इस्कीमिक कार्डियोमियोपैथी वह अवस्था है जब हृदय बीमारी के चलते मरीज का हृदय पूरी शरीर में रक्त व ऑक्सीजन का संचार करने में असमर्थ होता है।
कोरोनरी धमनी की बीमारी रक्त वाहिकाओं में एक प्रकार का संकुचन है। ये रक्त वाहिकाएं हृदय को रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति करती हैं। इनमें बाधा आने से व्यक्ति का हृदय काम करना बंद कर सकता है।
इस्कीमिक कार्डियोमियोपैथी के लक्षणों का जानें-
- सांस लेने में समस्या
- पैरों व पंजों में सूजन
- चक्कर आना, किसी भी शारीरिक गतिविधि में हिस्सा ना ले पाना।
- खाना खाने से पहले व बाद में सीने में दर्द
- वजन बढ़ना, कफ व सीने में संक्रमण
- हृदय की धड़कन में परिवर्तन
- बेहोश हो जाना
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कारण
कोरनरी धमनी रोग व हार्ट अटैक इसके मुख्य कारण हैं। इसके अलावा हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, कोलोस्ट्रोल, मोटापा व पारिवारिक इतिहास से ग्रस्त व्यक्तियों में भी इसके होने की संभावना बढ़ जाती है।
निदान
इस्कीमिक कार्डियोमियोपैथी का निदान मरीज के चिकित्सीय इतिहास ( लक्षण व पारिवारिक इतिहास), शारीरिक जांच व अन्य जांच के जरिए किया जाता है। ब्लड टेस्ट, ईसीजी, सीने का एक्स रे, इकोकार्डियोग्राम, सीटी स्कैन व एमआरआई स्कैन कुछ खास तरह के टेस्ट हैं जिनसे इस्कीमिक कार्डियोमियोपैथी का पता लगाया जा सकता है।
कभी-कभी मायोकार्डिकल बायोप्सी भी कार्डियोमायोपैथी के बारे में पता लगाने में मददगार साबित होती है। मायोकार्डिकल बायोप्सी के दौरान, हृदय के छोटे से ऊतक को सैंपल के तौर पर लिया जाता है और माइक्रोस्कोप के जरिए इसकी जांच की जाती है।
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इलाज
इस्कीमिक कार्डियोमियोपैथी के इलाज का उद्देशय कोरोनरी धमनी रोग, हृदय की गतिविधि को सुधारना व हार्ट फेल होने के लक्षण को कम करना होता है। इस्कीमिक कार्डियोमियोपैथी के मरीज डॉक्टरों द्वारा दी गई दवाएं भी ले सकते हैं। इसके अलावा डॉक्टर मरीज को एक स्वस्थ लाइफस्टाइल जीने की सलाह देते हैं क्योंकि इससे इस्कीमिक कार्डियोमियोपैथी लक्षणों को कम किया जा सकता है।
दवाओं के जरिए-डॉक्टर मरीजों को दी गई दवाओं के जरिए उनके हृदय को स्वस्थ्य करने की कोशिश करता है। दवाओं का उद्देशय होता है इस्कीमिक कार्डियोमियोपैथी के लक्षणों को रोकना व हृदय स्वास्थ्य को सुधारना।
आहार में बदलाव-इस्कीमिक कार्डियोमियोपैथी से ग्रस्त व्यक्ति को अपनी लाइफस्टाइल को मेंटेन करना बहुत जरूरी है। संतुलित व पौष्टिक आहार के सेवन से हृदय रोग से आसानी से बचा जा सकता है। अगर मरीज को सांस लेने में समस्या या चक्कर आ रहे हैं तो खाने में नमक की मात्रा को कम कर देना चाहिए।
व्यायाम-आप जितना ज्यादा शारीरिक गतिविधि करेंगे आपका हृदय उतना ही स्वस्थ होगा। नियमित रुप से जॉगिंग, मार्निंग वॉक या एरोबिक एक्सरसाइज इस्कीमिक कार्डियोमियोपैथी के खतरे से बचाता है।