
What is Autophagy and How it Works For Body in Hindi: आजकल बीमारियां बढ़ने के साथ ही साथ साइंस के नए-नए टर्म देखने को मिल रहे हैं। शरीर की कोशिकाएं ही कई बार हमारे लिए स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बन जाती हैं। इसलिए हार्मोन्स की तरह ही इन्हें भी संतुलन में रखना जरूरी होता है। इसके लिए ऑटोफैगी का सहारा लिया जा सकता है। ऑटोफैगी एक ऐसी प्रक्रिया है, जो शरीर में मौजूद कोशिकाओं को संतुलन में रखती है। यह शरीर में अपने आप होने वाली एक प्रक्रिया है। ऑटोफैगी आमतौर पर व्रत रखने या लंबे समय तक कुछ नहीं खाने के बाद शुरू होती है। कुछ मामलों में यह सोने के बाद शरीर को हील करती है। आइये फीजियोथेरेपिस्ट डॉ. रेबेका पिंटो से जानते हैं इस प्रक्रिया के बारे में सबकुछ।
क्या है ऑटोफैगी? (What is Autophagy)
डॉक्टर के मुताबिक ऑटोफैगी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें शरीर अपनी कोशिकाओं यानि ब्लड वेसल्स को ठीक और संतुलन में लाने का काम करती है। इस प्रक्रिया के तहत शरीर में डैमेज्ड या ब्रेक सेल्स अपने आप ही रिपेयर होना शुरू हो जाती हैं। आसान भाषा में समझें तो ऑटोफैगी के दौरान बॉडी खुद को हील करने लगती है। ऑटोफैगी आमतौर पर तब होती है, जब शरीर का इंसुलिन और ग्लूकोज कम हो जाता है। इसे लेकर जानवरों पर कुछ शोध किए गए हैं, जिसमें पता चला कि 24 से 48 घंटे की फास्टिंग के बाद ऑटोफैगी की शुरुआत होती है।
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ऑटोफैगी शरीर के लिए कैसे काम करता है? (How Autophagy Works for Body)
ऑटोफैगी शरीर के लिए हीलर की तरह काम करती है। ऑटोफैगी की प्रक्रिया के दौरान शरीर में जमा गंदगी निकलती है। इस दौरान कोशाकाएं खुद को सुधारने में लग जाती हैं। कोशिकाएं बैक्टीरिया, वायरस और इंफेक्शन से लड़ने में मदद करती हैं। स्टडी के मुताबिक अगर ऑटोफैगी के दौरान कोई बैक्टीरिया या इंफेक्शन शरीर में घुसने की कोशिश करता है तो वह बाहर ही नष्ट हो जाता है। इसके साथ ही ऑटोफैगी शरीर में कैंसर का कारण बनने वाली कोशिकाओं को नष्ट करता है और उसे बढ़ने से रोकता है।
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