इंसान को एक सोशल एनिमल का नाम दिया गया है जिसका मतलब होता है हम अकेले रहना नहीं जानते, हमें हर वक्त कोई सुनने वाला या साथ देने वाले व्यक्ति की जरूरत होती है, अगर हम अपनी बात दूसरों तक न पहुंचा पाएं तो डिप्रेशन, फिजिकल वीकनेस, उदास मन, एंग्जाइटी जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं इसलिए मन की बात दूसरों तक पहुंचाना जरूरी है। अगर आप कॉर्पोरेट ऑफिस कल्चर में काम करते हैं तो आपके लिए अपनी मर्जी और पक्ष रखना और भी जरूरी हो जाता है पर कुछ लोगों के पास ये कला नहीं होती या वो अपनी बात दूसरों तक कहने का सही तरीका नहीं अपना पाते और अक्सर अवसाद का शिकार हो जाते हैं। इससे बचने के लिए इस लेख में हम फीलिंग्स शेयर करने का सही तरीका और ऐसा न कर पाने के नुकसान पर चर्चा करेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के बोधिट्री इंडिया सेंटर की काउन्सलिंग साइकोलॉजिस्ट डॉ नेहा आनंद से बात की।
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1. मेडिटेशन करें (Meditation)
मेडिटेशन करने से स्ट्रेस कम होता है और आप खुद को लेकर पॉजिटिव रहते हैं, इस दौरान आप खुद से बात करके ये तय कर सकते हैं कि आपको अपनी बात दूसरों तक किस तरह से पहुंचानी है, आपको हर दिन कम से कम 15 से 20 मिनट मेडिटेशन जरूर करना चाहिए। मेडिटेशन के लिए शांत जगह चुनें और गहरी सांस भरते हुए अपने विचारों के बारे में सोचें।
2. अपनी फीलिंग्स को लिखें (Writing your feelings)
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साइकोलॉजिस्ट मरीजों को जर्नल लिखने की सलाह देते हैं क्योंकि लिखकर आपको अहसास होगा कि आपको किन बातों को दूसरों के साथ शेयर करना है और उसे शेयर करने का सही तरीका क्या है, आपको अपनी बात कहने के लिए सही शब्द भी मिलेंगे और कई डॉक्टर्स ऐसा मानते हैं कि स्ट्रेस और गुस्सा कम करने का सबसे आसान तरीका है आप लिखकर अपनी बात को बेहतर ढंग से पेश करें।
3. खुद के साथ समय बिताएं (Spend time with yourself)
आप खुद को समय दें, अपने साथ समय बिताएंगे तो खुद को और बेहतर तरीके से जान पाएंगे, अगर आपको पता होगा कि आपकी राय और अपनी मर्जी क्या है तो उसे दूसरों के सामने एक्सप्रेस करना आसान होगा। आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि खुद को ओवर एक्सप्रेस करके आप सामने वाले व्यक्ति की फीलिंग्स हर्ट न करें, खुद के बारे में जरूरत से ज्यादा बोलना भी अच्छा नहीं होता, आपको कब, कहां और कितना बोलना है इसकी जानकारी भी होनी चाहिए।
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4. एक्सरसाइज करें (Exercise)
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एक्सरसाइज करने से आप रिलैक्स रहेंगे और अपनी फीलिंग्स को बेहतर ढंग से व्यक्त कर सकेंगे। जो लोग एक्सरसाइज का सहारा नहीं लेते उनमें ज्यादातर डिप्रेशन के लक्षण देखे गए हैं क्योंकि ऐसे लोग खुद को लेकर सहज नहीं होते इसलिए अपने मन की बात भी खुलकर नहीं कह पाते, एक्सरसाइज करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है जिसका असर आपके व्यवहार पर भी पड़ता है।
5. पॉजिटिव लोगों के आसपास रहें (Stay around positive people)
पॉजिटिव रहने के तरीके कई हैं पर सबसे आसान तरीका है आप ऐसे लोगों के पास रहें जो पॉजिटिव बोलते हैं, आपकी खूबियों को उजागर करते हैं और आपको आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट करते हैं, ऐसे लोगों के बीच रहकर आप खुद को बेहतर ढंग से एक्सप्रेस कर सकेंगे।
फीलिंग्स शेयर न कर पाने के नुकसान (Side effects of not sharing feelings)
अगर आप खुद को ठीक ढंग से दूसरों के सामने एक्सप्रेस नहीं कर पाएंगे तो आपको हमेशा दूसरों के तरीकों के मुताबिक चलना होगा जिससे आपको परेशानी हो सकती है। जो व्यक्ति अपनी फीलिंग्स को ठीक ढंग से एक्सप्रेस या शेयर नहीं कर पाता वो ज्यादातर समय गुस्से में रहता है, अगर आप अपनी बात दूसरों तक आसानी से कह देंगे तो आपका गुस्सा शांत हो जाएगा। अगर आप अपनी फीलिंग्स दूसरों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं तो आपको स्ट्रेस हो सकता है और शरीर में बढ़ते स्ट्रेस के कारण डायबिटीज के लक्षण, अनिद्रा की समस्या, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट प्रॉब्लम आदि शारीरिक समस्याएं होने लगती हैं। फीलिंग्स न शेयर कर पाने की स्थिति में लॉन्ग टर्म साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं।
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ऑफिस में खुद को एक्सप्रेस करना कैसे सीखें? (How to express yourself in office environment)
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1. जब कोई व्यक्ति बोल रहा हो तो आपको उसे ध्यान से सुनना है, आप जितना ज्यादा दूसरों को सुनेंगे आप उतना बेहतर खुद को दूसरों के सामने एक्सप्रेस कर सकेंगे। जब आप दूसरे लोगों को ध्यान से सुनेंगे तो आपको पता चलेगा कि अपनी भावनाओं को किस तरह से दूसरों के सामने रखना है।
2. दूसरों के सामने सच बोलें, जब आप सच बोलेंगे तो आप किसी भी अहसास हो बहुत आसानी से दूसरों के सामने रख पाएंगे, अगर आपको डर होगा दूसरों से छुपाने का तो आपको अपनी बात कहने में हिचकिचाहट महसूस हो सकती है।
3. अपनी फीलिंग्स रखने का आसान तरीका है आप व्याकरण पर भी ध्यान दें, आप कुछ अच्छे शब्दों का इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे अच्छी बात है, मुझे नहीं लगता, मैं कोशिश करूंगा, ऐसा नहीं होना चाहिए, ये ठीक नहीं है, मैं ऐसा सोचता हूं, मुझे इस बारे में और जानना होगा आदि। इन शब्दों के इस्तेमाल से आप बेहतर ढंग से अपनी बात दूसरों के सामने रख पाएंगे।
4. दूसरों से पहले खुद से बात करें, आप खुद से पहले बातचीत करें और समझें कि आपका पक्ष क्या है, उसके बाद ही दूसरों तक अपनी बात आप बेहतर ढंग से पहुंचा पाएंगे। अगर आप अपनी फीलिंग को लेकर चिंतित है तो खुद को थोड़ा समय दें और उसके बाद अपनी बाद दूसरों के सामने रखें।
इन आसान तरीकों को अपनाकर आप अपनी बात दूसरों तक बेहतर ढंग से रख सकते हैं, अपनी फीलिंग्स को खुलकर एक्सप्रेस करें पर साथ ही दूसरों की इच्छाओं की भी कद्र करें। अपनी फीलिंग्स आप तभी दूसरों के साथ शेयर कर सकेंगे जब आप अपने विचार को लेकर निश्चिंत होंगे कि आपका निर्णय सही है, इसलिए अपने विचारों को दूसरे व्यक्तियों के साथ बांटने के बजाय करीबी लोगों के साथ शेयर करें।
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