कैल्शियम की कमी के कारण हड्डियां कमजोर हो जाती है। अगर लंबे समय तक हड्डियों में कैल्शियम की कमी रहेगी तो हल्की चोट लगने पर स्वतः हड्डियां टूट जाती है। इसे ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी कहते हैं। कैल्शियम की कमी के कारण कलाई, कूल्हे, जांघ के जोड़ों में दर्द होता है। क्योंकि शरीर को अधिक भार इन अंगों को द्वारा ही उठाया जाता है। जमशेदपुर के बाराद्वारी में एपेक्स हॉस्पिटल के हड्डी के डॉक्टर सौरव चौधरी से जानेंगे कि ऑस्टियोपोरोसिस के मरीज कैल्शियम और विटामिन डी की कमी को कैसे करें दूर कर सकते हैं। शरीर में 600 से 800 मिलीग्राम कैल्शियम रहना चाहिए। वहीं प्रेग्नेंसी में कैल्शियम की जरूरत शरीर में बढ़ जाती है। प्रेग्नेंट होने पर 1000 से 1500 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत शरीर को होती है।
धूप में कम रहने के कारण होती ऑस्टियोपोरोसिस
डॉक्टर बताते हैं कि ऑस्टियोपोरोसिस होने के प्रमुख कारण बढ़ती ऊम्र और खराब दिनचर्या भी होती है। सूरज की रोशनी के संपर्क में नहीं के कारण हड्डियों में कैल्शियम और विटामिन डी की कमी होती है। सॉफ्ट ड्रिंक, शराब और स्मोकिंग करने से भी हड्डियों में कैल्शियम और विटामिन डी की कमी होती है। बढ़ते उम्र के साथ यह बीमारी बढ़ती जाती है।
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शरीर में कैल्शियम जाए इसके लिए विटामिन डी का होना जरूरी
डॉक्टर के अनुसार खाने से कैल्शियम पर्याप्त मात्रा में शरीर में एब्जॉर्ब हो, इसके लिए शरीर में विटामीन डी का होना चाहिए। सूर्य की रोशनी से विटामिन डी बनता है। अगर आप रोजाना एक घंटा धूप में रहें तो आपको विटामिन डी की कमी नहीं होगी। लेकिन आज कल मॉडर्न लाइफस्टाइल और भागदौड़ भरी ऑफिस लाइफ में ज्यादातर लोग धूप का सेवन नहीं कर पाते हैं और उन्हें विटामिन डी की कमी होती है। विटामिन डी स्किन के माध्यम से शरीर में आती है। अगर आपकी काली चमड़ी है तो यह धूप से कम विटामिन लेती है। वही गोरी चमड़ी वाले लोगों धूप से ज्यादा विटामिन एब्जॉर्ब करती है। काले और सांवले लोगों में ज्यादा विटामिन डी की कमी होती है।
शरीर के 99 प्रतिशत कैल्शियम दांत और हड्डियों में होती है
डॉक्टर बताते हैं कि शरीर का 99 प्रतिशत कैल्शियम हमारे दांत और हड्डियों में रहता है। कैल्शियम से दांत और हड्डी मजबूत होती है। पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम शरीर में जाना चाहिए। वहीं .01 प्रतिशत कैल्शियम खून में होता है, जो शरीर के लिए पर्याप्त है। हमारे शरीर में कैल्शियम की कमी हो या न हो लेकिन ब्लड में कैल्शियम की कमी कभी नहीं होती है। कुछ लोग ब्लड टेस्ट कराकर बोलते हैं हमारे बॉडी में कैल्शियम पर्याप्त मात्रा में है। लेकिन उन्हें मालूम होना चाहिए ब्लड में हमेशा कैल्शियम पर्याप्त मात्रा में ही होता है, चाहे बॉडी में कैल्शियम कम हो।
ऑस्टियोपोरोसिस मरीजों में कैल्शियम की कमी के लक्षण
- बच्चा नहीं होना
- अनिद्रा
- थकान
- मिर्गी आना
- हाई कोलेस्ट्रॉल होना
- हाथ सुन्न हो जाना
- मसूड़ों में दर्द
- स्किन में रूखापन
- सीने में दर्द
- भूख नहीं लगना
- मोतियाबिंद
- मिसकैरेज
कैल्शियम की कमी कैसे करें दूर
डॉक्टर बताते हैं कि कैल्शियम और विटामिन डी की कमी हम प्रोटीन और कैल्शियम वाली डाइट से दूर कर सकते हैं। इसके अलावा दवा से भी इसकी कमी को दूर कर सकते हैं। इसके लिए डॉक्टर से सलाह लेकर जरूरी जांच करवाने के बाद दवा ले सकते हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस वाले मरीज अपनी डाइट में इन चीजों को शामिल करें
- आंवला में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाई जाती है
- तिल का बना खान खा सकते हैं
- खाने में जीरा का उपयोग करें, गुनगुने पानी में जीरा डालकर पीने से शरीर को कैल्शियम मिलती है
- रोज एक कप रागी का सेवन करें
- बादाम खाकर भी कैल्शियम की कमी को दूर कर सकते हैं
- रोजाना दूध पीएं
- इसके साथ ही दूध से बने उत्पाद जैसे पनीर, घी, मक्खन, चीज इत्यादि खाएं। क्योंकि दूध और इससे बने उत्पादों में कैल्शियम बहुत ही ज्यादा मात्रा में होती है
- पालक, गोभी, ब्रोकली जैसी हरी सब्जियों का सेवन करें
- अंडे की जर्दी खाएं इसमें प्रोटीन भरपूर मात्रा में होती है
- सोया दूध का सेवन करें
- फैटी फिश का सेवन करें, इसमें विटामिन डी और कैल्शियम दोनों को भरपूर मात्रा में होती है
- गन्ना के जूस समेत विभिन्न फलों का जूस या उसका रस पीएं
- भोजन में नमक का सेवन कम करें, क्योंकि इससे कैल्शियम की कमी बढ़ती है
ऑस्टियोपोरोसिस वाले मरीज को बीमारी से ऐसे करें बचाव
- 30 वर्ष से अधिक वाले लोग बोन डेंसिटी टेस्ट समय कराएं ( इसे डॉक्टरी सलाह के बाद ही कराएं)
- >हड्डियों को लचीला और मजबूत बनाने के लिए योग या जिम करें
- कम से कम एक ग्लास दूध हर उम्र के लोग पीएं
- जरूरत से ज्यादा भारी सामान नहीं उठाएं।
- पचास वर्ष से ज्यादा उम्र के लोग कैल्शियम युक्त डाइट फॉलो करें या कैल्शियम वाले सप्लीमेंट लें
डॉक्टर या फिर डायटीशियन की लें सलाह
अगर आप ऑस्टियोपोरोसिस के मरीज है तो डॉक्टरी सलाह के बाद इन परामर्श को फोलो करें। वहीं आप चाहें तो डायटीशियन से मिलकर या फिर डॉक्टरी सलाह लेकर अपने स्वास्थ्य के अनुसार डाइट चार्ट बना सकते हैं। उसे फॉलो कर बीमारी से बचाव कर सकते हैं।
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