एपेंडिसाइटिस रोग क्या है, जानें इसके लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार

एपेंडिक्स की सूजन को ही एपेंडिसाइटिस कहा जाता है। एक उंगली के आकार का पाउच जो आपके पेट के निचले दाएं किनारे पर आपके कोलन से जुड़ा होता है।
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एपेंडिसाइटिस रोग क्या है, जानें इसके लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार


एपेंडिक्स की सूजन को ही एपेंडिसाइटिस कहा जाता है। एक उंगली के आकार का पाउच जो आपके पेट के निचले दाएं किनारे पर आपके कोलन से जुड़ा होता है। एपेंडिक्स का कोई विशेष उद्देश्य नहीं होता है। यह शरीर में अपशिष्ट के तौर पर मौजूद होता है। Appendicitis आपके निचले दाएं पेट में दर्द का कारण बनता है। हालांकि, ज्यादातर लोगों में, दर्द नाभि के चारों ओर शुरू होता है और फिर चलता है। जैसे ही सूजन बढ़ता है, एपेंडिसाइटिस दर्द आम तौर पर बढ़ता है और अंततः गंभीर हो जाता है। ये समस्या किसी को भी हो सकती है, अक्सर यह 10 से 30 वर्ष की आयु के लोगों में होता है। मानक उपचार के तौर पर अपेंडिक्स को शल्य चिकित्सा द्वारा हटाना है। मगर यहां हम आपको कुछ आयुर्वेदिक तरीके बता रहे हैं जिससे एपेंडिसाइटिस दर्द से निजात मिल सकती है। मगर उससे पहले जानें इसके लक्षण क्या हैं। 

एपेंडिसाइटिस के लक्षण 

  • अचानक दर्द जो निचले पेट के दाहिने तरफ से शुरू होता है।
  • अचानक दर्द जो आपकी नाभि के चारों ओर शुरू होता है और अक्सर आपके निचले दाएं पेट में बदल जाता है।

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  • दर्द और खराब हो जाए जब आप खांसी, मतली और उल्टी से परेशान हों तब यह एपेंडिसाइटिस के संकेत हैं। 
  • भूख में कमी
  • बीमारी की प्रगति के कारण खराब ग्रेड बुखार खराब हो सकता है
  • कब्ज या दस्त
  • उदरीय सूजन

आपकी उम्र और आपके एपेंडिक्स की स्थिति के आधार पर दर्द भिन्न भिन्न हो सकती है। जब आप गर्भवती हो, दर्द आपके ऊपरी पेट से आ सकता है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान आपका एपेंडिक्स बड़ा होता है।

एपेंडिसाइटिस का आयुर्वेदिक उपचार 


  • पुदीने के प्रयोग से अंदर की गैस, मतली और चक्‍कर जैसे लक्षणों को दूर किया जा सकता है। यह एपेंडिसाइटिस के दर्द को भी ठीक करता है। इसका सेवन करने के लिये पुदीने की चाय तैयार करें। 1 चम्‍मच पुदीने की पत्‍तियों को 1 कप खौलते पानी में 10 मिनट तक उबालें। इसे छान कर इसमें कच्‍ची शहद मिलाएं। फिर इसे हफ्ते भर दो या तीन बार रोज पियें।
  • यदि एपेंडिक्स रोगी को हल्‍का बुखार भी आता है तो तुलसी उसपर काबू पा सकती है। साथ ही यह अपच और गैस को कम करती है। बुखार दूर करने के लिये 1 मुट्ठी तुलसी, 1 छोटा चम्‍मच अदरक और 1 कप पानी को आधा होने तक धीमी आंच पर उबालें। इस चाय को दिन में दो बार कई दिनों तक पीजिये। एपेंडिक्स के अन्‍य लक्षणों को दूर करने के लिये आप रोजाना तुलसी की 3 से 4 पत्‍तियों को चबा सकते हैं।

  • एपेंडिक्स के उपचार के लिए लहसुन बहुत फायदेमंद माना जाता है। रोजाना खाली पेट 2 से 3 कच्‍ची लहसुन का सेवन करने से आराम मिलता है। आप खाना पकाते वक्‍त भी लहसुन का प्रयोग कर सकते हैं। दूसरा विकल्‍प है कि आप डॉक्‍टर की सलाह से गार्लिक कैप्‍सूल का सेवन भी कर सकते हैं।
  • अदरक बड़े काम की चीज है। दर्द और सूजन को दूर करने में भी अदरक उपयोगी है। रोजाना अदरक की चाय 2 से 3 बार पियें। अदरक की चाय बनाने के लिये 1 कप उबलते हुए पानी में 1 छोटा चम्‍मच घिसा अदरक डाल कर 10 मिनट उबालें। दूसरा तरीका है कि अपने पेडु को अदरक के तेल से दिन में कई बार मसाज करें।

इन बातों का भी रखें ध्‍यान

एपेंडिक्स में रोज नमक मिला कर छाछ पीना फायदेमंद होता है। इसके अलावा अपनी डाइट का ख्‍याल रखें। ताजे फल और हरी पत्‍तेदार सब्‍जियां जरूर खायें। डेयरी प्रोडक्‍ट्स, मीट और रिफाइंड शुगर ना खाएं। विटामिन बी, सी और ई सप्‍लीमेंट लीजिये। अपने पेड़ू को छींकते, खांसते और हंसते वक्‍त अपने हाथों से सहारा दीजिए जिससे दर्द ना हो। थकान होने पर हमेशा आराम करें और अच्‍छी नींद लीजिए।

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