मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स क्या होते हैं? जानें कौन से न्यूट्रिएंट्स कितनी मात्रा में लें

माइक्रोन्यूट्रिएंट्स और मैक्रोन्यूट्रिएंट्स वो पौष्टिक तत्व हैं जिसकी हमारे शरीर को आवश्यकता होती है। लेकिन इनके बीच में क्या अंतर है यह जानना जरूरी है।
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मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स क्या होते हैं? जानें कौन से न्यूट्रिएंट्स कितनी मात्रा में लें


यह तो सभी जानते हैं कि पौष्टिक आहार शरीर के विकास के लिए और इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है और यह हमें न्यूट्रिएंट्स के सेवन से मिलता है। शरीर की सभी मेटाबॉलिक क्रियाएं, दिल संबंधी रोग या डायबिटीज आदि के खतरे को भी ये न्यूट्रिएंट्स ही कम करते हैं। इसलिए ही एक्सपर्ट पोषण युक्त डाइट के सेवन की सलाह देते हैं। हम जो भी खाते हैं उससे हमें जरूरी न्यूट्रिएंट्स तो मिलते ही हैं लेकिन वह न्यूट्रिएंट्स भी मिलते हैं जो जरूरी नहीं होते। जरूरी न्यूट्रिएंट्स यानी माइक्रो और मैक्रोन्यूट्रिएंट्स। इन दोनों से हमें जरूरी पोषण मिलता है। 

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कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल में सीनियर डाइटिशियन डॉक्टर अनिका बग्गा बताती हैं कि आपने अक्सर माइक्रो और मैक्रो न्यूट्रिएंट्स के बारे में सुना होगा। जैसा कि इनका नाम ही बता रहा है कि मैक्रो अर्थात् बड़े पौष्टिक तत्व जैसे कार्ब्स, फैट्स और प्रोटीन और माइक्रो में छोटी कैटेगरी के पोषक तत्व जैसे विटामिन, मिनरल, जिंक, कैल्शियम आदि शामिल होते हैं। अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो आपके डायटिशियन आपको माइक्रो और मैक्रो दोनों तरह के ही न्यूट्रिएंट्स को डाइट में शामिल करने की सलाह दे सकते हैं। लेकिन इनका सेवन करने से पहले इनके बीच अंतर जानना जरूरी है। साथ ही यह भी जान लें कि आप को कितनी मात्रा में इनका सेवन करना चाहिए।

मैक्रोन्यूट्रिएंट्स क्या हैं

मैक्रो एक ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ होता है बड़ा। मैक्रो न्यूट्रिएंट्स को हम ग्राम में तोल सकते हैं जैसे फैट या प्रोटीन आदि। मैक्रो न्यूट्रिएंट्स की डाइट में निम्न कैटेगरी होती हैं। 

फैट्स : यह ऑयल, नट्स और मीट आदि में पाए जाते हैं और इनमें लगभग नौ कैलोरीज़ प्रति ग्राम होती हैं।

कार्बोहाइड्रेट : यह ब्रेड, पास्ता और फलों जैसी चीजों में पाए जाते हैं और इनमें लगभग चार कैलरीज प्रति ग्राम होती हैं।

प्रोटीन : अंडे, मछली और टोफू जैसी चीजों में प्रोटीन होता है और इनमें लगभग चार कैलरीज प्रति ग्राम होती हैं।

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माइक्रोन्यूट्रिएंट्स क्या हैं

मैक्रो के मुकाबले माइक्रो काफी छोटे तत्व होते हैं। माइक्रो भी एक ग्रीक शब्द होता है जिसका अर्थ छोटा होता है। इन न्यूट्रिएंट्स को मिलीग्राम या माइक्रो ग्राम में नापा जाता है।

ऐसे बहुत से फल और सब्जियां होती हैं जो विटामिन और मिनरल से भरपूर होती हैं। इन न्यूट्रिएंट्स में कैल्शियम, फोलेट, आयरन, विटामिन बी 6, विटामिन बी 6  और बी 12, विटामिन सी, विटामिन ई और जिंक आदि शामिल होते हैं।

काफी सारे मैक्रो न्यूट्रिएंट्स में माइक्रो न्यूट्रिएंट्स शामिल होते हैं। अधिकतर लोग डाइटिंग करते समय मैक्रो न्यूट्रिएंट अप्रोच का ही प्रयोग करते हैं, क्योंकि माइक्रो न्यूट्रिएंट्स को ट्रैक करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।

यह कैसे काम करता है?

43 से 65 प्रतिशत कैलोरीज़ आपको कार्बोहाइड्रेट से प्राप्त करनी चाहिए। बीस से 34.99 प्रतिशत कैलोरीज़ फैट से प्राप्त करनी चाहिए। 10 से 35 प्रतिशत कैलोरीज़ प्रोटीन से प्राप्त करनी चाहिए। अगर आप मैक्रो एप्रोच का प्रयोग कर रहे हैं तो सबसे पहले यह पता कर लें कि आपको एक दिन में कितनी कैलोरीज़ की जरूरत होती है। इससे आप उन कैलोरीज़ को कार्ब्स, फैट और प्रोटीन में बांट सकते हैं। इसमें आपको खुद ही अपनी डाइट तीन भागों में बांटनी होती हैं। रोजाना तय की गई मात्रा में न्यूट्रिएंट्स का सेवन करना थोड़ा कठिन हो सकता है। इसलिए बहुत से लोग इस प्रकार की एप्रोच का पालन करना कठिन समझते हैं।

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किसी प्रोफेशनल से कब बात करें?

अगर आपने मैक्रो न्यूट्रिएंट अप्रोच ट्राई करी है लेकिन आपको वजन कम करने में मदद नहीं मिली है तो आप किसी प्रोफेशनल से बात कर सकते हैं। वह आपको क्या चीज कितनी मात्रा में एडजस्ट करनी चाहिए इसके बारे में सुझाव दे सकते हैं। साथ ही आप को अलग अलग विकल्पों के बारे में भी बता सकते है। ताकि जब आपको यह डाइट बोरिंग लगने लगे तो आप कई और विकल्पों को भी ट्राई कर सकें। अगर आप सही नतीजे पाना चाहती हैं तो आप को एक एप्रोच पर लगभग दो से तीन महीने तक तो अवश्य टिकना चाहिए।

वैसे तो आपको रोजाना की डाइट में भी यह दोनों प्रकार के न्यूट्रिएंट्स मौजूद होते हैं। लेकिन कुछ लोग कुछ न्यूट्रिएंट्स की मात्रा को फिक्स कर लेते हैं ताकि उन्हें वजन कम करने में या हेल्दी रहने में मदद मिल सके। अगर आप इसमें कंफ्यूज हैं तो डॉक्टर या डायटिशियन से सलाह ले सकते हैं।

all images credit: freepik

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