GI Tag in India in Hindi: रामनगर का लीची, अयोध्या के हनुमान गढ़ी के बेसन के लड्डू, बिहार के मर्चा चावल, ओड़िशा के लाल चींटी की चटनी समेत कई प्रदेशों के यूनीक फूड्स को सरकार द्वारा जीआई टैग (GI Tag) दिया गया है। जीआई टैग किसी भी वास्तु या उत्पाद के लिए बहुत खास माना जाता है और इस टैग के मिलने से उस चीज की वैल्यू कई गुना बढ़ जाती है। किसी भी वस्तु की विशेषता और उसके दुर्लभ गुणों को देखते हुए सरकारी एजेंसियों द्वारा जीआई टैग दिया जाता है। जीआई टैग न सिर्फ एक ही राज्य में किसी फूड को दिया जाता है, बल्कि अलग-अलग राज्य एक ही वस्तु को जीआई टैग दे सकते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जीआई टैग का किसी फूड के लिए महत्व क्या है और इसे पाने की प्रक्रिया क्या होती है? आइये इस लेख में विस्तार से जानते हैं जीआई टैग से जुड़े तमाम सवालों के जवाब।
जीआई टैग क्या होता है?- What Is GI Tag in Hindi
जीआई टैग किसी भी वास्तु या उत्पाद के लिए एक विशेष तरह की पहचान है। इसका पूरा नाम Geographical Indication Tag होता है। भारत में साल 2003 में जीआई टैग की शुरुआत हुई थी और यह टैग किसी भी वस्तु के अनोखे गुण और विशेषता को देखते हुए दिया जाता है। एक शहर, क्षेत्र या देश से संबंधित कुछ उत्पादों को विशेष पहचान देने और उसे प्रोत्साहित करने के लिए दिए जाने वाले चिन्ह को ही जीआई टैग कहते हैं। जीआई टैग को राज्य या केंद्र सरकार की इकाइयों द्वारा वस्तुओं के भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम 1999 द्वारा विनियमित किया जाता है। यूनीक प्रोडक्ट्स या वस्तु की गुणवत्ता को संरक्षित और सुरक्षित रखने के लिए और उन उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए जीआई टैग देने का प्रावधान है।
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किसी भी फूड के लिए जीआई टैग का महत्व- Importance Of GI Tag For Foods in Hindi
किसी भी राज्य या शहर के विशिष्ट उत्पाद या वस्तुओं को कानूनी तौर पर संरक्षण देने के लिए जीआई टैग दिया जाता है। यह टैग एक तरह का गुणवत्ता का पैमाना भी होता है और इसे मिलने के बाद वस्तुओं को देश-विदेश में आसानी से बड़ा मार्केट मिल जाता है। इस टैग के मिलने के बाद उस नाम से दूसरा कोई प्रोडक्ट बाजार में नहीं लाया जा सकता है। देश में इस समय 300 से ज्यादा वस्तुओं और उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है। हाल ही में ओड़िशा के मयूरभंज जिले की लाल चींटी की चटनी को भी जीआई टैग दिया गया है। इसके अलावा अलफांसों आम से लेकर बेसन के लड्डुओं को भी जीआई टैग दिया गया है। जीआई टैग किसी भी वास्तु या प्रोडक्ट को 10 साल के लिए मिलता है, उसके बाद इसे दोबारा रिन्यू कराना पड़ता है।
कैसे मिलता है जीआई टैग?
किसी भी उत्पाद को जीआई टैग पाने के लिए निर्माता, संगठन या सरकार के तहत काम करने वाली संस्थाओं द्वारा वाले Controller General of Patents, Designs and Trade Marks (CGPDTM) में आवेदन करना पड़ता है। आवेदन को CGPDTM के द्वारा तय किये गए मानकों के आधार पर चेक किया जाता है और इसके बाद ही जीआई टैग दिया जाता है।
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जियोग्राफिकल इंडिकेशंस यानी जीआई टैग मिलने के बाद प्रोडक्ट्स की वैल्यू बढ़ जाती है। इसके बाद उस प्रोडक्ट के जैसे मिलने-जुलते नकली उत्पादों को रोकने में भी मदद मिलती है। जीआई टैग की शुरुआत विश्व व्यापार संगठन ने की थी और इसमें भाग लेने वाले देश प्रोडक्ट्स या वस्तुओं को जीआई टैग देते हैं। भारत में सबसे पहला जीआई टैग दार्जिलिंग चाय को मिला था।
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