हजारों साल पहले आयुर्वेद की शुरुआत हुई थी जो कि आज के समय में भी लोगों की लाइफस्टाइल को सही करने और कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याओं को दूर करने में कारगर साबित होता है। वर्तमान में आयुर्वेद के प्रति लोगों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है, जिसका एक बड़ा कारण है कि आयुर्वेद में बीमारी का इलाज जड़ से खत्म करने के लिए किया जाता है, न कि सिर्फ तुरंत राहत के लिए। आयुर्वेद प्राकृतिक उपचार पद्धति है, जिसमें वनस्पतियों, औषधियों और आहार के उपयोग के माध्यम से रोगों का इलाज किया जाता है। आयुर्वेद में नाड़ी परीक्षा से कई बीमारियों के बारे में पता लगाया जा सकता है। इस लेख में रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) नाड़ी परीक्षा के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
नाड़ी परीक्षा क्या है? - What Is Nadi Pariksha
नाड़ी परीक्षा कलाई पकड़कर की जाती है, इसके लिए हथेली से लगभग आधा या एक इंच ऊपर पकड़कर नाड़ी की गति चेक की जाती है। जब आयुर्वेदिक डॉक्टर (वैद्य) बाएं हाथ की नाड़ी को चेक करते हैं तो इससे शरीर में होने वाले दोषों का पता चलता है। जब वैद्य अपनी उंगलियों के नाड़ी परीक्षा करते हैं तो उन्हें इससे मरीज के शरीर में होने वाले दोष की अनुभूति होती है। वैद्य देखते हैं कि व्यक्ति की नाड़ी किस गति से चल रही है, जिनके अलग-अलग नाम अश्व गति, सर्प गति, हाथी गति हैं। अगर नाड़ी सर्प गति से चलती है तो वैद्य को पता चलता है व्यक्ति के शरीर में वायु है, अगर नाड़ी हाथी के समान चल रही है तो कफ है।
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डॉक्टर श्रेय ने बताया कि पुराने समय में लोग ऋतु के हिसाब से अनाज खाते थे तो नाड़ी परीक्षा में इसका पता चलता था। अगर आप भारी अनाज खाते हैं तो नाड़ी मंद हो जाती है, जिसे बोला जाएगा कि आपकी नाड़ी कफज है। वहीं अगर आपने गर्म चीजें खाई होंगी तो आपकी नाड़ी गर्म होगी तो इस नाड़ी को पित्तज बोला जाएगा। नाड़ी के द्वारा वैद्य शरीर में दोष का पता लगाते है और फिर उसी के हिसाब से मरीज का इलाज करते हैं। नाड़ी परीक्षा का विवरण सिर्फ आयुर्वेद में है बाकि दुनियाभर के किसी भी विज्ञान में इस तरह का विवरण नहीं है, मॉडर्न मेडिसन में सिर्फ पल्स चेक की जाती है।
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शरीर में तीन मुख्य नाड़ी होती हैं, जिन्हें इड़ा नाड़ी, पिंगला नाड़ी और सुषुम्ना नाड़ी कहते हैं। इसके अलावा भी शरीर में 72 हजार नाड़ियां होती हैं। लेकिन इन तीन नाड़ियों को मुख्य नाड़ी माना जाता है। अगर मॉडर्न मेडिसन के हिसाब से नाड़ी परीक्षा देखें तो रेडियल आर्टरी को माना जाता है। रेडियल आर्टरी को आयुर्वेद में मर्म स्थान भी माना जाता है। अगर इससे ज्यादा ब्लीडिंग हो जाती है तो व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
नाड़ी परीक्षा एक प्राचीन तकनीक है जो आयुर्वेदिक चिकित्सा में अहम भूमिका निभाती है। इससे मरीज की शारीरिक और मानसिक स्थिति का पता चलता है।
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