Which Coffee Method Is Healthiest: बॉडी को एक्टिव और रिफ्रेश करने के लिए कॉफी फायदेमंद होती है। कुछ लोगों को कॉफी इतनी पसंद होती है, कि इसके बिना उनकी सुबह नहीं होती है। लेकिन इसके ज्यादा सेवन से भी पाचन संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। ज्यादा कॉफी पीने से आपको कब्ज, एसिडिटी, ब्लोटिंग और अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह डिहाइड्रेशन और मूड स्विंग्स का कारण भी बन सकती है। इसलिए दिन में दो कप से ज्यादा कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए। कम मात्रा में सेवन के साथ इसका सही तरीके से सेवन करना भी जरूरी है। आयुर्वेद में कॉफी पीने का सही तरीका बताया गया है। अगर आप इन तरीकों को फॉलो करते हैं, तो इससे आपको काफी मिल सकता है। इस बारे में जानकारी देते हुए आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ वरालक्ष्मी यनमंद्रा ने इंस्टाग्राम पर वीडियो शेयर किया है। आइए इस लेख के माध्यम से जानें इन तरीकों के बारे में।
आयुर्वेद में मुताबिक कॉफी पीने का सही तरीका क्या है- What Is The Right Way To Consume Coffee
खाली पेट कॉफी न पिएं- Avoid Empty Stomach
खाली पेट कॉफी पीने से आपको एसिडिटी हो सकती है। इसके सेवन से शरीर में वात-पित्त का संतुलन बिगड़ सकता है। इसलिए अगर आप कॉफी पीना चाहते हैं, तो नाश्ते के एक घंटे बाद पिएं। इससे कॉफी खाना पचाने में मदद करेगी। साथ ही, आपको दिनभर एनर्जेटिक भी रखेगी।
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कॉफी में हेल्दी चीजें मिलाएं- Mix Healthy Ingredients
कॉफी को हमेशा कुछ ठोस पदार्थ लेने के बाद ही पिएं। इससे कॉफी को पचाना भी आसान होगा। इसके फायदे बढ़ाने के लिए आप इसमें घी, दूध या इलायची मिलाकर पी सकते हैं। इलायची की तासीर ठंडी होती है। इसके सेवन से शरीर में वात-पित्त का संतुलन भी बना रहता है। कॉफी में घी या नारियल तेल मिलाकर पीने से इसकी तासीर ठंडी हो जाती है। इससे कॉफी शरीर को नुकसान नहीं करती है।
शाम में देरी से कॉफी न पिएं- Don't Consume Late At Night
शाम में ज्यादा देरी से इसका सेवन न करें। क्योंकि शाम के दौरान हमारी पाचन क्रिया धीमी हो जाती है। इस दौरान हमारा शरीर रेस्ट मोड पर जा सकता है। ऐसे में आप अगर कॉफी पीते हैं, तो आपकी बॉडी को रेस्ट नहीं मिल पाएगा। साथ ही, इससे पाचन क्रिया को भी नुकसान हो सकता है। इसलिए शाम के 4 बजे के बाद कॉफी का सेवन नहीं करें।
कफ प्रकृति वाले लोग
कफ प्रकृति वाले लोग एक कप ब्लैक कॉफी का सेवन कर सकते हैं। इससे शरीर की भारीपन और तैलीय प्रकृति को शांत करने में मदद मिलेगी।
वात प्रकृति वाले लोग
वात गुणों को संतुलित करने के लिए इसमें इलायची या मिश्री जैसी ठंडी तासीर वाली चीजें डाल सकते हैं। इसमें आप थोड़ी-सी क्रीम और फुल फैट मिल्क मिला सकते हैं। इसे दिन में एक बार से ज्यादा नहीं पीना चाहिए।
पित्त लोग
यहां तक कि कोल्ड कॉफी को भी गर्म तासीर वाला पदार्थ माना जाता है। जो पित्त प्रकृति के लिए ठीक नहीं है। ऐसे में आप शतावरी जैसी एडाप्टोजेनिक जड़ी-बूटियों वाला हर्बल काढ़ा पी सकते हैं।
इन तरीकों को ध्यान में रखकर आप कॉफी का सेवन कर सकते हैं। लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो, तो इसे शेयर करना न भूलें।
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