समलैंगिकता के बारे में बात करती फिल्म 'शुभ मंगल ज्यादा सांवधान', जानें क्या हैं इसके कारण

आयुष्मान खुराना की फिल्म 'शुभ मंगल ज्यादा सांवधान' समलैंगिकता पर आधारित है, जानें क्या होता है समलैंगिकता का कारण। 
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समलैंगिकता के बारे में बात करती फिल्म 'शुभ मंगल ज्यादा सांवधान', जानें क्या हैं इसके कारण

बहुत जल्द लोगों के सामने आयुष्मान खुराना की फिल्म 'शुभ मंगल ज्यादा सांवधान' आ रही है। जिसको देखने के लिए लोगों में खासा उत्साह है। फिल्म 'शुभ मंगल ज्यादा सांवधान' की कहानी होमोसेक्शुएलिटी पर आधारित है। आज से पहले बॉलीवुड में इस तरह की फिल्म नहीं आई है, इसलिए इस फिल्म को लेकर लोगों में काफी चर्चा है। 


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फिल्म 'शुभ मंगल ज्यादा सांवधान' में आयुष्मान एक 'गे' के किरदार में हैं। जिसमें वह एक अमन नाम के लड़ने से प्यार कर बैठते हैं। वह अपने परिवार के लोगों में दोनों के प्यार और 'गे' होने की बात बताते हैं। लोगों में ये कहानी देख कर आज भी ये ख्याल आ रहा होगा कि कैसे ये होमोसेक्शुअल बन सकते हैं यानी एक ही लिंग के इंसान से कैसे प्यार कर सकते हैं। हम आज आपके सामने इस विषय इसलिए लेकर आए हैं जिससे की हम ये जान सके कि होमोसेक्शुअल होना अपने बस की बात होती है या फिर ये एक नेचुरल होता है। 

एक ही लिंग के दो लोग जब आसपस में एक दूसरे के लिए फीलिंग्स आती है तो उसे हम आम भाषा में होमोसेक्शुअल कहते हैं। इस तरह की फीलिंग्स आने में किसी तरह का अपराध नहीं है। न ही अब यह एक ऐसा विषय है, जिस पर चर्चा न की जा सके। लेकिन आज भी लोग इस विषय पर बात करने से घबराते हैं या फिर कई तरह के ख्याल अपने मन में लाते हैं। 

क्या है होमोसेक्शुअल ? 

आपको बता दें कि विपरीत लिंग के प्रति अगर कोई आकर्षित होता है तो उसे  स्ट्रेट कहा जाता है। वहीं, अगर समान लिंग के प्रति आकर्षित होने वाले लोगों को होमोसेक्शुअल यानी समलैंगिक कहा जाता है। इन सबके अलावा बाइसेक्शुअल वो लोग कहलाते हैं जो दोनों ही लिंगों के प्रति आकर्षित होते हैं। आखिरी वो लोग यानी जो एसेक्शुअल लोग होते हैं जिनमें सेक्स को लेकर किसी भी तरह का कोई आकर्षण नहीं होता। 

   

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बीमारी नहीं समलैंगिकता 

साल 2018 में 'इंडियन साइकैट्री सोसायटी' ने आधिकारिक तौर पर बताया था कि अब समलैंगिकता को बीमारी समझना बंद करना चाहिए। 'इंडियन साइकैट्री सोसायटी' के अध्यक्ष डॉ. अजित ने कहा कि पिछले 40-50 सालों में ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है, जो ये साबित करता हो कि समलैंगिकता एक बीमारी है। 

हॉमोन्स के कारण बनते हैं समलैंगिक? 

अक्सर लोगों को लगता है कि इंसान के शरीर में हॉर्मोन्स में गड़बड़ी के कारण ही वो समलैंगिकता का शिकार होता है, जबकि ऐसा नहीं है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ और एलजीबीटी मामलों के जानकार डॉ. पल्लव पटनाकर के मुताबिक, ज्यादातर लोगों को ये लगता है कि 'गे' के शरीर में एस्ट्रोजन हॉर्मोन्स (जो महिलाओं के शरीर में पाए जाते हैं) ज्यादा मात्रा में होते हैं जिसकी वजह से वो समलैंगिकता का शिकार होते हैं। जबकि ऐसा बिलकुल भी नहीं होता है। 

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जेनेटिक समस्या हो सकती है कारण

कई अध्ययनों में इस बात का खुलासा हुआ है कि ये एक जेनेटिक समस्या के कारण होता है। क्योंकि एक ही परिवार के सदस्यों में पूर्वजों का भी अंश पाया जाता है। अगर खानदान में कोई भी शख्स किसी दूसरे शख्स के प्रति आकर्षण रखता है तो उसका असर अपने आप दूसरे सदस्य में आने लगता है। 

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