
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान अक्सर माताओं को कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ता है। कभी ब्रेस्ट मिल्क नहीं बनता तो कभी निप्पल में दर्द और सूजन की शिकायत रहती है। बच्चों को फॉर्मूला मिल्क देने पर उनकी तबीयत खराब होना, एक अलग परेशानी होती है। इन सभी के बीच मां न सिर्फ ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी परेशानी झेल रही होती है, बल्कि डिलीवरी के बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन उसकी इस जर्नी को कई बार और अधिक मुश्किल बना देता है। वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक ( World Breastfeeding Week 2024) के मौके पर हम कीर्ति दुबे की ऐसी कहानी लेकर आएं हैं। ये कहानी उनके पीठ और कूल्हों और पोस्टपार्टम डिप्रेशन से उबरने की है।
कीर्ति दुबे दूसरी बार मां बनी थीं, इसलिए ब्रेस्टमिल्क और फीडिंग से जुड़ी समस्याओं को लेकर काफी हद तक तैयार थीं, लेकिन इस बार उन्हें पीठ और कूल्हों के दर्द ने परेशान कर दिया। उन्होंने अपनी ब्रेस्टफीडिंग जर्नी के बारे में विस्तार से बताया।
बेटी पाकर हुई इमोशनल
कीर्ति बताती है, “मैं एक तीन साल के बेटे की मां हूं। तीन साल बाद जब एक बेटी की मां बनी तो सोचने, समझने और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का तरीका ही कुछ अलग था। जब पहली बार अपनी बेटी को गोद में लिया, तो मैं अपने इमोशन्स पर काबू नहीं रख पाई। बेटी को देखकर लगा कि जैसे कोई गुलाबी-सी परी मेरे घर आ गई, जिसके साथ मैं अपनी हर बात शेयर कर पाऊंगी। उसे देखकर ढेर सारे ख्याल मेरे दिमाग में घूमने लगे और मेरी आंखों से खुशी के आंसू रुक ही नहीं रहे थे। बेटी की मां बनना एक अलग ही अनुभव होता है और इस अनुभव को हर वो मां समझ सकेगी, जिसके पास बेटी है।”
पीठ और कूल्हों के दर्द ने किया परेशान
कीर्ति ने कहा कि ब्रेस्टफीडिंग का ये उनका दूसरा सफर था, इसलिए उन्हें पता था कि ब्रेस्टफीडिंग में क्या मुश्किलें आती हैं और उसका कैसे समाधान निकालना है। लेकिन, इस बार उन्हें पीठ और कूल्हों के दर्द से दो-चार होना पड़ा। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान एक ही पोस्चर में बैठकर ब्रेस्टफीड कराने से पीठ और कूल्हों में दर्द बढ़ गया। ऐसे में उन्होने फीडिंग तकिया इस्तेमाल करना शुरू किया। उन्होंने सोचा भी नहीं था कि तकिया इतना काम कर जाएगा। इससे उनके पीठ और कूल्हों का दर्द काफी हद तक कम हुआ। कीर्ति ने सलाह दी कि अगर किसी मां को पीठ में दर्द है, तो फीडिंग तकिये से आराम मिल सकता है।
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पोस्टपार्टम डिप्रेशन की हुई समस्या
कीर्ति ने पोस्टपार्टम डिप्रेशन की बात करते हुए बताया, “मुझे काफी दर्दभरा पोस्टपार्टम डिप्रेशन रहा। मैं दिन-रात बेटी को ब्रेस्टफीड कराने के लिए जागती रहती थी। मुझे खुद से नफरत होने लगी थी, क्योंकि मैं खुद को समय ही नहीं दे पा रही थी। सारा दिन बेटी को फीड कराती फिर भी लगता कि उसका पेट नहीं भरा है और कोई न कोई बोल देता कि तुम ठीक से फीड नहीं करवा रही हो, इसलिए इसका पेट नहीं भरता। इस तरह के कमेंट मेरी स्थिति को और मुश्किल बना देते थे। कई बार लगता, कि मैं क्यों ही मां बनी। लेकिन धीरे-धीरे खुद को समझाया, बेटी का रूटीन ठीक किया और ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने के नुस्खे अपनाए।“
ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने में घरेलू नुस्खे आए काम
कीर्ति उस समय को याद करते हुए कहती हैं कि डिप्रेशन के इस दौर में उनके परिवार ने काफी मदद की। उनकी सास और मां ने काफी साथ दिया। कीर्ति की मां बेटी को मसाज करके नहला देती थी और फिर फीड करके बच्ची 4-5 घंटे सो जाती थी। इससे उन्हें अपने लिए काफी वक्त मिल जाता था। मां और सास ने उनके लिए गोंद के लड्डू बनाए थे और साथ ही दिन में तीन बार हल्दी का दूध पीने से कीर्ति को ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने में मदद मिली। इसका फायदा यह हुआ कि वह ब्रेस्ट पंप से अतिरिक्त दूध निकालकर स्टोर कर लेती थी। जब वह ऑफिस जाने लगी तो स्टोर किया हुआ दूध बेटी के काम आने लगा।
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नई माताओं के लिए संदेश
कीर्ति कहती हैं, “जो आपको अपने बच्चे के लिए सही लगता है, वही करें लेकिन परिवार के बड़ों की सलाह जरूर लें। उनके नुस्खे बहुत काम आते हैं। अपने लिए समय जरूर निकालें, ताकि डिप्रेशन जैसी समस्याओं से बच सकें। अगर ब्रेस्टफीडिंग में दिक्कत आती है, तो हमेशा याद रखें कि ये फेज कुछ टाइम के लिए है, जो चला जाएगा। खुद पर भरोसा रखें और अपनी नन्हीं-सी जान की देखभाल करें।”
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