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ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े इन 5 मिथक पर अक्सर लोग कर लेते हैं भरोसा, जानें इनकी सच्चाई

ब्रेस्टफीडिंग करवाने से मां और बच्चा दोनों पर अच्छा असर पड़ता है। फिर भी कुछ मिथकों के कारण, महिलाएं अपने बच्चे को दूध पिलाने से बचती हैं।
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ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े इन 5 मिथक पर अक्सर लोग कर लेते हैं भरोसा, जानें इनकी सच्चाई


Myths About Breastfeeding In Hindi: डॉक्टर सलाह देते हैं कि बच्चे के जन्म के पहले दिन से ही उसे दूध पिलाना चाहिए। यह न सिर्फ बच्चे के लिए जरूरी है, बल्कि इससे मां का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है और कई तरह की बीमारी का रिस्क भी कम हो जाता है। इसके बावजूद, कई महिलाएं शिशु को दूध पिलाने से बचती हैं। सवाल है, ऐसा क्यों? दरअसल, ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े कुछ ऐसे मिथ हैं, जिन पर महिलाएं आंख मूंदकर भरोसा कर बैठी हैं। इसी कारण वे अपने बच्चे को दूध पिलाने से बचती हैं। आइए जानते हैं, वो कौन-से हैं वो मिथ और उनसे जुड़ी सच्चाई क्या है। इस संबंध में हमने वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से बात की। 

मिथकः ब्रेस्टफीड के दौरान दर्द होना स्वाभाविक है। इसे इग्नोर नहीं किया जा सकता है।

Myths About Breastfeeding

सच्चाईः कई महिलाएं इस डर से अपने बच्चे को दूध नहीं पिलाती हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि स्तनपान कराने से काफी दर्द होता है। जबकि, ऐसा नहीं है। हालांकि, स्तनपान करवाते हुए शुरुआती दिनों में असहजता हो सकती है। लेकिन, जैसे-जैसे समय बीतता है, मां बच्चे को गोद में लेने की सही पोजिशन का पता लगा लेती है। इस तरह, स्तनपान कराना आसान भी हो जाता है और दर्द भी कम होने लगता है।

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मिथकः हर बार ब्रेस्टफीड कराने से पहले निप्पल धोने चाहिए।

सच्चाईः हर बार ब्रेस्टफीड कराने से पहले निप्पल धोने की जरूरत नहीं होती है। वैसे, भी हर नया जन्मा शिशु अपनी मां की गंध और आवाज को पहाचनता है। निपल्स अपने आप एक ऐसा पदार्थ प्रोड्यूस करता है, जिससे बच्चा परिचित होता है और उसे सूंघता भी है। इसमें ’गुड बैक्टीरिया’ होते हैं जो जिंदगी भरे के लिए बच्चे की इम्यूनिटी को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।

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मिथकः स्तनपान के दौरान सिर्फ सादा भोजन किया जाना चाहिए।

Myths About Breastfeeding

सच्चाईः यह सच है कि मां को स्तनपान कराने के दौरान हेल्दी यानी पोषक तत्वों से भरी डाइट लेनी चाहिए, क्योंकि वह जो भी खाती है, शिशु को भी उसका लाभ मिलता है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि महिला अपने मन का कुछ नहीं खा सकती है। आपको सिर्फ इस बात का ध्यान रखना है कि आप जो भी खा रही हैं, उसका बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर न पड़े। अगर कोई नई चीज ट्राई करना चाहती हैं, तो बेहतर होगा कि एक बार अपने डॉक्टर से बात कर लें।

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मिथकः एक्सरसाइज करने से मां के दूध का स्वाद बदल जाता है।

सच्चाईः इस मिथक का सच्चाई से कोई सरोकार नहीं है। असल बात ये है कि एक्सरसाइज करना मां के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है। यूनिसेफ की मानें, तो अब तक ऐसी कोई स्टडी सामने नहीं आई, जिससे यह पता चले कि एक्सरसाइज के कारण दूध का स्वाद बदल सकता है।

मिथकः बीमार होने पर मां को ब्रेस्टफीड नहीं कराना चाहिए।

सच्चाईः हालांकि, यह बात सही मानी जाती है कि बीमार होने पर शिशु को स्तनपान कराने से बचना चाहिए। लेकिन, यह बात बहुत मायने रखती है कि आखिर मां को क्या बीमारी है? जो भी बीमारी है, उस संबंध में उन्हें प्रॉपर ट्रीटमेंट लेना चाहिए, अच्छी तरह रेस्ट करना चाहिए और हेल्दी डाइट लेनी चाहिए। इस तरह, वे स्तनपान करा सकती हैं। हां, आपको इस संबंध में एक बार डॉक्टर की सलाह ले लेनी चाहिए।

image credit: freepik

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