Does Breastfeeding Reduce Stress In Hindi: मां के दूध को अमृत तूल्य माना जाता है। यह शिशु के मानसिक-शारीरिक विकास के लिए बहुत जरूरी है। सभी विशेषज्ञ यह सलाह देते हैं कि नई मांओं को स्तनपान जरूर कराना चाहिए। इससे बच्चे की इम्यूनिटी बूस्ट होती है और बीमार होने का जोखिम भी कम होता है। यहां तक कि अगर शिशु बीमार है, तो उस कंडीशन में मां का दूध पीने की वजह से उसकी रिकवरी भी तेजी से होती है। मां के दूध में सभी तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शिशु के लिए आवश्यक होते हैं। बहरहाल, बच्चे की डिलीवरी के बाद अक्सर मां स्ट्रेस में रहने लगती है। इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार होते हैं। जैसे, डिलीवरी के बाद कमजोरी महसूस करना, रिकवरी धीमी होना और बच्चे की चौबीस घंटे केयर करना। ये सारी चीजें मांओं को कई पोस्पार्टम डिप्रेशन की ओर धकेल देती है। हालांकि, फैमिली के सपोर्ट की मदद से ये महिलाएं इन चीजों से उबर जाती हैं। इसके बावजूद, कुछ महिलाओं को तनाव या स्ट्रेस होने लगता है। कहते हैं कि बच्चे को ब्रेस्ट फीड करवाने से मांओं का स्ट्रेस रिलीज (Kya Breastfeeding Se Tanav Kam Hota Hai) होता है। सवाल है, क्या यह वाकई सच है? आइए, जानते हैं कि वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता इस संबंध में क्या कहती हैं।
क्या वाकई ब्रेस्ट फीड करवाने से स्ट्रेस रिलीज होता है?- Kya Breastfeeding Se Tanav Kam Hota Hai
विशेषज्ञों की मानें, तो ब्रेस्ट फीड करवाना न सिर्फ बच्चे की सेहत के लिए लाभकारी होता है, बल्कि यह मां को भी कई तरह के फायदे पहुंचाता है। इसमें फिजिकल हेल्थ के साथ-साथ मेंटल हेल्थ भी शामिल है। एक्सपर्ट्स की मानें, तो ब्रेस्ट फीड करवाने से वाकई मां की मेंटल हेल्थ में सुधार होता है। असल में, ब्रेस्ट फीड करवाने की वजह से मां और शिशु के बीच इमोशनल बॉन्ड बेहतर होता है। इसके अलावा, स्तनपान कराने की वजह से डिलीवरी के बाद का स्ट्रेस का स्तर भी धीरे-धीरे कम होने लगता है। हालांकि, इसके पीछे कई अन्य कारक भी जिम्मेदार हो सकते हैं। जैसे, अगर मां का पहला ब्रेस्टफीड कराने का अनुभव सही नहीं रहा होता है, तो इससे दूसरी बार भी ब्रेस्ट फीड करवाने से पहले मां के मन में निगेटिव फीलिंग भरी रहती है। ऐसी कंडीशन में स्ट्रेस का स्तर कम नहीं होता है। लेकिन, अगर मां को दूध पिलाते समय किसी तरह की प्रॉब्लम नहीं हुई है, तो यह मां के लिए पॉजिटिव एक्सपीरियंस हो सकता है, जो डिप्रेशन, स्ट्रेस और एंग्जाइटी को कम करने में अहम भूमिका निभा सकता है।
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ब्रेस्ट फीड करवाने के फायदे
मां के लिए
- ब्रेस्ट फीड करवाने से मां पोस्टपार्टम डिप्रेशन से डील कर पाती है। इसका उसकी मेंटल हेल्थ पर अच्छा और गहरा असर पड़ता है।
- ब्रेस्ट फीड करवाने से मां की सेहत में सुधार होता है और भविष्य में होने वाली कई बीमारियों का जोखिम भी कम होता है।
- ब्रेस्ट फीड करवाने के कारण मां और बच्चे के बीच स्ट्रॉन्ग बॉन्ड क्रिएट होता है।
- ब्रेस्ट फीड की वजह से मां फिजियोलॉजिक और सोशल स्ट्रेस से भी दूर रहती है।
- ब्रेस्ट फीड करवाने की वजह से महिलाओं में प्रोलेक्टिन और ऑक्सीटोसिन हार्मोन बूस्ट होते हैं, जो उन्हें रिलैक्स करने में मदद करते हैं।
- ब्रेस्ट फीड करवाने से मां को अच्छी नींद भी आती है। इसका मेंटल हेल्थ पर अच्छा असर देखने को मिलता है।
शिशु के लिए
- ब्रेस्ट फीड करने से मां के साथ गहरा लगाव महसूस होता है।
- ब्रेस्ट फीड करने से बच्चे की इम्यूनिटी बूस्ट होती है और बीमार होने का रिस्क कम हो जाता है।
- समय-समय पर और भरपेट मां का दूध पीने से बच्चा चिड़चिड़ा नहीं होता है और पर्याप्त नींद लेता है। यह उसकी मेंटल ग्रोथ के लिए जरूरी है।
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