
आजकल ज्यादातर लोग इनएक्टिव लाइफस्टाइल जी रहे हैं और लंबे समय तक एक ही जगह बैठकर काम करते हैं, जिसके कारण रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याएं आम हो गई हैं। पहले जहां इन समस्याओं का सामना केवल वृद्ध लोगों को करना पड़ता था, वहीं अब युवा वर्किंग लोग भी कमर दर्द, स्लिप डिस्क और स्पाइन से जुड़ी परेशानियों से जूझ रहे हैं। घंटों एक ही स्थिति में बैठकर काम करना, मोबाइल या कंप्यूटर पर झुके रहना, फिजिकल एक्टिविटी की कमी और सही पोषण की कमी रीढ़ की हड्डी पर बुरा असर डालते हैं। रीढ़ की हड्डी (स्पाइन) और डिस्क के बीच का अंतर समझना जरूरी है। ऐसा इसलिए, क्योंकि रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर का एक मुख्य ढांचा है और डिस्क इसका आवश्यक हिस्सा है। डॉ. प्रियंका सहरावत, एमडी, डीएम न्यूरोलॉजी (एम्स दिल्ली) से जानिए, स्पाइन और डिस्क में क्या अंतर होता है।
स्पाइन और डिस्क
डॉ. प्रियंका सहरावत के अनुसार, रीढ़ की हड्डी में कई छोटे-छोटे ब्लॉक्स होते हैं, जिनके बीच मुलायम संरचना में डिस्क होती हैं। यह डिस्क शॉक एब्जॉर्प्शन का कार्य करती हैं। रीढ़ की हड्डी और डिस्क के बीच सही तालमेल न होने पर कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस लेख में हम रीढ़ की हड्डी और डिस्क के बारे में विस्तार से जानेंगे, साथ ही जानेंगे कि इनके बीच क्या अंतर है और कैसे इनसे जुड़ी समस्याओं से बचा जा सकता है।
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रीढ़ की हड्डी
रीढ़ की हड्डी मानव शरीर में गर्दन से लेकर कमर तक फैली होती है। इसके अंदर स्पाइनल कॉर्ड होती है जो हमारे नर्वस सिस्टम का हिस्सा है और मस्तिष्क के साथ पूरे शरीर को जोड़ती है।
डिस्क क्या है?
रीढ़ की हड्डी के ब्लॉक्स के बीच एक मुलायम डिस्क होती है। यह एक जेली जैसा पदार्थ होता है जो शॉक को अवशोषित करता है और रीढ़ की हड्डी को चोटों से बचाता है। डिस्क में बाहरी कवर और अंदर का हिस्सा नरम और लचीला होता है। यह बॉडी के शॉक एब्जॉर्प्शन के लिए जरूरी है, जैसे कि चलते समय और भारी सामान उठाने के दौरान।
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रीढ़ की हड्डी और डिस्क में अंतर
रीढ़ की हड्डी और डिस्क में मुख्य अंतर यह है कि रीढ़ की हड्डी एक कंकाल संरचना है, जबकि डिस्क एक लचीला संरचना होती है। डिस्क एक तरह का शॉक एब्जॉर्प्शन मैकेनिज्म है जो रीढ़ की हड्डी के मूवमेंट को आसान बनाती है और चोटों से बचाव करती है।
डिस्क बल्ज होने के कारण - Causes of Disc Bulge
- कैल्शियम और विटामिन डी की कमी
- गलत पॉश्चर में बैठना
- भारी वजन उठाना
- गर्दन झुकाकर लंबे समय तक मोबाइल या लैपटॉप देखना
- इन कारणों से डिस्क पीछे की ओर खिसकती है और नसों को पिंच या कंप्रेस कर सकती है, जिससे दर्द और अन्य समस्याएं होती हैं।
डिस्क बल्ज के लक्षण और समस्याएं
- पीठ और पैरों में दर्द
- गर्दन में दर्द या सुन्नता
- हाथों में कंरट जैसा महसूस होना
- चलने या झुकने में कठिनाई
निष्कर्ष
सही खानपान, नियमित एक्सरसाइज और सही पॉश्चर अपनाकर रीढ़ की हड्डी और डिस्क को हेल्दी रखा जा सकता है। डिस्क बल्ज जैसी समस्याओं से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह का पालन करें।
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