दर्द शरीर का एक ऐसा संकेत है जिसे नजरअंदाज करना मुश्किल होता है। चाहे सिर दर्द हो, दांत में कीड़ा लगा हो, पीरियड्स का दर्द हो या फिर मांसपेशियों में खिंचाव, दर्द से तुरंत राहत पाने के लिए लोग अक्सर बिना सोचे-समझे पेन किलर दवाइयां खा लेते हैं। इन दवाओं से भले ही थोड़ी देर के लिए आराम मिल जाए, लेकिन लंबे समय तक इनके सेवन से पेट, लिवर और किडनी पर बुरा असर पड़ सकता है। खासकर दांत दर्द जैसे मामलों में, जहां दर्द तेज और असहनीय हो सकता है, लोग तुरंत राहत पाने के लिए कोई भी गोली ले लेते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कोई ऐसा प्राकृतिक तरीका है जिससे दर्द से बिना दवा के राहत मिल सके? आयुर्वेद और घरेलू चिकित्सा में इस सवाल का जवाब मौजूद है। आयुर्वेदिक पद्धति में कई ऐसी जड़ी-बूटियां और घरेलू उपाय बताए गए हैं जो दर्द को शांत करने की क्षमता रखते हैं, वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट के। इस लेख में रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, दर्द से राहत पाने के लिए नेचुरल पेनकिलर की तरह क्या इस्तेमाल कर सकते हैं?
दर्द में राहत के लिए बेस्ट नेचुरल पेनकिलर क्या हैं? - What Is The Most Powerful Herb For Pain
आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि आयुर्वेद में दर्द को केवल एक लक्षण नहीं, बल्कि एक असंतुलन के रूप में देखा जाता है, जिसका उपचार संपूर्ण शरीर और उसके दोषों (वात, पित्त, कफ) के संतुलन के माध्यम से किया जाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि आयुर्वेद में कौन सी जड़ी-बूटियां दर्द से राहत देने में सबसे प्रभावी मानी जाती हैं, उनका शरीर पर क्या प्रभाव होता है और किस प्रकार से इनका प्रयोग किया जा सकता है।
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डॉ. श्रेय शर्मा बताते हैं कि आयुर्वेदिक उपचार में 'वन सोल्यूशन फॉर ऑल' की अवधारणा नहीं होती। जिस जड़ी-बूटी से सिर का दर्द ठीक होता है, वह जरूरी नहीं कि घुटनों के दर्द या पीठ दर्द में भी उतनी ही प्रभावी हो। उदाहरण के लिए, दांतों, जबड़े और मुंह के दर्द में गिलोय और चिरायता बेहद लाभकारी माने जाते हैं। वहीं, लौंग दांत के कीड़े और दर्द को कम करने में कारगर है। मसल्स के दर्द में लौंग और पिपरमेंट थोड़ा आराम जरूर देते हैं, लेकिन पूरी तरह राहत के लिए अन्य उपायों की जरूरत होती है।। इसलिए दर्द के प्रकार, स्थान और कारण के आधार पर जड़ी-बूटियों का चयन जरूरी होता है।
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आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां शरीर की प्राकृतिक चिकित्सा प्रक्रिया को बढ़ावा देती हैं, लेकिन ये तुरंत असर करने वाले सिंथेटिक पेन किलर्स की तरह काम नहीं करतीं। इनका प्रभाव धीरे-धीरे दिखता है, लेकिन यह दीर्घकालिक और बिना साइड इफेक्ट के होता है।
1. हरिद्रा (हल्दी)
करक्यूमिन युक्त यह जड़ी-बूटी सूजन, चोट और आंतरिक दर्द में उपयोगी है। दूध या गर्म पानी के साथ हल्दी लेने से फायदा होता है।
2. लौंग
तात्कालिक दर्द से राहत देने के लिए लौंग का उपयोग किया जा सकता है विशेषकर दांत और मसूड़ों में उपयोग की जाती है।
3. चिरायता और गिलोय
चिरायता के साथ गिलोय का उपयोग दांतों के दर्द, मुंह के दर्द, जबड़े में दर्द के लिए बेहद कारगर साबित होता है।
यदि दर्द बार-बार हो रहा है, पुराने समय से बना है और दवाइयों से स्थायी राहत नहीं मिल रही, तो आयुर्वेदिक विकल्प अपनाना उचित हो सकता है। आयुर्वेदिक औषधियां प्राकृतिक होती हैं लेकिन किसी विशेषज्ञ वैद्य की सलाह के बिना सेवन न करें। ऐसा इसलिए, क्योंकि हर शरीर की प्रकृति और रोग भिन्न होते हैं। गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्ति कोई भी हर्बल दवा शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
निष्कर्ष
दर्द से राहत पाने के लिए कई अलग-अलग चीजों के नाम हैं जो कि अलग-अलग प्रकार के दर्द में मदद करती हैं। आयुर्वेद का उद्देश्य केवल लक्षणों को दबाना नहीं, बल्कि जड़ से बीमारी का उपचार करना है। यदि आप पेन किलर्स के साइड इफेक्ट्स से परेशान हैं और एक प्राकृतिक, सुरक्षित और स्थायी विकल्प ढूंढ़ रहे हैं, तो आयुर्वेदिक दर्द निवारक जड़ी-बूटियां आपके लिए कारगर हो सकती हैं।
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FAQ
दर्द किसकी वजह से होता है?
दर्द होना शरीर का एक स्वाभाविक संकेत है जो बताता है कि कहीं न कहीं कोई समस्या या असंतुलन है। आयुर्वेद के अनुसार, दर्द मुख्यरूप से वात दोष के असंतुलन से होता है। जब वात बढ़ जाता है, तो शरीर में ड्राईनेस, संकुचन और जकड़न होती है, जिससे दर्द उत्पन्न होता है। इसके अलावा, सूजन, चोट या मांसपेशियों में खिंचाव, तनाव, थकावट या कोई इंफेक्शन भी दर्द के कारण बन सकते हैं। कभी-कभी भोजन की गड़बड़ी या गैस भी पेट और सिर दर्द का कारण बनती है। इसलिए दर्द को समझना और कारण का उपचार करना जरूरी होता है।शरीर में दर्द किसकी कमी से होता है?
शरीर में दर्द कई बार पोषक तत्वों की कमी के कारण भी होता है। खासकर विटामिन D, विटामिन B12 और कैल्शियम की कमी से मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द महसूस हो सकता है। विटामिन D की कमी से शरीर में सूजन बढ़ती है और हड्डियां कमजोर होती हैं। वहीं, विटामिन B12 की कमी से नसों पर असर पड़ता है, जिससे हाथ-पैर में झनझनाहट और दर्द हो सकता है।क्या लौंग गर्म होती है या ठंडी?
आयुर्वेद के अनुसार लौंग तासीर में ठंडी मानी जाती है। इसका स्वाद तीखा और गुण शीत होता है, जो शरीर में ठंडक पैदा करता है। लौंग का उपयोग आमतौर पर दांत दर्द, पाचन की गड़बड़ी जैसी समस्याओं में किया जाता है। लौंग का इस्तेमाल सीमित मात्रा में और जरूरत अनुसार ही करना चाहिए।