What is Gut Healing in Ayurveda: स्वस्थ रहने की कोशिश करने वाले लोगों के लिए गट हेल्थ का खास ध्यान रखना बेहद जरूरी है। दरअसल, अधिकतर बीमारियां हमारे पेट से ही शुरू होती है, जो धीरे-धीरे अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है। गट हेल्थ का बेहतर रहना न सिर्फ हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है। जब भी गट हीलिंग की बात आती है तो लोग अधिक मात्रा में फाइबर का सेवन, प्रोबायोटिक्स के साथ सप्लीमेंट्स लेना और ज्यादा किण्वित खाद्य पदार्थों का सेवन करना शुरू कर देते हैं। लेकिन असल में आयुर्वेद के अनुसार गट हीलिंग (Why is the gut important in Ayurveda) का मतलब ज्यादा फाइबर या सिर्फ हेल्दी डाइट लेना नहीं, बल्कि आप कब, किस तरह भोजन कर रहे हैं, इस बात पर भी निर्भर करता है। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉक्टर वरलक्ष्मी यनमन्द्र से जानते हैं आयुर्वेद में गट हीलिंग क्या है (Gut Healing Kya Hota Hai) और यह कैसे काम करता है?
आयुर्वेद में आंत को स्वस्थ रखने का तरीका क्या है? - What is The Way To Keep Gut Healthy in Ayurveda?
अग्नि स्थिति के अनुसार खाएं
आपकी अग्नि दोपहर के समय ज्यादा मजबूत होती है और इसलिए नाश्ता भारी करने की तुलना में दोपहर का भोजन हैवी करना ज्यादा बेहतर विकल्प माना जाता है। दूसरी ओर, शाम को आपका एनर्जी लेवल स्थिर होता है, इसलिए रात को हल्का खाना खाने की सलाह दी जाती है।
अपना रूटीन सूर्य और चंद्रमा चक्रों के साथ मिलाएं
आयुर्वेद के अनुसार, हमारा पेट सूर्य और चंद्रमा की चाल से बहुत प्रभावित होता है। हमारा पूरा शरीर विज्ञान सूर्य के प्रकाश के सिद्धांत पर निर्भर करता है। हमारे पूर्वजों ने इस सिद्धांत को समझा और इसीलिए उन्होंने अपने जीवन में ऐसे रीति-रिवाजों और प्रथाओं को शामिल किया जिससे हमारा शरीर सूर्य और चंद्रमा के चक्रों के साथ चल सके। इसलिए आप अपने खाने के समय को रोजाना एक ही समय पर खाने की कोशिश करें और रात 10 बजे से पहले सोने की कोशिश करें।
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भोजन के साथ स्वस्थ संबंध बनाएं
अगर भोजन के साथ आपका रिश्ता सही नहीं है, तो सिर्फ फाइबर खाने से आपका पेट ठीक नहीं हो सकता। भोजन के साथ एक स्वस्थ रिश्ता आपके पेट को ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भोजन आपकी खुशी का आखिरी स्रोत है क्योंकि इसके बिना हम जीवित नहीं रह सकते। इसलिए हमेशा खुश रहकर खाना खाने की कोशिश करें और हर तरह के पोषक तत्वों को डाइट में शामिल करें।
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दिमाग को अपने पेट पर हावी न होने दें
आपका दिमाग आपके पेट को सबसे ज़्यादा प्रभावित करता है, इसलिए कोशिस करें कि आपका दिमाग आपके पेट पर हावी न हो पाएं। इसलिए दिमाग के अनुसार नहीं बल्कि अपने पेट के अनुसार खाएं। आपको जीतनी भूख हो उतना ही खाएं।
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