शरीर का तापमान बढ़ने या घटने-बढ़ने की स्थिति को बुखार (Fever in Hindi) के नाम से जानते हैं। दरअसल, जब शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र किसी बाहरी संक्रमण से जूझ रहा होता है, तो इसकी वजह से तापमान बढ़ने लगता है। लेकिन इसके अलावा कई अन्य कारण भी होते हैं, जिसकी वजह से आपको बुखार आ जाता है। लगतार शरीर का तापमान बढ़ने-घटने की स्थिति को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इस स्थिति में आपको तुरंत इलाज लेना चाहिए। बुखार आने के कई कारण हो सकते हैं। अक्सर लोग बुखार को लेकर कंफ्यूज रहते हैं कि यह कोई बीमारी या शरीर में किसी बीमारी या समस्या के कारण हो रही प्रतिक्रिया। लोगों में बीमारियों की समझ बढ़ाने और बीमारियों के प्रति जागरूक करने के लिए ओनलीमायहेल्थ एक स्पेशल सीरीज लेकर आया है जिसका नाम है 'बीमारी को समझें'। आज इस सीरीज में आइए आसान भाषा में जानते हैं बुखार के बारे में।
बुखार क्या होता है?- What is Fever in Hindi
बुखार लोगों में सबसे ज्यादा होने वाली स्वास्थ्य से जुड़ी एक स्थिति है। बाबू ईश्वर शरण हॉस्पिटल के सीनियर जनरल फिजिशियन डॉ समीर ने बताया, आमतौर पर बुखार वायरल संक्रमण के कारण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया है। शरीर की कुछ गंभीर बीमारियों के कारण भी आपको बुखार आ सकता है। हमारे शरीर का सामान्य तापमान लगभग 97 डिग्री फॉरेन्हाइट से लेकर 99 डिग्री फॉरेन्हाइट तक होता है। इससे ज्यादा होने पर इसे बुखार माना जाता है। हालांकि हर व्यक्ति की हेल्थ कंडीशन के हिसाब से तापमान अलग-अलग हो सकता है।
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कई बार मौसम में हो रहे बदलाव की वजह से भी शरीर का तापमान बदल जाता है। लेकिन अगर आपके शरीर का तापमान लगातार 100.4 डिग्री फॉरेन्हाइट बना रहता है, तो इसे बुखार माना जाता है। बुखार किसी तरह की बीमारी नहीं होती है, बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता जब किसी बैक्टीरियल इन्फेक्शन या वायरल इन्फेक्शन से लड़ने के लिए मेहनत करती है, तो प्रतिक्रिया के कारण तापमान बढ़ जाता है। बुखार को मेडिकल की भाषा में हाइपरथर्मिया (Hyperthermia) और पायरेक्सिया (Pyrexia) भी कहा जाता है।
क्यों होता है बुखार?- Fever Causes in Hindi
हर व्यक्ति में बुखार के कारण अलग-अलग हो सकते हैं। कई स्वास्थ्य स्थितियां भी बुखार के लिए जिम्मेदार मानी जाती हैं। कई बार बीमारियों के इलाज के दौरान दवा का सेवन भी बुखार का सेवन होता है। बुखार होने के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं-
- फ्लू-जुकाम या वायरल संक्रमण
- इम्यून सिस्टम कमजोर होने पर
- टीके लगवाने पर जैसे- कोविड, टेटनस, डिप्थीरिया
- दांत निकलने पर
- तेज धूप में ज्यादा देर तक रहने के कारण
- लू लगने पर
- कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के कारण
- फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों में
- शरीर में पानी की कमी
- नशीले पदार्थों का सेवन
- कुछ दवाओं के सेवन की वजह से
- दूधित भोजन या दूषित पानी की वजह से
- मूत्र मार्ग में इन्फेक्शन
बुखार कितने तरह का होता है?- Types of Fever in Hindi
बुखार की समस्या कई तरह की होती है, इसके कारणों के आधार पर इसे अलग-अलग प्रकार में रखा गया है। मुख्य रूप से बुखार तीन तरह के होते हैं-
- लो ग्रेड फीवर- 100 से लेकर 101 डिग्री फॉरेन्हाइट के बुखार को लो ग्रेड फीवर कहा जाता है।
- हाई ग्रेड फीवर- बुखार जब 103 से 104 डिग्री फॉरेन्हाइट होता है, तो इसे हाई ग्रेड फीवर कहते हैं।
- डेंजरस ग्रेड फीवर- इसे खतरनाक माना जाता है। डेंजरस ग्रेड फीवर में शरीर का तापमान 104 डिग्री फॉरेन्हाइट से ज्यादा होता है।
इसके अलावा बुखार कई अन्य तरह के भी होते हैं, जैसे सस्टेंड फीवर, रेमिटेंट फीवर और इंटरमिटेंट फीवर।
बुखार के लक्षण क्या होते हैं?- Fever Symptoms in Hindi
बुखार का सबसे प्रमुख लक्षण शरीर का तापमान बढ़ना होता है। इसके अलावा बुखार होने पर कई अन्य लक्षण भी देखने को मिलते हैं। बुखार के कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार से हैं-
- शरीर का तापमान बढ़ना
- ठंड लगना
- बहुत ज्यादा पसीना आना
- सिरदर्द और शरीर में दर्द
- खांसी आना और लगातार छींक आना
- भूख न लग्न
- शरीर में ऊर्जा की कमी
- शरीर में पानी की कमी
- मांसपेशियों में ऐंठन

बुखार होने पर कब डॉक्टर को दिखाना जरूरी है?
आमतौर पर बुखार अपने आप 2-3 दिन में ठीक हो जाता है। लेकिन जब यह समस्या कई दिनों तक बनी रहे और शरीर का तापमान लगातार बढ़ रहा हो, तो आपको डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए। इन स्थितियों में आपको डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए-
- अगर आपके शरीर का तापमान लगातार बढ़ रहा हो।
- अगर तीन महीने से कम उम्र के बच्चे को 100.4 डिग्री फॉरेन्हाइट बुखार है।
- 2 से 3 साल के बच्चे को लगातार 72 घंटे तक बुखार हो।
- बुखार के साथ ठंड लगना, कान में दर्द और खांसी होने पर।
- दिल के मरीज, एनीमिया, डायबिटीज जैसी बीमारियों में बुखार होने पर।
- टीकाकरण होने के बाद तेज बुखार होना।
अगर आपको लगातार 48 से 72 घंटे तक बुखार बना हुआ है, तो सबसे पहले डॉक्टर की सलाह लेकर इलाज लेना चाहिए। इसके अलावा बुखार होने पर खुद से दवा लेने से भी बचना चाहिए। आमतौर पर बुखार शरीर में होने वाली किसी समस्या या इन्फेक्शन की वजह से होता है, इसलिए बिना डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह के खुद से दवा खाना हानिकारक हो सकता है।
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