टाइप 2 डायबिटीज तब होता है, जब व्यक्ति का शरीर इंसुलिन का ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाता है, जिसके कारण उसका ब्लड शुगर बढ़ता जाता है। इंसुलिन एक तरह का हार्मोन है, जो शरीर में ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है। एक अनुमान के मुताबिक दुनियाभर में 37 करोड़ लोग टाइप 2 डायबिटीज का शिकार हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार जिस तेजी से दुनियाभर में मोटापे की समस्या बढ़ रही है, उस हिसाब से 2030 तक डायबिटीज के मरीजों की संख्या दोगुना होने की संभावना है। डायबिटीज का पूरी तरह इलाज अभी तक संभव नहीं हो पाया है, मगर इसे कंट्रोल किया जा सकता है।
फिलहाल मेटफॉर्मिन का होता है प्रयोग
फिलहाल डायबिटीज को कंट्रोल करने और ब्लड शुगर घटाने के लिए मेटफॉर्मिन (Metformin) का प्रयोग दुनियाभर में किया जाता है। मगर ये दवा मोटापे को घटाने के बजाय कई लोगों में बढ़ा देती है। इसके अलावा कुछ लोगों में इसके दूसरे साइड इफेक्ट्स जैसे- डायरिया और फूड इंटॉलरेंस जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं, जिसके कारण लोग इसका प्रयोक करना छोड़ देते हैं। यही कारण है कि वैज्ञानिक लगातार डायबिटीज की दवा के अन्य विकल्पों की खोज कर रहे हैं, जो ज्यादा सुरक्षित और फायदेमंद हों।
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ब्लड शुगर, मोटापा और लिवर का फैट एक साथ करेगी कम
हाल में ही वैज्ञानिक टाइप 2 डायबिटीज की एक नई दवा पर शोध कर रहे थे, तब उन्हें प्रयोग के दौरान ही पता चला कि नई दवा ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के साथ-साथ मोटापे को घटाने में भी कारगर है। इसके अलावा ये दवा लिवर में फैट को जमा होने से भी रोकती है। कुल मिलाकर इस दवा को डायबिटीज के साथ-साथ मोटापा और फैटी लिवर जैसी कई समस्याओं में फायदेमंद पाया गया है। ये रिसर्च ऑस्ट्रेलिया की Monash University में किया गया है, जिसे Mark Febbraio और उनकी टीम ने अंजाम दिया है। ये सभी शोधकर्ता डायबिटीज की वैकल्पिक दवा खोजने के लिए शोध करते थे, जिसमें इन्होंने एक ऐसे प्रोटीन की खोज की है, जो शरीर में मौजूद gp130 नाम के रिसेप्ट्र के साथ मिलकर शरीर का मेटाबॉलिज्म तेज करता है। फिलहाल चूहों पर किया गए इस शोध के परिणाम वैज्ञानिकों के लिए काफी उत्साहजनक रहे हैं।
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दवा के परिणाम देखकर वैज्ञानिक हुए दंग
डायबिटीज को कंट्रोल करने वाली नई दवा के परिणाम देखकर वैज्ञानिक दंग रह गए, क्योंकि इस दवा को देने के बाज न सिर्फ चूहों का ब्लड शुगर कम हो गया, बल्कि उनके वजन और मोटापे में भी कमी आई थी। इसके अलावा इस दवा का सेवन कराने के बाद चूहों ने पहले की अपेक्षा कम खाना खाया और उनकी बोन डेंसिटी (Bone Density) भी पहले की अपेक्षा ज्यादा बेहतर पाई गई। हालांकि इंसानों पर इस दवा के प्रयोग को लेकर अभी और शोध होने बाकी हैं, मगर फिलहाल इस दवा के आने से डायबिटीज के मरीजों के लिए एक बड़ी राहत होगी।
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