पेल्विक ट्यूमर, जो कि श्रोणि (पेल्विक) क्षेत्र में बनने वाली एक असामान्य गांठ या वृद्धि है, महिलाओं और पुरुषों दोनों में हो सकता है। यह ट्यूमर कैंसर का रूप भी ले सकता है और इसके कई प्रकार होते हैं, जैसे कि ओवेरियन सिस्ट, यूटेराइन फाइब्रॉइड, प्रोस्टेट ट्यूमर आदि। पेल्विक ट्यूमर का जल्दी पता लगाना जरूरी है, क्योंकि घातक ट्यूमर तेजी से फैल सकते हैं और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं। इसके लक्षण अन्य सामान्य बीमारियों से मिलते-जुलते हो सकते हैं, जिससे इसे पहचानना कभी-कभी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करने पर यह समस्या बढ़ सकती है। पेल्विक ट्यूमर का इलाज करने के लिए कई मेडिकल तकनीकों का सहारा लिया जाता है, जैसे कि इमेजिंग टेस्ट, ब्लड टेस्ट और बायोप्सी। इन प्रक्रियाओं से ट्यूमर के प्रकार और उसकी गंभीरता का पता लगाया जाता है। महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितताएं और पुरुषों में पेशाब से जुड़ी समस्याएं पेल्विक ट्यूमर के प्रमुख संकेत हो सकते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि पेल्विक ट्यूमर का पता कैसे लगाया जाता है। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ में डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के असिसटेंट प्रोफेसर और यूरोलॉजिस्ट डॉ संजीत कुमार सिंह से बात की।
पेल्विक ट्यूमर के लक्षण- Pelvic Tumor Symptoms
पेल्विक ट्यूमर के लक्षण अन्य सामान्य बीमारियों से मिलते-जुलते हो सकते हैं, जिससे इसे पहचानना कठिन हो सकता है। आमतौर पर होने वाले लक्षणों में ये शामिल हैं-
- पेट के निचले हिस्से में दर्द या भारीपन
- पेट में सूजन या गांठ महसूस होना
- मासिक धर्म में अनियमितता (महिलाओं में)
- पेशाब करने में कठिनाई या बार-बार पेशाब आना
- पाचन संबंधी समस्याएं, जैसे कब्ज या डायरिया
- थकान और वजन कम होना
- लक्षण गंभीर होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।
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पेल्विक ट्यूमर का पता कैसे लगाते हैं?- Pelvic Tumor Diagnosis
1. फिजिकल एग्जामिनेशन- Physical Examination
डॉक्टर सबसे पहले मरीज की स्वास्थ्य स्थिति को समझने के लिए शारीरिक परीक्षण करते हैं। इसमें पेट के क्षेत्र में गांठ या असामान्य सूजन को महसूस किया जाता है। महिलाओं के लिए पेल्विक एग्जामिनेशन भी किया जा सकता है।
2. इमेजिंग टेस्ट- Imaging Test
ट्यूमर की स्थिति, आकार और प्रकार का पता लगाने के लिए इमेजिंग तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है-
- अल्ट्रासाउंड (Ultrasound): यह एक सामान्य प्रक्रिया है जो पेल्विक क्षेत्र में ट्यूमर को दिखाने में मदद करती है।
- सीटी स्कैन (CT Scan): यह ट्यूमर की सटीक स्थिति और फैलाव को दिखाता है।
- एमआरआई (MRI): यह शरीर के आंतरिक अंगों और ट्यूमर के प्रकार को ज्यादा साफ तरीके से दिखाता है।
3. ब्लड टेस्ट- Blood Test
कुछ प्रकार के ट्यूमर के लिए ब्लड मार्कर की जांच की जाती है, जैसे कि ओवेरियन कैंसर के लिए CA-125 टेस्ट। यह ट्यूमर के इलाज को सुनिश्चित करने में मददगार साबित हो सकता है।
4. बायोप्सी- Biopsy
बायोप्सी में ट्यूमर से कोशिकाओं का नमूना लिया जाता है और लैब में उसकी जांच की जाती है। इससे यह पता चलता है कि ट्यूमर, खतरनाक है या नहीं। यह प्रक्रिया सटीक इलाज के लिए जरूरी है।
5. लैप्रोस्कोपी- Laparoscopy
यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें एक छोटे कट की मदद से कैमरा डाला जाता है। लैप्रोस्कोपी से डॉक्टर ट्यूमर को सीधे देख सकते हैं और सैंपल ले सकते हैं।
6. पीईटी स्कैन- PET Scan
यह तकनीक ट्यूमर की सक्रियता और उसके फैलाव की स्थिति जानने में मदद करती है। इसे कैंसर की पुष्टि के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
पेल्विक ट्यूमर का समय पर लाज होना बहुत जरूरी है। ट्यूमर आसानी से हटाए जा सकते हैं, लेकिन खतरनाक ट्यूमर का इलाज मुश्किल हो सकता है। शुरुआती चरणों में इसे पकड़ने से मरीज की जान बचाई जा सकती है।
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