वजन बढ़ने के पीछे कई कारण एक साथ काम करते हैं। लेकिन, हमारा ध्यान केवल आहार और व्यायाम तक ही सीमित रहता है। चलिए जानते हैं ऐसे ही कुछ अनजाने कारणों के बारे में।तला हुआ भोजन, भरपेट खाना, मीठा, एल्कोहल का अधिक सेवन और सॉफ्ट ड्रिंक... वजन बढ़ाने में इनकी भूमिका से तो इनकार किया ही नहीं जा सकता। लेकिन, क्या वजन अधिक होने के सिर्फ यही कारण होते हैं। बेशक, अगर आप उचित व्यायाम नहीं करेंगे तो आपके वजन में इजाफा होगा, लेकिन तब क्या जब कसरत में पसीना बहाने के बाद भी आपकी तोंद कम न हो रही हो।
1. नींद और थकान
शरीर के लिए पर्याप्त आराम करना जरूरी है। पूरी नींद नहीं लेने से शरीर को मनोवैज्ञानिक तनाव का सामना करना पड़ता है। और इसके चलते शरीर पर अतिरिक्त वसा जमा होने लगती है।
थकान का असर तनाव प्रबंधन पर पड़ता है और आप गैरजरूरी भोजन की ओर आकर्षित होते हैं। देर रात भोजन करने से भी वजन बढ़ता है। एक और बात, अक्सर लोग सोचते हैं कि कुछ खा लेने से उन्हें नींद आ जाएगी। लेकिन, ऐसा करके वे शरीर में अनावश्यक कैलोरी जमा कर लेते हैं।
पर्याप्त नींद कैसे लें
थकान, सुस्ती और चिड़चिड़ा स्वभाव इंगित करते हैं कि आपको पर्याप्त आराम नहीं मिल रहा है। अगर आपको आभास हो कि आपकी नींद पूरी नहीं हुई है तो 15 मिनट और सोकर देखें और देखें कि आपको कैसा लग रहा है। इससे आपको यह अंदाजा लगाने में आसानी होगी कि आखिर आपके लिए कितनी नींद पर्याप्त है। आप व्यायाम के जरिये भी अच्छी नींद हासिल कर सकते हैं।
2. तनाव
तनाव आजकल की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। बेशक, कुछ हासिल करने का तनाव हमें प्रोत्साहित कर सकता है, लेकिन इसका असर भावनाओं और व्यवहार पर भी पड़ता है। तनाव के कारण हमारे शरीर में मोटापा बढ़ाने वाले हॉर्मोन्स का स्राव होता है। कई लोग तनाव कम करने के लिए भोजन का सहारा लेते हैं, लेकिन लंबे वक्त तक इस आदत पर कायम रहना आपके लिए अच्छा नहीं।
तनावग्रस्त व्यक्ति अधिक कार्बोहाइड्रेट वाले भोजन की ओर अधिक आकर्षित होते हैं। ऐसा भोजन करने से मस्तिष्क में सेरोटोनिन नामक केमिकल का स्राव होता है, जिसमें मस्तिक को शांत करने की क्षमता होती है। कुछ लोगों के लिए यह सेल्फ मेडिकेशन होती है। लेकिन, इससे आपका वजन बढ़ने लगता है।
तनाव को कैसे दूर करें
तनाव को दूर करने के लिए आपको योग और ध्यान के अलावा व्यायाम आदि भी करना चाहिए। जिससे आपका मानसिक तनाव तो दूर होगा ही साथ ही आप अतिरिक्त कैलोरी भी खर्च करेंगे।
3. दवायें
तनाव, मूड डिस्ऑर्डर, दौरे, माइग्रेन, रक्तचाप और डायबिटीज के लिए दी जाने वाली कुछ दवायें वजन बढ़ा सकती हैं। इन दवाओं के असर से महीने में चार से पांच किलो तक वजन बढ़ सकता है। कुछ स्ट्रेरायड, हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी और यहां तक कि गर्भनिरोधक गोलियां भी वजन बढ़ाने की वजह हो सकती हैं। जीवनशैली बदले बिना अगर आपका वजन महीने में दो से तीन किलो तक बढ़ जाए, तो इसके पीछे ये दवायें हो सकती हैं। हर दवा अलग तरीके से काम करती है। कुछ दवायें भूख बढ़ाने का काम करती हैं, तो कुछ वसा जमा होने का तरीका बदल देती हैं। सभी दवाओं को लोगों पर समान असर नहीं होता।
ध्यान रखें
हो सकता है कि कुछ दवायें आपका वजन बढ़ा रही हों, लेकिन इस बात को न भूलें कि आपके सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए ये दवायें कितनी फायदेमंद हैं। तो जरूरत दवा नहीं जीवनशैली बदलने की है। डॉक्टर की सलाह के बिना अपनी दवा न बदलें।
4. स्वास्थ्य हालात
कई बार किसी बीमारी के कारण भी वजन बढ़ सकता है। हायपोथायरायाडिज्म वजन बढ़ने का एक सामान्य कारण है। थायराइड हॉर्मोन का असंतुलन होने से मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है। इससे भूख कम हो जाती है और वजन बढ़ जाता है। अगर आपको थकान, सुस्ती, सूजन, कर्कश आवाज, बहुत अधिक ठण्ड लगना, अधिक नींद आना और सिर दर्द जैसी समस्या हो, तो आपको डॉक्टर से मिलकर अपने थायराइड स्तर की जांच करवानी चाहिए।
अन्य स्वास्थ्य हालात
थायराइड के इतर भी वजन बढ़ने के कई कारण होते हैं। कुशिंग सिंड्रोम नाम की एक बीमारी भी वजन बढ़ने की वजह हो सकती है। यह अत्यधिक हार्मोन कोर्टिसोल के कारण हो सकती है।
5. रजोनिवृत्ति
महिलाओं में रजोनिवृत्ति के कारण वजन बढ़ने की समस्या आती है। कई महिलायें इस दौरान युवावस्था की अपेक्षा शारीरिक रूप से कम सक्रिय रहती हैं। उम्र के साथ मेटाबॉलिज्म स्वत: कम होने लगता है। और इसी दौरान हॉर्मोन में बदलाव के कारण भूख, तनाव और अनिद्रा जैसी समस्यायें भी बढ़ने लगती हैं।
रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं में एस्ट्रोजन का ह्रास होने लगता है इससे उनके शरीर का आकार बदलने लगता है। इससे उनके कूल्हों और जांघों की चर्बी कम होने लगती है, लेकिन कमर के आसपास फैट बढ़ने लगता है।
कैसे निपटें
इस समस्या से बचने के लिए वेट लिफ्टिंग और वेट ट्रेनिंग का सहारा लेना चाहिए। रजोनिवृत्ति के कारण महिलाओं की हड्डियों का भी क्षरण होने लगता है। व्यायाम और कम कैलोरी वाला भोजन इसमें मदद कर सकता है। साथ ही कैल्शियम व विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन भी करना चाहिए।
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