉजिटिव और नेगेटिव आपके खून में रीसस फैक्टर (RhD) को दर्शाता है। रीसस फैक्टर इस बात की पहचान करता है कि आपके लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर डी एंटीजन नामक प्रोटीन है या नहीं। डॉक्टर का कहना है कि प्रेग्नेंसी में एंटी-डी इंजेक्शन की जरूरत तब पड़ती है, जब होने वाली मां का ब्लड ग्रुप नेगेटिव हो और पिता का ब्लड ग्रुप पॉजिटिव हो।
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वहीं, इसके विपरीत गर्भ में पलने वाले शिशु के पिता का ब्लड ग्रुप नेगेटिव होने और मां का ब्लड ग्रुप पॉजिटिव होने पर एंटी-डी इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ती है। हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो गर्भ में पलने वाले शिशु में रीसस रोग की रोकथाम के लिए एंटी-डी इंजेक्शन लगाने की जरूरत पड़ती है।
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प्रेग्नेंसी में एंटी-डी इंजेक्शन कब लगाया जाता है?- When is anti-D injection given in pregnancy?
डॉ. तान्या गुप्ता के अनुसार, प्रेग्नेंसी के 28वें सप्ताह के बाद एंटी-डी इंजेक्शन लगाया जाता है। महिलाओं को अपने प्रेग्नेंसी पीरियड में सिर्फ 1 डोज एंटी-डी इंजेक्शन की जरूरत होती है। लेकिन डिलीवरी के बाद शिशु का ब्लड ग्रुप फिर से चेक किया जाता है। अगर शिशु का ब्लड ग्रुप मां की तरह ही नेगेटिव आता है, तो एंटी-डी इंजेक्शन की जरूरत नहीं होती है।
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इसके विपरीत जन्म के बाद शिशु का ब्लड ग्रुप पॉजिटिव आता है, तो महिलाओं को एंटी-डी इंजेक्शन का दूसरा डोज लगाया जाता, ताकि मां के शरीर में बच्चे के विपरीत एंजाइम न बन जाए और वह बिना किसी परेशानी के स्तनपान करवा सके।
प्रेग्नेंसी के दौरान आपको एंटी-डी इंजेक्शन की जरूरत है या नहीं इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
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