
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के स्वास्थ्य का सीधा असर भ्रूण के सेहत पर पड़ता है। आपने कई बार देखा होगा या सुना होगा कि बच्चे के जन्म के बाद उसे किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या है, जिसके कारण डॉक्टर माता-पिता को बच्चा सौंपने से पहले उसका सही इलाज करने की कोशिश करते हैं। लेकिन डॉक्टर को शिशु में होने वाले इन समस्याओं के बारे में इतनी जल्दी कैसे पता चल जाता है, ये सवाल अक्सर कई लोगों के मन में होता है। दरअसल डिलीवरी के तुंरत बाद शिशु के डॉक्टर कुछ टेस्ट करते हैं और उनके स्वास्थ्य की स्थिति का पता लगाने की कोशिश करते हैं। इस लेख में हम आपको इस बारे में ही जानकारी देने की कोशिश करेंगे कि शिशु के जन्म के तुरंत बाद उनकी क्या-क्या जांच की जाती है और जन्म के तुरंत बाद बच्चे को क्या दिया जाता है? (What Are The Checks Immediately After Birth) तो आइए किरण मल्टी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन और न्यूबोर्न स्पेशलिस्ट डॉ. पवन मंडाविया से जानते हैं कि जन्म के बाद बच्चे की क्या जांच की जाती है?
शिशु के जन्म के तुरंत बाद उनकी क्या-क्या जांच की जाती है?
1. जन्म के तुंरत बाद शिशु को रोगाणुमुक्त कपड़े (Sterile Clothing) में रखा जाता है, ताकि बच्चे को इंफेक्शन होने से रोका जा सके।
2. शिशु के जन्म के तुरंत बाद उनके शरीर से एमनियोटिक द्रव, ब्लड और वर्निक्स केसियोसा को हटाने के लिए नहलाया जाता है, ताकि शरीर के तापमान को नियंत्रित और संक्रमण के जोखिम को कम करने में मदद मिले।
3. बच्चे को नहलाने के बाद नर्स शिशु के वायुमार्ग को साफ करने के लिए मुंह और नाक से सक्शन करती हैं, जिससे सांस लेने में समस्या का कारण बनने वाली चीजों को हटाया जा सके और शिशु आराम से सांस ले सके।
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4. शिशु अपनी मां के पेट में उनकी गर्भनाल से जुड़ा होता है। इसलिए उनके होने के बाद इसे काटना और जकड़ना जरूरी है, ताकि बच्चे को प्लेसेंटा से अलग किया जा सके और खून की कमी होने से रोक जा सके।
5. जन्म के तुरंत बाद शिशुओं को विटामिन K का इंजेक्शन दिया जाता है। विटामिन के नवजात शिशुओं में खून से जुड़ी समस्याओं को होने से रोकता है।
6. इसके बाद शिशुओं में ओरोगैस्ट्रिक ट्रैक्ट की जांच की जाती है, और अगर जरूरत होती है तो गैस्ट्रिक वॉश किया जाता है। ओरोगैस्ट्रिक ट्रैक्ट की जांच बच्चे के पाचन तंत्र में कोई भी निगला हुआ तरल पदार्थ नहीं है, इस बात को सुनिश्चित करता है, जो समस्या पैदा कर सकता है।
7. जन्म के तुरंत बाद ही शिशु के गुदा (Anal) के रास्ते की जांच की जाती है। ताकि इस बात को सुनिश्चित किया जा सके कि उनके गुदा के रास्ते में किसी तरह की रुकावट न हो।
8. बच्चे में किसी भी दिखाई देने वाली जन्मजात समस्या की जांच के लिए जन्मजात विकृतियों की जांच की जाती है। ताकि उन्हे समय पर सही देखभाल और इलाज मिल सके।
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9. इसके बाद शिशु के दिल और फेफड़ों की जांच की जाती है। इस जांच की मदद से बच्चे में होने वाली दिल और फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं को समय पर ठीक किया जा सके।
10. बच्चे के जन्म के तुरंत बाद उनका वजन मापा जाता है और उसे रिकॉर्ड किया जाता है। ऐसा करने से बच्चे के विकास और स्वास्थ्य की स्थिति का पता लगाने में मदद मिलती है।
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इन सभी जांचों के बाद शिशु को साफ कपड़े में लपेटा जाता है, और सभी रिपोर्ट सही आने पर शिशु को परिवार के अन्य सदस्यों को सौंप दिया जाता है। जन्म के तुरंत बाद शिशु के ये सभी जांच किए जाते हैं और जरूरी ट्रीटमेंट औऱ इंजेक्शन दिया जाता है, ताकि उन्हें होने वाली किसी भी समस्या का सही समय पर इलाज शुरु किया जा सके और जन्म के बाद इंफेक्शन होने से रोका जा सके।
Image Credit: Freepik
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