Minimally Invasive Spinal Surgery : आज के दौर में लाइफस्टाइल और रहन-सहन की वजह से कमर दर्द एक आम परेशानी बन चुका है। कमर दर्द का इलाज वक्त रहते न किया जाए, तो परेशानी बढ़ सकती है। ऑफिस में लगातार एक ही कुर्सी पर बैठे रहने, कई घंटों तक खड़े होकर सफर करने और कई कारणों से कमर दर्द की समस्या हो सकती है। अगर कमर का दर्द तरह-तरह के स्प्रे, दवा और एक्सरसाइज से भी कम नहीं हो रहा है, तो आपके पास सिर्फ ही ऑप्शन बचता है और वो है सर्जरी का। हालांकि सर्जरी का नाम सुनते ही ज्यादातर लोगों के दिमाग में डर बैठ जाता है। लेकिन पिछले कुछ सालों में जिस तरह से मेडिकल क्षेत्र में लेजर और मशीनरी सर्जरी का ऑप्शन आया है। मुंबई स्पाइन स्कोलियोसिस और डिस्क रिप्लेसमेंट सेंटर के हेड स्पाइनल सर्जन डॉ. अरविंद कुलकर्णी का कहना है कि कमर दर्द से राहत दिलाने के लिए मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी सर्जरी बहुत कारगर है। बाकी अन्य सर्जरी की तरह मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी इतनी पॉपुलर नहीं है, लेकिन कई लोगों की परेशानी को दूर कर सकता है। आज इस आर्टिकल में डॉ. कुलकर्णी से जानेंगे मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी क्या है (what is Minimally Invasive Spinal Surgery?) और इसकी जरूरत कब पड़ती है।
मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी क्या होती है- what is Minimally Invasive Spinal Surgery in Hindi
डॉ. कुलकर्णी के अनुसार, मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी मुख्य रूप से पुरानी पीठ के दर्द और रीढ़ की हड्डियों के दर्द से राहत दिलाने के लिए की जाती है। यह स्पाइनल स्टेनोसिस, हर्नियेटेड डिस्क और डिजेनरेटिव डिस्क रोग जैसी स्थितियों से पीड़ित रोगियों के लिए एक सुरक्षित और ज्यादा प्रभावी विकल्प है। इसके अलावा मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी हड्डियों से जुड़ी परेशानियों को भी दूर करने में मददगार होती है। नॉर्मल ओपन सर्जरी के मुकाबले, मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी काफी आसान होती है। इसमें मरीज के शरीर में ज्यादा बड़ा कट लगाने या मांसपेशियों को हटाकर तब हड्डी में इंजेक्शन देने जैसी दर्दनाक प्रक्रिया को नहीं अपनाया जाता है। एक आम सर्जरी के मुकाबले इसमें मरीज को रिकवर करने में कम वक्त लगता है।
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कब की जाती है मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी?- When to do Minimally Invasive Spine Surgery
- स्पाइनल कम्प्रेशन
- रीढ़ की हड्डी में किसी तरह का इंफेक्शन
- डिस्क प्रोलैप्स
- स्पाइनल ट्यूमर
- रीढ़ में स्कोलिओसिस
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क्यों फायदेमंद है मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी?
डॉ. कुलकर्णी के अनुसार, आमतौर पर रीढ़ की हड्डी या पीठ के दर्द से राहत दिलाने के लिए कोई सर्जरी की जाती है, तो मांसपेशियों में बड़ा कट लगाया जाता है। कट लगाने की वजह से मांसपेशियों के डैमेज होने, ज्यादा खून बहने और संक्रमण की संभावना ज्यादा रहती है। जब डॉक्टर किसी औजार से इंसान के शरीर में कट लगाते हैं, तो उन्हें इस बात का अंदाजा काफी कम होता है कि शरीर से कितना खून बाहर जाएगा। साधारण सर्जरी के बाद जब शरीर में टांके लगाए जाते हैं, तो उसे भरने में काफी वक्त लगता है। साथ ही, जब तक टांके पूरी तरह से भर नहीं जाते हैं, तब तक मरीज को पूरी तरह से बेड रेस्ट करने की सलाह दी जाती है। वहीं, जब बात आती है मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी की, तो इसमें कट बहुत छोटा होता है। इसमें रोबोटिक्स के जरिए शरीर का हिस्सा बिना किसी दर्द के काटा जाता है इंजेक्शन, दवाएं डालकर वापस उस हिस्से को चिपका देता है।
डॉक्टर के अनुसार, इस सर्जरी में डीकंप्रेसन चरण के दौरान, सर्जन हड्डी या उन हिस्सों को हटाता है जो रीढ़ की हड्डी या नसों को दबा रहे हैं, जिससे दर्द और अन्य लक्षण कम होते हैं। जिसके कारण पोस्ट ऑपरेटिव दर्द कम होता है। आम सर्जरी के मुकाबले मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी करवाने वाले व्यक्ति को रिकवरी करने में काफी कम वक्त लगता है। मिनिमली इनवेसिव स्पाइनल सर्जरी का सबसे ज्यादा फायदा सर्जिकल आघात में कमी है। इस सर्जरी में मरीज 1 से 2 दिन के भीतर ही अस्पताल से घर लौट जाता है। मिनिमली इनवेसिव स्पाइन कंप्रेसर और फ्यूजन सर्जरी, साधारण स्पाइनल सर्जरी का एक बेहतर विकल्प है।
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