भारत के कई राज्यों को इस समय भीषण बारिश और बाढ़ से जुझाना पड़ रहा है। बात चाहे बाढ़ वाले इलाकों की हो या हमारे आपके घर की, बारिश के मौसम में पानी से होने वाली बीमारियों का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। दरअसल पानी से होने वाली ज्यादातर बीमारियां, दूषित पानी के इस्तेमाल से होती हैं, जिसमें ऐसे बैक्टीरिया होते हैं जो आपकी तबीयत खराब कर सकते हैं। आमतौर पर गंदा पानी पीने, भोजन में गंदा पानी इस्तेमाल करने और कपड़े व बर्तन धोने के लिए संक्रमित पानी का उपयोग करते समय इन रोगजनकों का संचरण (ट्रांसमिशन) होता है। ऐसे में जरूरी है, पानी के इस्तेमाल को लेकर आप सजग रहें। वो कैसे, तो आइए हम आपको बताते हैं इसके बारे में विस्तार से, पर पहले जानते हैं कैसे फैलती हैं पानी से होने वाली बीमारियां।
दूषित पानी से बीमारियों का खतरा (Waterborne Diseases)
कई विकासशील देशों में उचित जल उपचार संयंत्र नहीं हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। कुछ स्थानों पर, पानी की उपलब्धता इतनी कम है कि लोगों के पास वाटर प्यूरीफायर या अन्य जल उपचार तंत्र को वहन करने के लिए न तो समय है और न ही पैसा है। दुनिया भर में पानी से होने वाली बीमारियों की प्रमुखता मुख्य रूप से खराब स्वच्छता और कमजोर इम्यूनिटी है। इनमें से ज्यादातर बीमारियां जानलेवा होती हैं। कई रोगजनक सूक्ष्मजीव जिनके बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते, वो खतरनाक बीमारियां का कारण है। जैसे कि
- - ई कोलाई बैक्टीरिया
- - साल्मोनेला बैक्टीरिया
- -टाइफी बैक्टीरिया
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जल-जनित रोग और लक्षण
ये रोगजनक सूक्ष्मजीव, उनके जहरीले एक्सयूडेट्स और अन्य दूषित पानी से हैजा, डायरिया, टाइफाइड, अम्बेयसिस, हेपेटाइटिस, गैस्ट्रोएंटेराइटिस, कैंप्लोबैक्टीरियोसिस, स्केबीज और पेट व आंत से जुड़े संक्रमण गंभीर स्थितियों का कारण बनते हैं। ये बैक्टीरिया दूषित भोजन और पानी के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं और बुखार का कारण बनते हैं। इसके बाद आंतों में सूजन और मल में रक्त और बलगम आदि भी आपको परेशान कर सकता है। अगर आपको कुछ खाने के 12 से 36 घंटों के भीतर यहां दिए गए लक्षण नजर आए तो हो सकता है कि आप दूषित पानी के बैक्टिरिया से संक्रमित हो गए हैं। जैसे कि
- - पेट दर्द
- - उलटी
- - बुखार
- - सिर दर्द
- -जी मचलना
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पानी की बीमारियों से बचने का उपाय
- -जितना हो सके उबले हुए पानी का सेवन करें।
- -कच्चे बिना पके या बासी भोजन से बचें जो लंबे समय से खुला छोड़ दिया गया हो।
- -स्वच्छता बनाए रखें।
- -भोजन और बर्तनों की अच्छे से धुलाई करें, जो कि संक्रमण के जोखिम को सीमित करता है।
- -बिना साफ किए हुए फलों और सब्जियों व स्ट्रीट फूड के सेवन से भी बचें।
अगर तब भी आपको इन बीमारियों के लक्षण विकसित हो जाते हैं, तो घर पर बने ओआरएस का भरपूर सेवन करें। दरअसल इन बैक्टिरिया में उलटी और डायरिया की वजह से पीड़ित के शरीर में पानी की कमी हो जाती है क्योंकि कुछ खाना या पानी पचता नहीं है। इसलिए मरीज को हल्का खाना दिया जाता है और फ्रेश जूस और इलेक्ट्रोलाइट पिलाया जाता है। गंभीर मामले में ग्लूकोज़ चढ़ाया जाता है, साथ ही एंटी-बायोटिक देकर इंफेक्शन को खत्म किया जाता है। इन सबके साथ ही हर समय कुछ दिनों तक गर्म पानी पिएं और मसालेदार, तैलीय या प्रोसेस्ड फूड से परहेज करें और साफ-सफाई का खास ध्यान रखें।
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