Ice Pick Scars Treatment: मुंहासे कई प्रकार के होते हैं। कई बार मुंहासे ठीक हो जाने के बाद भी निशान छोड़ जाते हैं। ये निशान कुछ समय से लेकर कई सालों तक त्वचा पर नजर आ सकते हैं। ऐसा ही मुंहासे के निशान का एक प्रकार है आइस पिक स्कार्स। आइस पिक निशान मुंहासे के सबसे प्रमुख और गंभीर प्रकार के निशानों में से एक हैं। आइस पिक स्कार्स आपकी त्वचा पर छोटे और गहरे छेद के रूप में दिखाई देते हैं। आइस पिक स्कार्स, त्वचा में गड्ढे के रूप में दिखते हैं। ये निशान मुख्य रूप से गालों पर नजर आते हैं। अन्य मुहांसों के निशानों की तुलना में, आइस पिक के निशान ज्यादा गहरे होते हैं। आइस पिक मुंहासे के निशान चेहरे के विभिन्न हिस्सों पर हो सकते हैं। जैसे- नाक, माथे और ऊपरी गाल आदि। आइस पिक मुंहासे के निशान कुछ मिलीमीटर तक गहरे हो सकते हैं, जो त्वचा की दूसरी परत तक फैले होते हैं। आइस पिक स्कार्स क्यों बनते हैं और उसका इलाज कैसे करें, यह हम आगे जानेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने ओम स्किन क्लीनिक, लखनऊ के वरिष्ठ कंसलटेंट डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ देवेश मिश्रा (Dr. Devesh Mishra) से बात की।
आइस पिक स्कार्स का इलाज- Ice Pick Scars Treatment
आइस पिक स्कार्स के इलाज के लिए लोग एलोवेरा, शहद, हल्दी आदि का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि आइस पिक स्कार्स के इलाज के लिए घरेलू उपाय उतने असरदार नहीं माने जाते। आइस पिक स्कार्स (Ice Pick Scars) का इलाज मुश्किल हो सकता है, क्योंकि ये निशान त्वचा के गहरे स्तर तक पहुंचते हैं। हालांकि, कुछ मेडिकल ट्रीटमेंट्स की मदद से स्कार्स को कम करने में मदद मिल सकती है-
लेजर थेरेपी- Laser Therapy
लेजर थेरेपी त्वचा की गहरी परतों को टार्गेट करता है। फ्रैक्शनल लेजर रिसर्फेसिंग (Fractional Laser Resurfacing) में त्वचा की ऊपरी परत को हटाया जाता है, इससे नई त्वचा का निर्माण होता है। यह इलाज स्कार्स की गहराई को कम करने में मदद करता है।
केमिकल पील ट्रीटमेंट- Chemical Peel Treatment
केमिकल पील ट्रीटमेंट त्वचा की ऊपरी परत को एक विशेष केमिकल से हटाया जाता है। इससे नई त्वचा बनती है जो स्कार्स को कम करता है। हालांकि केमिकल पील ट्रीटमेंट की सलाह हर किसी को नई दी जाती है। इस ट्रीटमेंट से पहले एक्सपर्ट आपकी त्वचा की जांच करते हैं।
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माइक्रोनिडलिंग- Microneedling
माइक्रोनिडलिंग तकनीक में छोटी सुइयों की मदद से त्वचा पर छोटे छेद बनाए जाते हैं। इससे कोलेजन उत्पादन में वृद्धि होती है, जिससे स्कार्स की गहराई कम हो सकती है। माइक्रोनिडलिंग के साथ पीआरपी PRP (Platelet-Rich Plasma) थेरेपी का इस्तेमाल करने से भी बेहतर रिजल्ट मिलता है।
फिलर्स- Fillers
डर्मल फिलर्स का इस्तेमाल करके स्कार्स के नीचे की त्वचा को ऊपर उठाया जाता है। यह स्कार्स की गहराई को अस्थायी रूप से कम कर सकता है, हालांकि इसके परिणाम स्थायी नहीं होते और इन्हें समय-समय पर दोहराने की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा क्रॉस तकनीक (CROSS Technique) की मदद से भी स्कार्स को भी गहराई से कम किया जाता है।
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