इस समय एक खबर चर्चा में है। हाल ही में मिस अर्जेंटीना रहीं मारियाना वरेला (Miss Argentina Mariana Varela) और मिस प्यूर्टो रिको का ताज पहन चुकींं फैबियोला वैलेंटाइन (Miss Puerto Rico Fabiola Valentín) शादी के बंधन में बंधी हैं। दोनों की शादी 28 अक्टूबर को हुई। इनके बीच लंबे समय से अफेयर की खबरें आती रही हैं। दोनों ने इंस्टाग्राम के जरिए लोगों के साथ अपनी खुशी साझा की है। वरेला और वैलेंटाइन की शादी और उनके खास पलों की झलक देखकर लोग मिली-जुली प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इस खबर के बाद समलैंगिकता एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है। कई लोग ऐसा मानते हैं कि समलैंगिकता (Homosexuality) एक बीमारी है। इस सवाल का सही जवाब आपको लेख के अंत तक मिल जाएगा। समलैंगिकता से जुड़ी अन्य जरूरी बातें जानने के लिए हमने लखनऊ के बोधिट्री इंडिया सेंटर की काउन्सलिंग साइकोलॉजिस्ट डॉ नेहा आनंद से बात की।
समलैंगिकता क्या एक बीमारी है?
डॉ नेहा ने बताया, कि समलैंगिता किसी प्रकार की बीमारी नहीं है। ये केवल एक भ्रम है। लोगों ने समलैंगिक रिश्तों को स्वीकार न करने के लिए एक तर्क बना लिया है कि ये एक प्रकार की बीमारी है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। ये एक तरह की यौन प्रवृति है जो पूरी तरह से जैविक है। जिस तरह पुरुष और महिला दो अलग जेंडर के बीच रिश्ते स्थापित होते हैं उसी तरह समलैंगिक रिश्ते एक ही जेंडर में देखे जाते हैं। समान जेंडर के बीच के संबंध को ही समलैंगिकता का नाम दिया गया है। पहले समलैंगिकता अपराध की श्रेणी में आता था। लेकिन धारा 377 को खत्म करके सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है।
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समलैंगिकता को दूर करने का कोई इलाज है?
ये कोई बीमारी नहीं है जिसे थेरेपी देकर या इलाज के जरिए ठीक किया जा सकता है। कोई भी डॉक्टर इसे विकार नहीं कहेगा। डॉ नेहा ने बताया कि कई लोग हमारे पास अपने बच्चे को लेकर आते हैं और साइकोलॉजिस्ट होने के नाते वो मुझसे बच्चे का इलाज करने के लिए कहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है ऐसे बच्चे जो समलैंगिक व्यवहार रखते हैं उन्हें इलाज के जरिए ठीक किया जा सकता है। लेकिन समलैंगिक व्यवहार को ठीक करने की कोई दवा या इलाज नहीं है।
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WHO होमोसेक्शुएलिटी के बारे में क्या कहता है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, किसी व्यक्ति का समान लिंग के लोगों के प्रति यौन रूप से आकर्षित होना समलैंगिकता है।समलैंगिकता भी भावनात्मक और शारीरिक आकर्षण से जुड़ी है। इसे किसी व्यक्ति की पहचान से भी जोड़कर देखा जा सकता है। सही मायने में कहें, तो समलैंगिकता की परिभाषा में कहीं भी इसे बीमारी नहीं बताया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1990 में होमोसेक्शुएलिटी को बीमारी की श्रेणी से हटा दिया है। इससे पहले इसे मानसिक तो कभी शारीरिक रोगों की श्रेणी में रखा जाता था।
समलैंगिकता को अंधविश्वास से न जोड़ें
आपको बता दें कि कुछ समय पहले देश की राजधानी दिल्ली में एक मामला सामने आया था जिसमें एक डॉक्टर होमोसेक्शुएलिटी को ठीक करने का दावा कर रहा था। ये डॉक्टर होमोसेक्शुएलिटी के इलाज के लिए लोगों से मोटी रकम वसूल रहा था। इलाज में डॉक्टर इलेक्ट्रिक शॉक और हार्मोनल थेरेपी से होमोसेक्शुएलिटी दूर करने का दावा करता था। बाद में ये केस कोर्ट गया और डॉक्टर से सजा दी गई। आप किसी तरह के अंधविश्वास में न पड़ें।
समलैंगिकता को स्वीकार करें। समलैंगिक व्यवहार वाले लोगों के प्रति संवेदनशील बनें। ये कोई बीमारी नहीं है इसलिए भेदभाव के भाव न रखें।
image credit: thequint, moneycontrol