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आईवीएफ की मदद से 17 साल बाद मां बनी नीलम, रेयर बीमारी से थी पीड़ित

कुछ महिलाओं को दुलर्भ समस्याओं के चलते गर्भधारण करने में समस्याएं आ सकती हैं। कुछ ऐसी समस्या से पिछले 17 सालों से परेशान नीलम आईवीएफ की मदद से मां बनने में सफल हुई। आगे जानते हैं उनकी समस्या के बारे में।
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आईवीएफ की मदद से 17 साल बाद मां बनी नीलम, रेयर बीमारी से थी पीड़ित


सही समय पर मां न बन पाना हर महिला के लिए मानसिक दबाव का कारण बन सकता है। इस दौरान महिला और पुरुष दोनों ही कपल्स को सोशल प्रेशर का सामना करना पड़ता है। यह सोशल और मेंटली प्रेशर महिलाओं के कंसीव करने की क्षमता को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है। ठीक इसी तरह नीलम (काल्पनिक नाम) और उनके पति दीपक (काल्पनिक नाम) ने भी शादी के बाद प्रेग्नेंसी के लिए करीब 17 सालों तक प्रयास किए। लेकिन, उनको सफलता नहीं मिली। इसके बाद कपल्स ने महिला रोग विशेषज्ञ से संपर्क किया। ऐसे में डॉक्टर ने कपल्स को आईवीएफ तकनीक को चुनने का सुझाव दिया। इस पर उन्होंने रेवाड़ी के बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ सेंटर पर डॉ. नंदीनी जैन (Dr. Nandini Jain, IVF Specialist, Birla Fertility and IVF Rewari) से सलाह ली। आगे जानते हैं कि कपल्स की समस्याओं को समझने के लिए डॉक्टरों की टीम ने क्या टेस्ट किये और सफलता पूर्वक गर्भधारण के लिए क्या प्रक्रिया को अपनाया।

कपल्स का किस तरह से शुरु हुआ इलाज - How couples began IVF treatment in Hindi

डॉ नंदीनी जैन ने अनुसार 17 सालों तक कई प्रयासों के बाद भी कंसीव न कर पाने के चलते कपल्स मानसिक रूप से काफी पेरशान थे। ऐसे में डॉक्टर्स की टीम ने उनकी मौजूदा स्थिति को समझने के लिए कई तरह के टेस्ट किए। डॉक्टर्स ने बताया कि नीलम की शादी को 19 साल का समय हो चुका था। कपल्स ने बताया कि नीलम ने शादी के बाद सफल रूप से कंसीव किया था। लेकिन, कुछ कारणों के चलते भ्रूण की गर्भ में ही मृत्यु हो गई। उस दौरान महिला को हैवी ब्लीडिंग का सामना करना पड़ा था। इस घटना के बाद महिला को पीरियड से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ा। डॉक्टर के अनुसार नीलम को बीते 17 वर्ष से पीरियड्स बंद हो गए थे।

इस कुछ महिला और पुरुष दोनों की प्रजनन क्षमता को जानने के लिए कुछ जरूरी टेस्ट किए गए। इसमें नीलम को शिहान्स सिंड्रोम (Sheehan's Syndrome) और उनके पति दीपक को टेराटोजोस्पर्मिया (Teratozoospermia) जैसी दुर्लभ और गंभीर बांझपन की समस्याओं की पुष्टि हुई। इसके बाद डॉक्टर ने कपल्स के लिए आईवीएफ के लिए स्पेशल योजना को तैयार किया।

ivf treatment shared by rare disease patient neelam in

शीहान्स सिंड्रोम (Sheehan's Syndrome) क्या है?

शीहान्स सिंड्रोम (Sheehan's Syndrome) एक दुर्लभ अवस्था है, जिसमें डिलीवरी के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव से पिट्यूटरी ग्लैंड को नुकसान पहुंचता है। इससे शरीर में आवश्यक हार्मोन का उत्पादन प्रभावित होता है – जैसे LH, FSH, प्रोलैक्टिन आदि, जो प्रजनन और गर्भधारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
पिट्यूटरी ग्रंथि का सिंड्रोम, जो 100,000 महिलाओं में से 5 को प्रभावित करता है, इसमें प्रसव के दौरान महिला को गंभीर ब्लीडिंग होती है। इसने उसकी पिट्यूटरी ग्रंथि को नुकसान पहुंचाया, जिसके परिणामस्वरूप शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करने वाले महत्वपूर्ण हार्मोन की कमी हो गई।

टेराटोजोस्पर्मिया (Teratozoospermia) क्या होता है?

यह पुरुषों में एक प्रकार की बांझपन की स्थिति है जिसमें शुक्राणुओं की संरचना (morphology) असामान्य होती है। इस स्थिति में शुक्राणु (स्पर्म) तक पहुंचने और उसे निषेचित (फर्टिलाइज) करने की क्षमता प्रभावित होती है। इसकी पुष्टि सिमेन एनालिसिस (Sperm Analysis) से की जाती है।

किस तरह से शुरू हुई आईवीएफ - How IVF started In Hindi

डॉक्टरों ने नीलम के लिए हार्मोन थेरेपी शुरू की ताकि महिला के शरीर एग्स बनने के लिए तैयार हो सके। वहीं, पुरुष के स्पर्म से ICSI तकनीक के जरिए हेल्दी स्पर्म्स को चुना गया।

  • हार्मोनल स्टिमुलेशन: नीलम को इंजेक्शन दिए गए ताकि ओवरी कई एग्स बना सके।
  • इसके बाद मैच्योर एग्स (Egg Retrieval) को आसानी से निकाला गया।
  • इसके बाद पुरुष के हेल्दी स्पर्म्स को चुनकर एग्स के साथ फर्टिलाइज किया गया।
  • ICSI प्रक्रिया: इसमें चुने हुए स्पर्म को एग्स में इंजेक्ट किया गया।
  • फर्टिलाजेशन की सफलता के बाद भ्रूण को नीलम के गर्भाशय में स्थानांतरित किया गया।

इस प्रक्रिया के बाद महिला के स्वास्थ्य की लगातार जांच की गई। कुछ ही सप्ताह के बाद नीलम ने सफलतापूर्वक गर्भधारण किया।

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इस मामले से पता चलता है कि कई तरह की जटिल समस्याओं से पीड़ित कपल्स भी आईवीएफ प्रक्रिया के द्वारा आसानी से गर्भधारण कर सकते हैं। आईवीएफ के जरिए देश के लाखों लोगों के घर में बच्चों की किलकारियां गूंजी हैं। आईवीएफ की खुशखबरी विद आईवीएफ की सीरीज का यह लेख आपको कैसा लगा हमारे साथ जरूर शेयर करें।

FAQ

  • पीरियड के कितने दिन बाद आईवीएफ किया जाता है?

    आईवीएफ प्रक्रिया आमतौर पर पीरियड के दूसरे या तीसरे दिन से शुरू होती है और इसमें लगभग 4-6 सप्ताह का समय लगता है।
  • प्रजनन संबंधी समस्या को कैसे दूर करें?

    आईवीएफ प्रक्रिया बेहद ही सुरक्षित होती है। लेकिन, कुछ महिलाओं को सिरदर्द, मतली और सूजन, पेट में ऐठन आदि लक्षण महसूस हो सकते हैं।

 

 

 

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